मध्य प्रदेश शासन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर्स को एक आदेश जारी किया है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड को केवल पहचान के दस्तावेज के रूप में ही मान्यता दी जाएगी। इसे आयु प्रमाण के दस्तावेज के रूप में मान्य नहीं किया जा सकता। यह निर्देश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के 8 नवंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में दिया गया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने स्पष्ट किया कि न्यायालय के आदेश के अनुसार, आधार कार्ड का उपयोग केवल पहचान प्रमाण के रूप में किया जा सकता है। इस संबंध में सभी प्रशासनिक इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि वे इस आदेश का पालन सुनिश्चित करें।
इस कदम का उद्देश्य आधार कार्ड के उपयोग को सही संदर्भ में रखना और किसी भी प्रकार की गलत व्याख्या से बचना है। न्यायालय ने यह भी कहा कि आधार कार्ड को आयु प्रमाण के रूप में इस्तेमाल करना वैध नहीं है।
यह निर्देश प्रदेश में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आधार कार्ड का उपयोग उसके मूल उद्देश्य के अनुसार ही हो।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला: आधार कार्ड पहचान का दस्तावेज, उम्र का प्रमाण नहीं
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि आधार कार्ड केवल पहचान का प्रमाण है, न कि उम्र का दस्तावेज। इस फैसले को राज्य के मुख्य सचिव तक पहुंचाने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं।
यह मामला नरसिंहपुर जिले की सिंहपुर पंचायत की निवासी सुनीता बाई साहू द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। याचिका में उन्होंने बताया कि उनके पति, मोहनलाल साहू, की मृत्यु करंट लगने के कारण हुई थी। इस घटना के बाद उन्होंने सरकारी योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था।
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कोर्ट ने इस संदर्भ में राज्य के मुख्य सचिव को सभी जिला कलेक्टरों को इस निर्णय से अवगत कराने का आदेश दिया। हाईकोर्ट का यह निर्देश स्पष्ट करता है कि आधार कार्ड पहचान का एक प्रमाण पत्र है, लेकिन इसे उम्र का प्रमाण नहीं माना जा सकता।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कैंट बोर्ड, जबलपुर को आदेश दिया है कि वे याचिकाकर्ता कर्मी को वार्षिक वेतनवृद्धि का लाभ प्रदान करने पर उचित निर्णय लें। न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को 10 दिनों के भीतर कैंट सीईओ को ताजा आवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कैंट सीईओ को 30 दिनों में आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। यह याचिका जबलपुर निवासी सुरेश कुमार द्वारा दायर की गई थी। अधिवक्ताओं ने बताया कि सुरेश 2001 से कैंट बोर्ड में सफाई कर्मचारी हैं और वेतनवृद्धि के हकदार हैं। याचिकाकर्ता को उत्कृष्ट कर्मचारी का पुरस्कार भी मिल चुका है। याचिका में कहा गया कि कैंट बोर्ड में आवेदन प्रस्तुत करने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके कारण याचिका दायर की गई।
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