panchatantra story in hindi
let’s start the topic panchatantra story in hindi
कहानी का शीर्षक
उचित परामर्श
अक्ल का करिश्मा
बिना विचार जो करे वो पछताए
नादान की दोस्ती
पिता और पुत्र
मांगने वाले से क्या मांगना
ज्यादा प्यार
उचित परामर्श
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक गाँव में उद्धत नाम का एक गधा रहता था। वह दिन भर धोबी का भार ढोने के बाद रात में स्वेच्छा से खेतों में घुमा करता था। सुबह होते ही वह अपने आप धोबी के पास आ जाता था।
एक रात खेतों में घूमते – घूमते उसकी जान पहचान एक गीदर से हो गई। वे दोनों मित्र बन गए। अब गधे के साथ गीदर भी खेत में जाने लगा। गधा खूब मोटा था , दोनों हर रात खेत पहुँच जाते और वहाँ पर रात भर भरपेट ककड़ी खाता। और सवेरे घर लौट आते।
एक रात गधा उमंग में था। वह ककड़ी खेत में गीदर से बात चीत करते हुवे बोला , भांजे ! आज तो निर्मल चाँदनी रात हैं। मेरा मन गाना गाने को कर रहा है। बताओं कौन सा राग छेड़ूँ ?
गीदर बोला , मामा ! क्यों मुसीबत मोल ले रहे हो। हम यहाँ चोरी करने आये है। इस लिए चुपचाप सावधानी से अपना काम करना चाहिए। चोरी करते समय खांसी भी नहीं आनी चाहिए। अगर खेत के रखवाले जग गए तो हमें पकड़कर मार डालेंगे। भला इसी में है की हम चुपचाप ककड़ी खाते है और यहाँ से चलते है।
गधा :- अरे ! तुम तो जंगली हो। तुम्हें क्या पता संगीत का आनंद क्या होता हैं।
गीदर :- मामा ! जोड़ जोड़ से रेंकने का मतलब संगीत नहीं होता है। ऐसा गाना गाने से तो हानि ही होगी।
गधा :- तुम तो एक दम मुर्ख हो। मैं संगीत शास्त्र का ज्ञाता हूँ। मुझे इसकी सभी बारीकियां याद हैं। सातों स्वर, विराम , नोरस और सभी भावों को जनता हूँ। तुम राग के बारे में मुझे जनता नहीं हैं। इसलिए मुझे रागी नहीं मनाता हैं।
गीदर :- मामा ! यदि यही बात है तो मैं आपको नहीं रोकूंगा। जैसा चाहे वैसा गाओ। मैं खेतों से बाहर रखवाली करता हूँ।
गीदर के जाने के बाद गधा ने अपना राग अलापना शुरू किया। खेत के रखवाले शोर सुनकर गुस्से में भागे आए और फिर लाठियों से गधा को मार – मार कर जमीन पर लेटा दिया। और उसके गले में सांकली बांध कर चले गए।
थोड़ी देर में गधा कष्ट के मारे कहराते हुवे उठ बैठा। और सांकल तोड़ कर भाग लिया गीदर दूर खरी तमाशा देख रहा था। गधे के पास आने पर मुस्कराकर बोला, मामा ! मेरा मना करने पर भी न माने इसलिए दंड मिला हैं।
किसी ने ठीक ही कहा है हमें दोस्त का उचित सलाह का तिरस्कार कदापि नहीं करना चाहिए
अक्ल का करिश्मा
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
किसी जंगल में बरगद के एक पुराने पेड़ पर कौवा – कौवी रहते थे। वह दोनों पति – पत्नी थे। दोनों में बड़ा प्यार था इसी प्रेम के कारन दोनों हर समय खुश रहते थे। उसी पेड़ की जड़ में एक काला सांप रहता था जो इन बेचारों के अंडों को हर बार खा जाता था। अपनी संतान की शक्ल देखने को तड़प रहे यह पति – पत्नी मन ही मन में सांप को गलियां देते रहते थे क्योंकि सांप के आगे उनका कोई बस नहीं चलता था। कमजोर प्राणी गलियों और बद – दुवाओं का सहारा ही तो लेता हैं। संतान के न होने के दुःख से वे हर समय चिंता के सागर में डूबे रहते।
कौवा जब अत्यंत दुःखी हो गया तो उसे याद आया की साथ वाले जंगल में उसका एक मित्र रहता है। जो ऐसे संकट के समय काम आ सकता हैं यही सोचकर कौवा अपने मित्र गीदर के पास गया और जाते ही अपनी दर्द भरी कहानी सुनाने लगा।
गीदर :- गीदर अपने मित्र कौवा की इस पीड़ा को अच्छी तरह समझ गया। उसे पता था। जिसके घर नदी के किनारे हों , उस गांव के निवासियों को हर समय दुःख ही रहता है। गीदर ने कौवे को धैर्य देते हुवे कहा – देखो भाई , तुम मेरे मित्र हो। मैं तुम्हें निराश तो नहीं होने दूंगा , फिर तुम जानते हो की गीदर जाती का दिमाग शैतान की गति से चलता हैं। अब तुम देखते जाओ की मैं उसे किस प्रकार से मरवाता हूँ। इसी समय तुम दोनों पति – पत्नी उड़ते हुए राजमल में जाओ और वहां से महारनी का सोने का कीमती हार उठा लाओ , बस आगे का काम मैं सब कर लूंगा। यह सांप दिमाग से मारा जायेगा , ताकत से नहीं।
गीदर की बात सुनते ही कौवा वहां से बड़ी तेजी के साथ उड़ा और अपने निवास स्थान से अपनी पत्नी को साथ ले राजमहल की ओर उड़ने लगा। दोनों। उड़ते – उड़ते राजमहल के पास पहुँचे तो उन्होंने महारानी को एक नदी में स्नान करते देखा। उसने अपने कीमती हार निकल कर दासी को दे दिया था। जो किनारे पर उसे हाथ में लिए बैठी थी। कौवे ने उसी समय अपनी पत्नी को इशारा किया की इससे अच्छा मौका जीवन में तुम्हें और कहाँ मिलेगा ? जाओ बड़ी होशियारी से उड़ती हुई उस हर को दासी के हाथ से छीन लाओ।
कौवी कौन सी चतुराई में कम थी। वह कौवे से भी पहले अपना दाँव मरने के लिए तैयार बैठी थी। कौवी बिजली की तरह तेजी से गई और उस दासी के हाथ से हार उड़ा लाई। दोनों उस हार को लेकर उड़ने लगे।
रानी ने जोर जोर से शोर मचाना शुरू कर दिया। हाय मेरा हार हाय मेरा हार चोरी हो गया।
पास ही जंगल में जो सैनिक रानी के रक्षा के लिए बैठा था। जैसे ही उनके कानो ने रानी की चीखने के आवाज सुनाई दिया। वह भागते हुवे आया। और रानी की बात सुनकर हार ढूंढने के लिए निकल पड़ा। सैनिक हार के तलाश में भाग रहे थे।
उधर गीदर ने कहा की इस हार को सांप के बिल में आधा अंदर और आधा बाहर करके रख दो। जैसे ही कौवे ने सांप के बिल पर हार को रखा ही था की झट से सांप बहार आया। उसी समय राजा के सैनिक भी आ गए।
उस सैनिक ने जैसे ही देखा की रानी का कीमती हार उस सांप ने चुराया हैं। क्रोध में आकर एक सैनिक ने सांप का गाला ही काट दिया। कौवा और कौवी दोनों ख़ुशी से नाचने लगे। कौवे ने अपने मित्र गीदर को धन्यवाद किया।
इसी लिए कहा जाता है बल से अधिक बलवान बुद्धि होती हैं
बिना विचार जो करे वो पछताए
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक बार की बात है वेद शर्मा नाम का एक ब्राह्मण था। उसके घर में बेटे का जन्म हुवा। उसी घर में एक नेवली भी रहती थी। उस नेवाली ने भी एक नेवले को जन्म दिया। नेवली तो मर गई , पर उसके बच्चे नेवले को वेद शर्मा और उसकी पत्नी ने पाल लिया।
वेद शर्मा की पत्नी जब अपने बेटे को दूध पिलाती तो नेवले के सामने भी दूध का कटोरा रख देती। वह बिल्कुल ऐसे पाल रहा था। जैसे परिवार का ही सदस्य हो।
एक दिन वेद शर्मा की पत्नी पानी लेने के लिए कुएं पर जाने लगी तो अपने पति से बोली :- बाबू बिस्तर पर सोया हुवा हैं। जरा ध्यान रखियेगा। कहीं नेवला काटे नहीं, वैसे तो कोई बात नहीं पर फिर भी नेवला तो नेवला ही हैं ना।
उसके जाने के बाद वेद शर्मा को बैठे – बैठे कोई काम याद आ गया। वह कुछ देर के लिए घर से बाहर चला गया।
तभी कहीं से काला सांप कमरे में आ गया नेवले ने देखा तो वह सांप से भीड़ गया। दोनों में जाम कार लड़ाई हुई। नेवले ने सांप के टुकड़े टुकड़े कार डाले और दरवाजे पर जा बैठा।
जब वेद शर्मा की पत्नी पानी लेकर लोटी तो उसने देखा दरवाजे पर नेवला बैठा हुआ हैं और उसके मुँह पर खून लगा हैं उसने सोचा की जरूर इसने मेरे बच्चे को काट खाया हैं। क्रोध में उसने जाल का भरा हुआ घड़ा नेवले पर पटक दिया , नेवला वही ढेर हो गया।
रोती चिल्लाती जब वह अंदर पहुँची तो वहां कुछ और ही नजारा देखा।
बच्चा बिस्तर पर मजे से खेल रहा था। और नीचे एक सांप के टुकड़े – टुकड़े हुए पड़े थे। अब उसकी समझ में पूरी बात आ गई।
नेवले ने बच्चे को बचाने के लिए सांप को मार डाला था। वेद शर्मा की पत्नी को बहुत दुःख हुआ की उसने बिना सोचे समझे , बिना सही बात को जाने – बुझे नेवले को मार दिया।
इसी लिए कहते हैं बिना विचार किये जो करे पछताए।
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नादान की दोस्ती
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक बार की बात एक राजा की अंगरक्षाक एक बन्दर था। वह राजा का भक्त था। वह राजा का विश्वासपात्र होने के कारण महल में कही भी बिना रोक टोक के आ जा सकता था।
एक दिन राजा के सो जाने पर , वह पंखे से राजा को हवा कर रहा था। इसी बीच एक मक्खी राजा के नाक पर आ बैठा। बन्दर ने पंखे से उसे उड़ाना चाहा पर वह बार – बार आकर बैठ जाता था। इसी बात पर बन्दर को गुस्सा आ गया।
बन्दर चंचल और मुर्ख था। उसने तेज धार वाले तलवार को उठा कर मक्खी पर जोर दार प्रहार किया। फिर क्या ? मक्खी तो उर गई। और तलबार राजा के नाक पर धस गया। और राजा का तत्काल मृत्य हो गया।
इसी लिए कहते हैं नादान से दोस्ती मृत्यु को दावत देना होता हैं।
पिता और पुत्र
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक जवान बाप अपने छोटे पुत्र को गोद में लिए बैठा था। कहीं से उड़कर एक कौवा उनके सामने खपरेल पर बैठ गया। पुत्र ने पिता से पूछा :- यह क्या है पिताजी ?
पिता :- कौवा हैं बेटा।
पुत्र ने फिर पूछा- यह क्या है पिताजी , पिताजी ने फिर कहा – कौवा है बेटा।
पुत्र बार बार पूछता यह क्या हैं पिताजी – और पिता बार – बार स्नेह से कहता कौवा है बेटा।
कुछ वर्षो बाद जब पुत्र बड़ा हुआ। और उनका पिताजी बूढ़ा हो गया था।
एक दिन पिता चटाई पर बैठा था। घर में कोई उनके पुत्र से मिलने आया।
पिता ने पूछा कौन आया हैं बेटा – पुत्र ने बता दिया। थोड़ी देर में फिर कोई आया और पिता ने फिर पूछा – कौन आया है।
इस बार पुत्र झल्लाकर बोला – आप चुपचाप पड़े क्यों नहीं रहते। आपको कुछ करना धरना तो कुछ है नहीं। कौन आया ? कौन गया ? यह टाय – टाय क्यों दिन भर लगाए रहते हैं।
पिता ने लम्बी साँस खींची। हाथ से सिर पकड़ा। बारे दुःख भरे स्वर में धीरे धीरे कहने लगे – मुझसे बार बार पूछते थे। पिता जी यह क्या है।यह क्या है पर मैंने कभी तुम्हें झिक्कारा नहीं।
अपने माता पिता का तिरस्कार करने वाले ऐसे लडके बुरे माने जाते है। तुम सदा इस बात का ध्यान रखो की माता पिता ने तुम्हारे पालन पोषण में कितना कष्ट उठाया हैं और तुमसे कितना स्नेह किया है।
मांगने वाले से क्या मांगना
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक बार एक राजा अपने शिकार के तलाश में अपनी राजधानी से काफी दूर निकल गए। भूख प्यास से व्याकुल वह किसान के झोपड़े पर पहुंचा। किसान ने बादशाह को मकई के रोटी और सरसो का साग खिलाई। उसके बाद छाछ पीकर राजा तृप्त होकर बोला – देखो चौधरी। मैं बादशाह हूँ। यदि तुम्हें कोई काम परे तो तुम बिझिझक मेरे पास आ जाना। मुझे तुम्हारी मदद कर बरी प्रसन्ता होगी। मुझे क्या काम पड़ेगा ? लगान मैं देता ही हूँ
किसान ने बड़े आत्मविशवास के साथ बादशाह को उत्तर दिया।
अचानक देश में अकाल पड़ गया। किसान अपनी पत्नी के आग्रह पर बादशाह के दरबार में पहुँचा। बादशाह ने पहचान कर किसान को अपने पास बुलाया। लेकिन अभी हाल चाल पूछ ही रहा था की नमाज का समय हो गया।
बादशाह मुस्सला बिछाकर नमाज पड़ने लगा। इबादत के समय बादशाह ने दोनों हाथ उठाकर खुदा से दुआ माँगी। किसान शांत बैठा सब कुछ देख रहा था। उसने बादशाह से पूछा की नमाज के समय आप हाथ उपर उठाकर क्या कर रहे थे ?
बादशाह ने कहा – मैं खुदा से दुआ माँग रहा था। की मेरे राज्य में सुख शांति रहे। खुदा धन दौलत दे और मैं तथा मेरे परिवार के लोग स्वस्थ रहे।
किसान – क्या दुआ करने से खुदा देता हैं ? किसान ने आशचर्य होकर पूछा ?
बादशाह – यह सब शनतशौकत , राजपाट खुदा का ही देन हैं
यह सुनकर किसान ने कहा – तब तो मैं अपने गांव जाता हूं। आपने जो प्रेम भाव दिखाया , इसके लिए बहुत – बहुत धन्यवाद।
बादशाह – लेकिन तुम आये किस काम से थे। वह तो बताया ही नहीं।
बादशाह सलामत ! मैं तो आया था आपसे कुछ मदद माँगने , पर जब देखा की आपको भी खुदा से माँगना परता है , तो फिर मैंने सोचा की मैं भी उसी से क्यों न माँगू। जिससे आप मंगाते है। जो खुद ही माँग रहा हो उससे क्या माँगना। इतना कहकर किसान अपने गाँव लोट गया।
ज्यादा प्यार
panchatantra story in hindi पंचतंत्र की मशहूर कहानियां
एक दिन ईशा और उनके शिष्यों ने देखा की एक गडरिए ने बड़े प्यार से एक छोटी भेड़ को अपने कंधे से उतारा , उसे नहलाया , उसके बाल सुखाए और फिर हरी मुलायम घास खाने को दिया। जब भेड़ उस घास को खा रही थी , तब गडरिये बड़े ख़ुशी के साथ भेड़ की तरफ देख रहा था।
ईशा गडरिये के पास ही बैठे विश्राम कर रहे थे। उन्होंने मुस्कुराते काडरिये को देखकर पूछा, तुम इतना खुश क्यों हो रहे हो।
गडरिये ने कहा – महात्मन यह भेड़ जंगल में प्राय: हमेशा भटक जाती हैं। मेरे पास सौ भेड़े हैं। वे सब सीधे घर आती हैं। इसलिए इसे इतना प्यार देता हूँ की यह फिर कही भटके नहीं।
यह सुनकर ईशा ने अपने शिष्यों से कहा – सुनो अपने भटके हुवे भाइयों के साथ हमें भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए , जैसे – गडरिये अपने नन्ही भेड़ के साथ करता हैं।
जो लोग अपनी राह से भटक गए हैं। उन्हें प्यार ही वापस रस्ते पर ला सकते है।
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