ज्ञानवर्धक कहानी | Hindi Best Story | Hindi Kahaniya For Kids | Moral Stories In Hindi: लघु नैतिक कहानियाँ उन बच्चों के लिए सर्वोत्तम हैं जो पीढ़ियों से पढ़ते आ रहे हैं। नैतिकता के साथ ये लघु कथाएँ दुनिया की विभिन्न भाषाओं और भागों में लोकप्रिय हैं। एक नैतिक कहानी व्यावहारिक स्थितियों को रोमांचक ढंग से दर्शाती है और एक संदेश देती है जो बच्चों में नैतिक मूल्यों को आत्मसात करती है। अलग-अलग छोटी-छोटी नैतिक कहानियां बच्चों को अलग-अलग सीख देती हैं। कहानियां बच्चों को कम उम्र से ही जिम्मेदार, सम्मानित, सहानुभूतिपूर्ण और ईमानदार बनाती हैं। यहां हम नैतिकता के साथ 5 बहुत छोटी कहानियों का संक्षेप में वर्णन करेंगे जो कुछ मूल्यों और सिद्धांतों के साथ बच्चों का मार्गदर्शन करती हैं।
Let’s start the ज्ञानवर्धक कहानी | Hindi Best Story | Hindi Kahaniya For Kids | Moral Stories In Hindi
चूहा और सन्यासी (Hindi Best Story)
किसी जंगल में एक सन्यासी तपस्या करता था जंगल के जानवर उस सन्यासी के पास उपदेश सुनने आया करते थे। वह सब आकर सन्यासी को चारों ओर से घेर लेते और वह जानवरों को अच्छा जीवन बिताने का उपदेश देता।
उसकी जंगल में एक छोटा सा चूहा भी रहता था वह भी रोज सन्यासी का प्रवचन सुनने आता था एक दिन वह जंगल में यहां वहां भटक रहा था साधु को भेंट देने के लिए शायद कुछ ढूंढ रहा था की एक बिल्ली ने उस पर हमला बोल दिया। दर्शन वह बिल्ली झाड़ियों में चुप कर चूहे पर निगाह रख रही थी चूहा बहुत डर गया और वहां से भाग निकला और सीधा आश्रम आ पहुंचा वहां जाकर चूहा सन्यासी के पैरों में गिर पड़ा और भयभीत स्वर में उसे अपनी दासता सुनाने लगे।
इसी बीच बिल्ली भी वहां आ पहुंची। उसने सन्यासी से आग्रह किया की उसे उसका शिकार ले जाने दे। सन्यासी बेचारा धर्म संकट में पड़ गया। इसलिए कुछ सोचा और फिर अपनी दिव्य शक्ति से चूहे को एक बड़ी दिल्ली में बदल दिया अपने से बड़ी बिल्ली को सामने देख कर पहली बिल्ली वहां से भाग गई।
अब चूहा बिल्कुल चिंतामुक्त था। वह अब किसी दूसरी बड़ी बिल्ली की भांति जंगल में विचरण करने लगा। दूसरे जानवरों को डराने के लिए वह जोर से गुराना भी सीख गया था। बिल्लियों से बदला लेने के लिए वह, उनसे भीड़ जाता बहुत सी बिल्लियां उसने मार डाली थी। लेकिन चूहे का यह चिंता मुक्त जीवन ज्यादा लंबा नहीं चला।
एक दिन एक लोमड़ी ने उस पर झपट्टा मारा। अब एक नई समस्या उठ खड़ी हुई उसने यह तो कभी सोचा ही नहीं था की बिल्ली से भी बड़े और हिंसक जानवर भी जंगल में मौजूद है, जो पल भर में उसे चीर -फार सकते हैं। वह अपनी जान बचाने के लिए भागा, किसी तरह वह लोमड़ी से बचकर फिर सन्यासी के आश्रम आ पहुंचा। वह दोनों सन्यासी के सामने खड़े हो गए।
सन्यासी ने चूहे की परेशानी देख उसे बड़ी सी लोमड़ी में बदल दिया। अब अपने से बड़ी लोमड़ी सामने देख पहले लोमड़ी वहां से भाग गई। बड़ी लोमड़ी का आकार पाकर चूहा फिर चिंता मुक्त हो गया और जंगल में अपनी स्वेच्छा से घूमने का था लेकिन उसकी यह खुशी भी ज्यादा नहीं टिक पाई।
एक दिन वह जंगल में घूम रहा था। की एक शेर उस पर झपट पड़ा। किसी तरह चूहे ने अपने प्राण बचाए और वहां से भाग निकला और फिर से आश्रम आ पहुंचा। सन्यासी को दोबारा चूहे पर दया आ गई। और उसने उसे शेर के रूप में परिवर्तित कर दिया। सन्यासी का यह सब करते समय यह सोचता था,कि चूहा उनका पुराना शिष्य है। छोटा और कमजोर प्राणी है। हिंसक जानवरों से उनकी रक्षा करना उनका कर्तव्य है। शेर का रूप लेकर चूहा जंगल में निडर घूमने लगा बिना कारण ही उसने जंगल के बहुत से प्राणियों का हत्या कर दिया। वह जंगल में राजा की तरह बर्ताव करता और बाकी जानवरों को वैसा ही आदेश देता था। जैसे कोई राजा देता है। अब उसे दिन रात बस एक ही चिंता थी। वह चिंता थी सन्यासी की दिव्य शक्तियों को लेकर
वह सोचने लगा था कि क्या होगा जब सन्यासी किसी कारणवश उसे फिर से चूहा बना देगा यह चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी।
अंततः एक दिन कुछ निश्चय करके सन्यासी के पास जाकर कसकर दहाड़ा और बोला मैं भूखा हूं अब मैं तुम्हें खा लूंगा ताकि तुम्हारी सारी दिव्य शक्तियां मुझ में समा जाए जो अभी भी तुम्हारे पास है। सन्यासी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की जिस चूहे का वहां रूप बदलकर उनकी प्राणों का रक्षा कर रहा है वही एक दिन उनका प्राणों का भूखा बन जाएगा चूहे का यह शब्द सुनकर सन्यासी को बहुत ही गुस्सा आ गया उनकी मनसा को भापकर उसने तुरंत ही उसे फिर से चूहा बना दिया।
अब चूहे को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने बुरे बर्ताव के लिए सन्यासी से माफी मांगते हुए। उसे फिर से शेर बना देने के लिए कहा। लेकिन सन्यासी ने उसे लाठी से पीट-पीटकर वहां से भगा दिया
सीख- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है है कि बड़े हो जाने पर भी हमें कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि तूफान में भी वही पैर सलामत बचता है जो झुका रहता है
बातूनी कछुआ (Hindi Best Story)
एक समय की बात है किसी नदी में संकट और विकट नाम के दो हंस तोमर नाम के कछुए के साथ रहते थे।तीनों अच्छे मित्र थे। एक बार उस क्षेत्र में अकाल पड़ गया और जल के सभी स्रोत नदियां झीलें तथा तालाब आदि सूख गए पक्षियों तथा जानवरों के पीने के लिए पानी की एक बूंद भी न बचा । वे बेचारे प्यास के मारे दम तोड़ने लगे नदी में रहने वाले उपरोक्त तीनों मित्र आपस में बात करते हुए इस समस्या के समाधान का प्रयास करने के चक्कर में पानी की खोज में लगे रहते थे। लेकिन अथक प्रयासों के बावजूद उन्हें आसपास कहीं पानी कोई रास्ता ना देख तीनों मित्रों ने आपस में तय किया की कहीं दूर जाकर पानी का जल स्रोत खोजा जाए जहां हम आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
लेकिन समस्या यह था की हंस तो उड़ कर जा सकता था लेकिन बेचारे कछुआ वह कैसे उड़ता । तभी कछुआ अपने मित्र से बातें करते हुवे कहा मेरे पास एक आईडिया है मैं जंगल से लकड़ी ले आता हूं और तुम दोनों अपनी चोंच में दोनों तरफ से पकड़ लेना और मैं बीच में लटक जाऊंगा। इस तरह मै भी तुम्हारे साथ उड़ सकूंगा
दरअसल, कछुआ और दोनों हंस तीनों बहुत टाइम से एक साथ रह रहे थे। इसलिए, तीनों में काफी गहरा दोस्ती हो गया था। और कछुआ यह भी सोच रहा था की अगर मेरे दोनों दोस्त चला गया तो मैं यहां अकेला पानी के बिना यहां कैसे रह पाऊंगा।
कछुआ का विचार सुनकर हंस बोले मित्र तुम्हारा विचार अच्छा है ऐसा करने से हम तीनों साथ चल सकते हैं लेकिन तुम्हें एक बात का ख्याल रखना होगा तुम बात बहुत ज्यादा करते हो इसलिए जब हम उड़ान भरेंगे तो तुम अपना मुंह मत खोलना नहीं तो तुम निश्चित ही नीचे गिर जाओगे और फिर तुम्हारा पुर्जा पुर्जा बिखर जाएगा।
The story in Hindi written
कछुआ हंस के कहने की गंभीरता को समझ गया और उड़ते समय उसने कुछ ना बोलने की कसम खाई और फिर हंस कछुए को लेकर उड़ान भरने लगा। पानी की तलाश ना जाने कहां ले जाने वाली थी तीनों का सफर वैसा ही चल रहा था जैसा उसने तय किया था। वे नदी, घाटी, गांव, जंगल, मैदान पार करते हुए एक शहर के ऊपर जा पहुंचे जब वे शहर के ऊपर से उड़ रहे थे। तो बहुत से स्त्री पुरुष और बच्चे इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए घर से बाहर निकल आए। और बच्चे ताली बजा बजाकर चिल्लाने लगे।
बातूनी कछुआ यह देख भूल गया कि वह हवा में मुंह से लकड़ी बकरे लटका हुआ है। वह शोर और तालियों का वजह जानने के लिए उत्सुक होने लगा। और उसने अपने दोस्तों से पूछने के लिए जैसे ही मुंह खोला नीचे गिर गया और फिर जमीन पर आकर उसने अपना दम तोड़ दिया .
सीख – उचित परामर्श हमें याद रखना चाहिए
हाथी का कहानी (Hindi Best Story)
बहुत समय पहले किसी नगर में एक बहुत बड़ा हाथी रहता था। हाथी बेहद धार्मिक व आस्थावान था। और रोज मंदिर के सामने जाकर पूजा किया करता था। भारी भरकम शरीर होने के बावजूद उसके दिल में प्यार भरा हुआ था। सभी लोग उस हाथी से प्रेम करते थे। और खाने के लिए तरह तरह के फल देते थे। उस हाथी की एक आदत यह भी थी कि वह मंदिर आने जाने के लिए एक ही रास्ते का इस्तेमाल किया करता था।
मंदिर जाने के लिए हाथी को नगर के व्यस्त बाजार से होकर गुजरना पड़ता था। बाजार में बैठने वाला एक फूल वाला रोज उसके सूर में गेंदे का फूल की माला पहना देता था। जबकि फल विक्रेता उसे फल खाने को देता था। हाथी भी उसके लिए दोनों का आभार प्रकट करता था। बाजार के बहुत से लोग हाथी के पास एकत्र हो जाते थे और उसे प्यार से थपकी देने लगते सबके मन में हाथी के लिए बेहद सम्मान था सब कुछ पहले की तरह ही चल रहा था।
लेकिन इंसान के मन में क्या है इसे भला कौन जान सकता है। एक दिन न जाने क्यों फूल बेचने वाले के दिमाग में मजाक करने की सूझी। उस दिन जब हाथी उस दुकानदार के पास आया तो उसने उसके सूर्य में माला पहनाने की जगह सुई चुभा दिया दी, दर्द के मारे हाथी छटपटाने लगा और फिर वहीं जमीन पर बैठ गया और फिर कुछ लोग वहां एकत्र होकर हंसने लगा।
फूल वाले कि यह हरकत हाथी को बहुत ही बुरा लगा। उस दिन वह हाथी मंदिर पूजा करने के लिए भी नहीं गया और कुछ देर बाद कीचड़ से भरे तालाब के पास जा पहुंच ।और ढेर सारा कीचड़ वाला गंदा पानी अपनी सुर में भर लिया, और सीधा फूल वाले की दुकान पर जा पहुंचा वहां पर उसने अपनी सुर में भरा हुवा सारा कीचड़ वाला पानी फूल वाले के ऊपर और उसके दुकान पर फेंक दिया। जिससे फूल वाले का सारा सामान बर्बाद हो गया कुछ भी बिकने के लायक न बचा
फूल वालों को अपना गलती का एहसास हो गया
सीख- जैसे आदमी करता है वैसे आदमी को भरना पड़ता है
लड़का जो भेड़िया सा रोया
एक बार, एक लड़का था जो पहाड़ी पर चर रही गाँव की भेड़ों को देखकर ऊब गया था। अपना मनोरंजन करने के लिए, उसने गाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!”
जब ग्रामीणों ने चीख सुनी तो वे भेड़िये को भगाने के लिए पहाड़ी पर दौड़े चले आए। लेकिन, जब वे पहुंचे तो उन्हें कोई भेड़िया नहीं दिखा। उनके गुस्सैल चेहरों को देखकर लड़का खुश हो गया।
“भेड़िया चिल्लाओ मत, लड़के,” ग्रामीणों को चेतावनी दी, “जब कोई भेड़िया नहीं है!” वे गुस्से में वापस पहाड़ी से नीचे चले गए।
बाद में, चरवाहा लड़का एक बार फिर चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया! भेड़िया भेड़ों का पीछा कर रहा है!” अपने मनोरंजन के लिए, उसने देखा कि भेड़िये को डराने के लिए ग्रामीण पहाड़ी पर दौड़ रहे हैं।
जैसा कि उन्होंने देखा कि कोई भेड़िया नहीं था, उन्होंने सख्ती से कहा, “अपनी भयभीत चीख को छोड़ दें, जब वास्तव में भेड़िया है! जब कोई भेड़िया न हो तो ‘भेड़िया’ मत रोओ! लेकिन जब वे एक बार फिर पहाड़ी से नीचे उतर रहे थे तो लड़का उनकी बातों पर मुस्कुराया।
बाद में, लड़के ने एक असली भेड़िये को अपने झुंड के चारों ओर चुपके से देखा। घबराकर, वह अपने पैरों पर कूद गया और जितनी जोर से चिल्ला सकता था, चिल्लाया, “भेड़िया! भेड़िया!” लेकिन गाँव वालों को लगा कि वह उन्हें फिर से बेवकूफ बना रहा है, और इसलिए वे मदद के लिए नहीं आए।
सूर्यास्त के समय, ग्रामीण उस लड़के की तलाश में निकले जो अपनी भेड़ों के साथ नहीं लौटा था। जब वे पहाड़ी पर चढ़े, तो उन्होंने उसे रोते हुए पाया।
“यहाँ वास्तव में एक भेड़िया था! झुंड चला गया है! मैं चिल्लाया, ‘भेड़िया!’ लेकिन तुम नहीं आए, ”वह रोया।
एक बूढ़ा आदमी लड़के को दिलासा देने गया। जैसे ही उसने अपना हाथ उसके चारों ओर रखा, उसने कहा, “कोई भी झूठ पर विश्वास नहीं करता, भले ही वह सच कह रहा हो!”
लोमड़ी और अंगूर
एक दिन, एक लोमड़ी बहुत भूखी हो गई जब वह कुछ खाने की तलाश में गई। उसने इधर-उधर खोजा, लेकिन कुछ ऐसा नहीं मिला जिसे वह खा सके।
अंत में, जैसे ही उसका पेट गड़गड़ाया, वह एक किसान की दीवार से जा टकराया। दीवार के शीर्ष पर, उसने अब तक के सबसे बड़े, रसीले अंगूर देखे। उनके पास एक अमीर, बैंगनी रंग था, जो लोमड़ी को बता रहा था कि वे खाने के लिए तैयार हैं।
अंगूरों तक पहुँचने के लिए लोमड़ी को हवा में ऊँची छलांग लगानी पड़ी। जैसे ही उसने छलांग लगाई, उसने अंगूरों को पकड़ने के लिए अपना मुँह खोला, लेकिन वह चूक गया। लोमड़ी ने फिर कोशिश की लेकिन फिर चूक गई।
उसने कुछ और बार कोशिश की लेकिन असफल रहा।
अंत में, लोमड़ी ने फैसला किया कि यह हार मानने और घर जाने का समय है। जब वह चला गया, तो वह बुदबुदाया, “मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे थे।”
कछुआ और खरगोश
खरगोश और कछुए की यह अत्यंत लोकप्रिय कहानी है।
खरगोश एक ऐसा जानवर है जो तेजी से चलने के लिए जाना जाता है, जबकि कछुआ धीरे-धीरे चलने वाला जानवर है।
एक दिन, खरगोश ने कछुए को एक दौड़ के लिए केवल यह साबित करने के लिए चुनौती दी कि वह सबसे अच्छा है। कछुआ मान गया।
एक बार दौड़ शुरू होने के बाद खरगोश आसानी से आगे बढ़ने में सक्षम हो गया। यह महसूस करने पर कि कछुआ बहुत पीछे है। अति आत्मविश्वास से भरे खरगोश ने झपकी लेने का फैसला किया।
इस बीच कछुआ, जो बेहद दृढ़ निश्चयी था और दौड़ के लिए समर्पित था, धीरे-धीरे फिनिश लाइन के करीब आ रहा था।
कछुआ रेस जीत गया जबकि खरगोश नप गया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने इसे विनम्रता और बिना अहंकार के किया।
कहानी का नैतिक
जब आप कड़ी मेहनत करते हैं और दृढ़ रहते हैं, तो आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। धैर्य से काम करने पर ही सफलता मिलती है।
किसान और कुआँ
एक दिन एक किसान अपने खेत के लिए पानी के स्रोत की तलाश कर रहा था, तभी उसने अपने पड़ोसी से एक कुआं खरीदा। हालाँकि, पड़ोसी चालाक था। अगले दिन जब किसान अपने कुएँ से पानी भरने आया तो पड़ोसी ने उसे पानी लेने से मना कर दिया।
जब किसान ने इसका कारण पूछा, तो पड़ोसी ने उत्तर दिया, “मैंने तुम्हें कुआँ बेचा था, पानी नहीं” और चला गया। व्याकुल होकर किसान न्याय मांगने के लिए सम्राट के पास गया। उन्होंने समझाया कि क्या हुआ था।
बादशाह ने अपने नौ में से एक और सबसे बुद्धिमान दरबारी बीरबल को बुलाया। बीरबल ने पड़ोसी से प्रश्न किया, “तुम किसान को कुएँ से पानी क्यों नहीं लेने देते? तुमने किसान को कुआँ बेच दिया?”
पड़ोसी ने जवाब दिया, “बीरबल, मैंने किसान को कुआँ तो बेचा था, लेकिन उसमें का पानी नहीं। उसे कुएँ से पानी निकालने का कोई अधिकार नहीं है।”
बीरबल ने कहा, “देखो, चूंकि तुमने कुँआ बेच दिया है, इसलिए तुम्हें किसान के कुएँ में पानी रखने का कोई अधिकार नहीं है। या तो आप किसान को किराया दें, या इसे तुरंत हटा लें। यह महसूस करते हुए कि उसकी योजना विफल हो गई, पड़ोसी ने माफी मांगी और घर चला गया।
चींटी
चींटी और टिड्डा बहुत अलग व्यक्तित्व वाले सबसे अच्छे दोस्त थे।
टिड्डा अपना दिन सोने या अपने गिटार बजाने में बिताता है जबकि चींटी भोजन इकट्ठा करती है और अपनी चींटी पहाड़ी का निर्माण करती है।
टिड्डा बीच-बीच में चींटी को आराम करने के लिए कहता। हालाँकि, चींटी मना कर देती थी और अपना काम पूरा करती रहती थी।
जल्द ही सर्दी आ गई और दिन और रात ठंडे हो गए। एक दिन चींटियों की बस्ती मक्के के कुछ दानों को सुखाने में लगी थी। टिड्डा जो बेहद कमजोर और भूखा था, चींटियों के पास आया और पूछा “क्या आप मुझे मकई का एक टुकड़ा दे सकते हैं?” चींटी ने जवाब दिया “हमने इस मकई के लिए पूरी गर्मी मेहनत की जब तक आप आराम कर रहे थे, हम इसे आपको क्यों दें?”
टिड्डा गाने और सोने में इतना व्यस्त था कि उसके पास पिछली सर्दी के लिए पर्याप्त भोजन नहीं था। टिड्डे को अपनी गलती का एहसास हुआ।
ब्राह्मण का सपना
एक गरीब ब्राह्मण एक गांव में बिल्कुल अकेला रहता था। उसका कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं था। वह कंजूस होने के लिए जाना जाता था और वह भीख मांगकर जीवनयापन करता था। भिक्षा के रूप में जो भोजन उसे मिलता था, उसे मिट्टी के बर्तन में रखा जाता था, जिसे उसके बिस्तर के पास लटका दिया जाता था। इससे उन्हें भूख लगने पर आसानी से भोजन मिल जाता था।
एक दिन उसे चावल की इतनी खीर मिली कि खाना पूरा करने के बाद भी उसके बर्तन में इतना बचा हुआ था। उस रात, उसने सपना देखा कि उसका बर्तन चावल की दलिया से भर गया है और अगर कोई अकाल पड़ता है, तो वह भोजन बेच सकता है और उससे चांदी कमा सकता है। इस चांदी का उपयोग तब बकरियों की एक जोड़ी खरीदने के लिए किया जा सकता था, जो जल्द ही बच्चे पैदा करेंगी और एक झुंड बनाएंगी। बदले में इस झुंड को भैंसों के लिए व्यापार किया जा सकता था जो दूध देते थे जिससे वह डेयरी उत्पाद बना सकते थे। इन उत्पादों को अधिक पैसे में बाजार में बेचा जा सकता था।
यह पैसा उसे एक अमीर महिला से शादी करने में मदद करेगा और साथ में उनका एक बेटा होगा जिसे वह समान रूप से डांट और प्यार कर सकता है। उसने सपना देखा कि जब उसका बेटा नहीं सुनेगा, तो वह छड़ी लेकर उसके पीछे दौड़ेगा।
स्वप्न में लिपटे हुए ब्राह्मण ने अपने बिस्तर के पास छड़ी उठाई और छड़ी से हवा मारना शुरू कर दिया। इधर-उधर भागते-दौड़ते उसने मिट्टी के बर्तन को डंडे से मारा, बर्तन टूट गया और सारा सामान उसके ऊपर गिर गया। ब्राह्मण चौंक कर उठा और उसे एहसास हुआ कि सब कुछ एक सपना था।
कहानी की नीति
शिक्षा हवा में महल नहीं बनाना चाहिए।
राजा की पेंटिंग
एक राजा था जिसके केवल एक पैर और एक आँख थी लेकिन वह एक शासक के रूप में उदार और सक्षम था। एक दिन अपने महल में टहलते हुए राजा की नजर दालान के किनारे अपने पूर्वजों के चित्रों पर पड़ी। वह यह भी चाहता था कि उसका चित्र एक कलाकार द्वारा चित्रित किया जाए, लेकिन वह अनिश्चित था कि उसकी शारीरिक असामान्यताओं के कारण यह कैसे बनेगा। राजा ने पूरे राज्य के सभी चित्रकारों को आमंत्रित किया और पूछा कि कौन उसका सुंदर चित्र बना सकता है। चित्रकार इस बात को लेकर असमंजस में थे कि केवल एक पैर और एक आंख से राजा का सुंदर चित्र कैसे बनाया जाए।
सभी चित्रकारों ने विनम्रतापूर्वक राजा की पेंटिंग बनाने से मना कर दिया। तभी एक युवा चित्रकार आगे आया और उसने राजा का एक सुंदर चित्र बनाना सुनिश्चित किया। कुछ दिनों के बाद, युवा चित्रकार ने दरबार में उस चित्र का अनावरण किया जिसमें राजा को एक पैर से घोड़े पर बैठे हुए, धनुष को पकड़े हुए और एक आँख बंद करके तीर का निशाना लगाते हुए देखा गया था। चित्रकला में राजा में शारीरिक कमियों का कोई चिह्न नहीं था। राजा यह देखकर प्रसन्न हुआ कि चित्रकार ने रचनात्मक रूप से राजा की सकारात्मक विशेषताओं को प्रस्तुत किया था लेकिन असामान्यताओं को उजागर नहीं किया था।
नैतिक: सीमाओं पर जोर दिए बिना किसी के सकारात्मक पहलुओं को देखें।
सुअर और भेड़
एक सुअर ने अपना रास्ता एक घास के मैदान में पाया जहाँ एक चरवाहा भेड़ों के झुंड को चरा रहा था। चरवाहे ने सुअर को पकड़ लिया और उसे कसाई की दुकान की ओर ले गया जब वह जोर-जोर से रोने लगा और छूटने के लिए संघर्ष करने लगा। भेड़ ने सुअर से कहा, “चरवाहा हमें नियमित रूप से पकड़ता है और हमें इस तरह घसीटता है, और हम कोई शोर नहीं करते।” सुअर ने जवाब दिया, “मेरा मामला और तुम्हारा बिल्कुल अलग है; वह तुम्हें पकड़ता है और तुम्हें ऊन दाढ़ी बनाने के लिए ले जाता है, लेकिन वह चाहता है कि बेकन बनाने के लिए मुझे मार डाला जाए।”
नैतिक शिक्षा :
दो स्थितियों को समझे बिना उनकी तुलना न करें।
निष्कर्ष
कम उम्र से ही बच्चों को नैतिक मूल्यों का एक मजबूत आधार विकसित करना चाहिए जो उन्हें अच्छा इंसान बनने में मदद करता है। एक नैतिक कहानी अकादमिक पाठ्यक्रम और माता-पिता की शिक्षा का हिस्सा होना चाहिए। इन सीखों का व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा। अंत में, हमारा सुझाव है कि आप अपने बच्चों को अच्छे नैतिक मूल्य सिखाने के लिए कम से कम एक नई कहानी हिंदी में नैतिकता के साथ पढ़ें।
I hope guys love Hindi Best Story
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