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Short Story In Hindi रोचक कहानी कपटी बगुला और लालची

 

 

short story in hindi Short Story In Hindi एक रोचक कहानी

कहानी किसका मन को नहीं भाता है । कहानी हर किसी की मन को उत्साहित करता है । हमें कई प्रकार का सीख देता है । कहानी एक ऐसा पात्र है जो हर किसी के  जीवन में घटित होता है आईये ऐसे ही कुछ रोचक कहानी के बारे में पढ़ाते है ।

यह कहानी है एक कपटी बगुला की जो की बहुत ही रोचक कहानी है 

      प्रथम कहानी 

यह  कहानी का शीर्षक है कपटी बगुला जो   एक रोचक कहानी है

एक जंगल में बहुत बड़ा तालाब था जिसमे अनेक प्रकार के जीव जंतु रहते थे।  वही पर एक बूढ़ा बगुला भी रहता था।  वो इतना बूढ़ा हो गया था की अब उनसे कोई मछली का शिकार तक नहीं हो सकता था।

एक दिन तालाब के किनारे बैठा बगुला रो रहा था एक केकरे ने जब उसे रोते देखा तो उसके मन में दया आ गई।  वह बगुले के पास जाकर बोला – 

 

मामा – मामा तुम इस प्रकार अकेले बैठे क्यों रो रहे हो  . आज कुछ खा पी भी  नहीं रहे हो।

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

बूढ़ा बगुला भरी आवाज में बोला – बेटा तुम ठीक कह रहे हो।  आज वास्तव में ही मै बहुत दुःखी हूँ।  मेरा मन चेहरा है की मै फूट – फूट कर रोऊ , क्योकि आज मै अपने लिए नहीं , सभी भाई -बंधुओं के लिए रो रहा हूँ

केकड़े :- ये आप क्या कह रहे हो मामा ? मै कितने समय से तालाब में रह रहा हूँ।  – हमें क्या हुवा है ?

बगुला :- हुवा नहीं है बेटा होने वाला है मै कितने समय से तालाब में रह रहा हूँ।  यही पर पैदा हुआ।  यही पर बूढ़ा हो गया।  इसलिए मुझसे इस तालाब में रहने वालों के दुःख नहीं देखा जाते।  इन दुःखो के कारण ही मैंने उपवास कर रखा है ताकि पापों का प्रायश्चित करके इस तालाब में रहने वालों की जान बचा सकू।

केकड़े :- ये आप कह रहे है मामू ?

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

बगुला :- हाँ बेटा , मैने किसी ऋषि से यह सुना है की अब की बार बारह वर्ष तक वर्षा नहीं होगी।  चारों और अकाल पड़ेगा।  कुंड सुख जाऐगे।  तलाबों में पानी नहीं होगा सब इधर उधर भागेंगे।  जब यह तालाब सुख जायेगा तो इसमें रहने वाले जीव- जन्तु का क्या होगा ? सब मर जाऐगे। नहीं तो भूखे मरते लोग इन्हें खा जायेगे।

केकड़े :- मामा क्या इस विपत्ति से जान बचने का कोई रास्ता है ? केकड़े घबराते हुवे पूछा ?

बगुला :- हा इस तालाब से थोड़ी दूर एक बहुत बड़ा तालाब है जिसका पानी कभी नहीं सूखता है।  यदि आप सब मिलकर वहां जाने का निर्णय कर ले तो अच्छा है।  मेरा क्या है मै तो जब भी चाहु जा सकता हूँ।

केकड़े :- मगर हम लोग  उस तालाब तक जाएंगे कैसे ? हम सब तो पानी में ही तैर सकते है।

बगुला :- तुम लोग चिंता न करो मै तुम सबको अपने पीठ पर लाद – लाद कर उस तलाब तक  पहुँचा दूंगा।  आखिर मै किस काम आऊंगा ?

केकड़े :- केकड़े ने बगुले की बात सबको सुना दिया अब  सब के सब डर के मारे चिंतित होने लगा उन्हें भाग जाने की जल्दी होने  लगा हर एक यही चाहता था की मै ही पहले बगुले के पीठ  पर बैठ कर यहां ये निकल जाऊं।

बगुला :-  बगुला मन ही मन बहुत खुश था क्योंकि उसकी चाल सफल हो गई थी।  हर  रोज इन जंतुओं में से कुछ को अपने पीठ पर बिठा कर ले जाता और एक पहाड़ी के ओट में उन्हें ले जाकर खा जाता और आकर एक झूठ मुठ का एक कहानी गढ़ कर सुना देता था।

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

अब तो बूढ़े बगुले को खाना खूब मिलाने लगा था।  अपनी चालाकी और होशियारी से वह धोखेबाज इन सब जन्तुओ को धीरे – धीरे खाने लगा।

केकड़ा :– केकड़ा हर रोज कहता मामा , मुझे भी तो छोड़ आओ न तालाब में।

बगुला :- बगुला कहता था तुम्हें भी ले चलेंगे भांजे , जल्दी क्या है ? धैर्य से काम लो।  केकड़े के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था।  कुछ ही समय में वह तालाब जीव जंतु से खाली होने वाला था।  यह बगुला उसे लेकर ही नहीं जा रहा था।

केकड़ा :– एक दिन दुःखी होकर केकड़े ने पूछ ही लिया –

मामा ! आखिर आप मुझे क्यों नहीं ले जाते यहाँ से ? क्या मै यही पर मरुँगा ?  देखो अपने मामा के होते मै मरना नहीं चाहता हूँ।  आज तुम मुझे यहाँ से ले चलो।  और कुछ नहीं।

बगुला :- बगुला केकड़े के जिद के आगे हार गया।  और केकड़े को लेकर उड़ने लगा काफी देर उड़ने के बाद जब कहीं तालाब नहीं दिखा।  तब केकड़े ने पूछा मामा वह तालाब कितने दूर है।

बगुला :- बगुला हँसाने लगा उसे पता था यह मंद बुद्धि का जीव इस पहाड़ पर मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकता है।  अब उससे डरने की जरुरत ही नहीं है।  उनसे झट से भरी आवाज में बोला

बेटा, अब तो तुम तालाब को भूल जा, यह सारा कहानी तो मेने सबको पागल बनाने के लिए रची थी।  मै तो केवल अब अपनी शिकार करता हूँ।  सीधे ढंग से जब मेरा पेट नहीं भरा तो मैने उलटे ढंग से पेट भरने का रास्ता निकल लिया।

केकड़ा :- केकड़ा समझ गया की यह तो कपटी , बेईमान, धोखेबाज है।  इसने इतने जन्तु को तो पहले ही खा लिया है , अब मुझे भी खा जायेगा।  मौत सामने खड़ी देखकर केकड़े ने बुद्धिमता से काम लिया

और फिर क्या ! उसने अपने दोनों दांत पूरी ताकत से बगुले के गले में गाड़ दिया।

बगुला चिल्लाने लगा अरे मेरा गला छोड़ो मेरा साँस बंद हो रही है यह कहते हुवे धरती पर आ गिरा।

पापी बगुला उसी वक्त मर गया।  परंतु केकड़ा वापस उसी तालाब में आ गया और फिर अपने साथीयो को उनकी कहानी सुनाई।  सभी जीव- जन्तु ने बगुले को धन्यवाद करने लगा

इसी लिए कहते है पापी भले ही कितना भी झूठ बोल ले लेकिन पाप से भरा जीवन कुछ ही दिनों में नष्ट हो जाता है।

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

आईये आज आपको एक बहुत ही रोचक कहानी बताते है जिसका किस्सा सदियों से मशहूर है जिस कस्सा का शीर्षक है 

                                                   लालच बुरी बला है Short Story In Hindi रोचक कहानी कपटी बगुला और लालची

आईये हम जानते है लालच कैसे बुरी बला होता है 

         दूसरी कहानी

यह एक पंडित का कहानी है 

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

एक बार की बात है सीतापुर गाँव में एक भरतराम नाम का एक ब्राह्मण रहता था।  वह बेचारा थोड़ी -बहुत खेती करके अपना और अपने परिवार का पेट पलता था।  मगर इस थोड़ी सी खेती से उसका गुजारा नहीं चलता था।  वह बेचारा अक्सर ही दुःखी रहता था और  जब कभी उससे कोई यह कहता की पंडित जी आप सदा दुःखी ही रहते है।  

पंडित जी :– पंडित जी सदा यही उत्तर देता था।  भाग्य बड़ा बलवान है भईया , जो भगवान देता है इंसान वही ले पता है।  भाग्य को आज तक किसी ने नहीं बदला।   बस इसी बात से वह संतुष्ट हो जाता था 

एक बार वह खेत में काम करते -करते इतना थक गया की  वही जाकर  एक वृक्ष की छाया के निचे लेट गया तो पास ही उसने एक काले नाग को देखा जो अपना फन फैलाये बैठा था।  

 Short Story In Hindi एक रोचक कहानी 

पंडित भारत राम ने उस सैप को देखकर सोचा की आज तक मैने नाग देवता की पूजा नहीं की है।  क्यों न आज इस नाग की पूजा कर लूं।  हो सकता है इससे ही मेरी गरीबी दूर हो जाए।  नाग देवता यदि मुझ पर कृपा कर दें तो सारे दुःख दूर हो जाएगें। यही सोच कर उसने नाग देवता की पूजा आरंभ कर दिया दूध का एक बड़ा कटोरा लेकर उसने नाग देवता के सामने रखते हुए कहा , हे नाग देवता , मुझे यह नहीं पता था की आप मेरे ही खेत में रहते है।  मै इससे पहले तुम्हारी पूजा नहीं कर सका।  इसके लिए क्षमा चाहता हूँ।  मेरी इस पूजा को स्वीकार करो और मेरी संकट हरो।  इस गरीब के दूध को पी लो।  

दूध का कटोरा नाग देवता के पास रखकर वह घर चला आया।  

सुबह उठकर जब भारत राम उस सांप वाली जगह पर गया तो उस कटोरे का दूध तो सारा समाप्त हो चूका था , और कटोरे में सोने का एक सिक्का पड़ा था वह उस सोने के सिक्के को देखकर उछल पड़ा।  ख़ुशी से नाचता हुवा कहने लगा – नाग देवता ने मेरी फरियाद सुन ली।  अब तो मै धनि हो जाऊंगा।  मेरे सरे संकट दूर हो जायेगे।  

उस दिन से भरतराम हर रात  को दूध का कटोरा नाग देवता के लिए भरकर रख जाता।  सुबह जब भी वह आता तो सोने का एक सिक्का उस कटोरे में पड़ा मिलता।  इस प्रकार भरतराम का दिन बदलता गया।  गरीबी दूर हो गयी।  संकट समाप्त हो गया।  घर में खूब अच्छा पकाते , अच्छा खाते -पीते।  हर रत भरतराम यही कहता – रहता यह सब नाग देवता की कृपा है।  

एक बार पंडित भरतराम को किसी रिश्तेदार के यहां गांव से बहार जाना पड़ गया।  वह जाता हुआ अपने बड़े बेटे  हरिराम को समझा गया की हर रत उन नाग देवता के लिए दूध का कटोरा भर कर रख आना और सुबह उठकर उस कटोरे से सोने का सिक्का ले आया करना।  

हरिराम ने अपने पिता से यह बातें समझ ली।  उसे यह पता था की हमारा कला नाग इस दूध के बदले में सोने का सिक्का दिया करता है।  कितना  अच्छा है यह नाग।  न जाने इसके शरीर के अंदर करने  सिक्के और होंगे।  लगता है बहुत बड़ा खजाना इस काले  नाग के अंदर भरा पड़ा  है। रत को दूध का कटोरा रख कर हरिराम खेत में ही सो गया।  सुबह उठ कर उसने सोने का सिक्का उस कटोरे में डालते हुवे सांप को देखा तो अचानक हरिराम ने सोचा की मेरे पिताजी भी कितने पागल है जो हर रोज ही इस काले नाग को दूध पिलाते है।  अरे ! जब इसके अंदर सोने के सिक्के भरे परे है तो क्यों न इस काले नाग को मार कर एक दिन मे ही आमिर बना जाए।  सरे सिक्के एक ही दिन में मिल जांएगे तो दूध भी नहीं पिलाना पड़ेगा।  

लालच बहुत बुरी चीज है।  हरिराम लालच में हरिराम लालच में अंधा हो गया था।  वह बड़ा सा डंडा लेकर आया और उस काले नाग पर धारधार कई डंडा मारा।  

सांप मर गया। हरिराम ने उसका पेट फार कर सोने के सिक्का ढूंढने लगा , मगर उसके पेट में तो एक भी सिक्का नहीं था।  वास्तव में भाग्य बहुत बलवान होता है 

हरिराम ने लालच में आकर अपने आने वाले धन को भी खो  दिया।  इस लिए कहा गया है की इंसान को लालच नहीं करना चाहिए।   

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