MP News: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार को राज्य के कर्मचारियों और अधिकारियों की मांगों का समाधान निकालने के लिए 16 फरवरी तक का समय दिया गया है। अगर इस अवधि के भीतर उनकी 51 सूत्रीय मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो 4 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे।
कर्मचारियों का आंदोलन और रणनीति
मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर चार चरणों में आंदोलन की योजना बनाई थी, जिनमें से दो चरण पूरे हो चुके हैं।
- 7 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन
- 16 फरवरी को भोपाल के अंबेडकर पार्क में प्रदेशव्यापी प्रदर्शन
- मांगें पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल
संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने साफ कहा है कि सरकार को अब जल्द से जल्द उनकी मांगों पर विचार करना होगा।
सागर में हुई बैठक, बड़ा निर्णय लिया गया
रविवार, 2 फरवरी को सागर में आयोजित मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की बैठक में आगामी रणनीति तैयार की गई। बैठक में प्रदेश भर के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए और सरकार पर दबाव बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाने पर सहमति बनी।
संयुक्त मोर्चा का कहना है कि अब तक सरकार ने उनकी मांगों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है, जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें
संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र निगम के अनुसार, प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया को शीघ्र लागू किया जाए।
- पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
- लिपिक संवर्ग को मंत्रालय के समान ग्रेड पे और वेतनमान दिया जाए।
- शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता का लाभ मिले।
- सभी संवर्गीय कर्मचारियों के वेतनमान में सुधार किया जाए।
- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदनाम और वेतनमान में सुधार किया जाए।
- संविदा कर्मचारियों, कोटवार, अंशकालीन कर्मचारी, स्वास्थ्य कर्मचारी और वन विभाग के कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित किया जाए।
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महंगाई भत्ते और अन्य भत्तों की मांग
प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र निगम ने आगे बताया कि सरकार को जल्द से जल्द लंबित महंगाई भत्ते (DA) का भुगतान करना चाहिए। मकान भाड़ा और अन्य सुविधाओं को लागू करने के लिए भी आदेश जारी किए जाने चाहिए।
सांसदों और विधायकों को सौंपा मांग पत्र
मध्यप्रदेश के अधिकारी-कर्मचारियों ने 24 जनवरी को सभी सांसदों और विधायकों को अपनी 46 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। इसके तहत:
- 16 जनवरी को कलेक्टर्स को मांग पत्र दिया गया था।
- 7 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा।
- 16 फरवरी को संभागीय मुख्यालयों में बड़े स्तर पर आंदोलन होगा।
सांसदों ने दिया समर्थन
सतना जिले में कर्मचारियों ने सांसद गणेश सिंह को ज्ञापन सौंपा, जिन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा कर जल्द समाधान निकालने का आश्वासन दिया। इस दौरान कर्मचारियों और अधिकारियों के विभिन्न संगठन भी मौजूद रहे।
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सरकार पर दबाव बढ़ा, समाधान होगा या टकराव?
अब सवाल यह है कि क्या मध्य प्रदेश सरकार कर्मचारियों की मांगों को मानकर आंदोलन को टालने की कोशिश करेगी, या फिर राज्य में एक बड़ा प्रशासनिक संकट खड़ा होगा? सरकार का अगला कदम इस आंदोलन की दिशा तय करेगा।