sardar vallabhai patel in hindi
sardar vallabhai patel in hindi
सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में
जन्म -31 अक्टूबर 1857 को गुजरात के खेड़ा जिले के करमसद नामक गांव में हुआ था।
पिता का नाम – झुबेर भाई पटेल था
मृत्यु- 5 सितंबर 1950 ई
Sardar Patel biography in Hindi
सरदार वल्लभभाई पटेल जिनका जन्म 31 अक्टूबर 1857 को गुजरात के खेरा जिले के करमसद गांव की एक ऐसे परिवार में हुआ था जो अपनी देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध था, भारत के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा किया गया कार्य सदा स्मरणीय रहेगा। सरदार वल्लभभाई पटेल स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे सेनानायक थे। जिनका नेतृत्व बहुत ही सुदृढ़ था। अखंड भारत का स्वप्न को जीवित रखने वाला एकमात्र, लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को कहा जाता है। जिन्होंने भारत के एकीकरण के लिए अपने कुशल नेतृत्व और कुशल कूटनीतज्ञ , सुदृढ़ एवं सशक्त सेना नायक का परिचय दुनिया को दिया था।
सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे सेनानायक थे जिनका का वर्चस्व नेहरू के मुकाबले कहीं अत्यधिक था, बल्लभ भाई पटेल जिनके अंदर प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी उनका शानदार लीडरशिप कुशल नेतृत्व ने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई।
सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार बल्लभ भाई पटेल एक साधारण से परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी इतिहास के पन्नों में सदैव स्मरणीय रहेगा वल्लभ भाई पटेल को देशभक्ति की प्रेरणा उन्हें उनके पिताजी से मिलता था उनका पिता का नाम श्री झबेर भाई पटेल था। जिन्होंने 1857 के स्वतंत्र संग्राम में झांसी की रानी के सेना में भर्ती होकर अंग्रेजों के साथ लोहा लिया था
राष्ट्रीय एकता में सरदार पटेल का योगदान
sardar vallabhai patel in hindi
सरदार वल्लभभाई पटेल यह वो नाम है। जिन्होंने अपने राष्ट्र की एकता के लिए वो कर दिखाया जो बाकी लोगों को असंभव और नामुमकिन सा लगता था। जब देश आजाद हुआ था। देश कई अनगिनत देसी रियासतों में विभाजित था। हर रियासत अपना एक स्वतंत्र प्रांत चाहता था। तभी सरदार वल्लभभाई पटेल देश के गृह मंत्री के तौर पर भारतीय सेना का कुशल नेतृत्व किया, अपने कुशल कूटनीति एवं भारतीय सेना के कुशल नेतृत्व के जरिए रियासतों को भारत में विलीन होने पर मजबूर किया
सरदार वल्लभभाई पटेल
ऐसा कहा जाता है कि सरदार वल्लभभाई पटेल जब देश के 534 रियासतों में से 531 रियासतों को भारत में विलय कर चुके थे। बचे 3 रियासतें ऐसे थे। जो भारत में किसी भी कीमत पर विलय नहीं चाहते थे। जिनमें गोवा, जूनागढ़ एवं हैदराबाद था। इनमें से हैदराबाद और जूनागढ़ पाकिस्तान के साथ अपना विलय चाहता था। जबकि गोवा अपना खुद का देश चाहता था। ऐसे विकट परिस्थितियों में भी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इन रियासतों को घुटने टेकने पर मजबूर किया और फिर इन रियासतों को भारत के साथ विलय होना पड़ा।
सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल अत्यंत राष्ट्रवादी व्यक्ति थे उनका स्वभाव में असाधारण दृढ़ता था उन्हें कोई विचलित नहीं कर सकता था वे जो निश्चय कर लेते थे उसे पूरा करके ही छोड़ देते हैं। फिर चाहे कश्मीर में मुहाजीदो से टक्कर हो या हैदराबाद के निजाम से मुकाबला हर क्षण वे राष्ट्र के हित में स्पष्ट निर्णय लेने का साहस रखते थे। नेहरू जी ने अपनी हठ नहीं दिखाई होती तो आज संपूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होता
सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष क्यों कहा जाता है
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आधुनिक भारत का निर्माता एवं भारत के एकीकरण में अपना सर्वस्व निछावर करने वाला एकमात्र नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल ही था जिनका दृढ़ संकल्प ने राष्ट्र को एक सूत्र में बांधकर अखंड भारत का सपना पूरा किया अंग्रेज जब देश छोड़कर जा रहे थे तब देश 534 देसी रियासतों में बटा हुआ था। ऐसे में हर रियासतें अपना एक अलग मुल्क चाहता था। ऐसे में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सेना के कुशल नेतृत्व एवं कूटनीति के जरिए सभी रियासतों को भारत में विलय होने पर मजबूर किया और फिर अखंड भारत का सपना पूरा किया असंभव और नामुमकिन सा लगने वाला कार्य को भी सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपनी बुद्धिमता के जरिए कार्य को संभव कर दुनिया को चौंका दिया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु कब हुई थी
देश का दुर्भाग्य था कि क्रूर काल ने लोह पुरुष को हमसे छीन लिया 5 सितंबर 1950 को देश के लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने सदा के लिए अपना आंखें बंद कर लीं।
सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेरणा के स्रोत क्यों है
सरदार वल्लभ भाई पटेल आजादी के बाद बहुत कम समय अपने देश को समर्पित कर पाए और फिर वह हमेशा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं परंतु जितना कार्य उसने आजादी के 3 वर्षों में कर दिखाया एक साधारण व्यक्ति पूरी जीवन में भी नहीं कर सकता। अपना हर क्षण राष्ट्र को समर्पित करने वाले वल्लभ भाई पटेल कुछ वर्ष और जीवित रहते हैं तो आज भारत की भविष्य कुछ और होता।
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