उत्तर प्रदेश के प्रयागराज ज़िले के कटका गांव में हाल ही में एक बादल के ज़मीन पर गिरने की खबर ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी। वीडियो में एक सफेद रुई जैसे गुब्बारे को आसमान से नीचे गिरते देखा गया, जिसे गांव वालों ने बादल का टुकड़ा बता दिया। लेकिन जब सच सामने आया, तो लोगों की आंखें खुली की खुली रह गईं।
देखें क्या हुआ था असल में?
24 जून को कटका गांव में ग्रामीणों ने देखा कि एक सफेद, रुई जैसी वस्तु हवा में तैरती हुई खेतों की तरफ आ रही है। कुछ ही देर में यह ज़मीन पर गिर गई, और फिर पूरे गावं में हड़कंप मच गया और लोग दौड़-दौड़कर बदल के पीछे मौके पर पहुंचे। मौके पर उपस्थित लोगों ने उसे छूने की कोशिश की तो किसी ने वीडियो बना लिया।
बादल गिरने का वीडियो हुआ हुआ वायरल
इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स (ट्विटर) पर जैसे ही वीडियो शेयर हुआ, हजारों लोगों ने इसे ‘आसमान से गिरे बादल’ का नाम दे दिया। कई यूज़र्स ने तो इसे 2026 में दुनिया खत्म होने की अफवाहों से जोड़ते हुए कहा कि “अब गजब होगा!”
लेकिन कुछ लोगों ने सच्चाई को उजागर करने का जिम्मा उठाया और वीडियो को फेक बताया।
असलियत में वो बादल नहीं, नदी का झाग था
जब घटना की पड़ताल हुई तो सामने आया कि वो बादल नहीं, पास की नदी/नाले से उठता झाग था। दरअसल, यह झाग नाले में मौजूद डिटर्जेंट, केमिकल्स और गंदगी से बना था जो तेज़ हवा में उड़ता हुआ खेतों तक आ पहुंचा। धूप और हवा ने इसे ऐसा रूप दे दिया कि वो बिल्कुल रुई जैसे बादल की तरह नजर आने लगा।
हलाकि ग्रामीणों और मौके पर उपस्थित लोगों, वीडियो देखने वालों का भ्रम स्वाभाविक था। लेकिन वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो यह एक आम प्राकृतिक घटना है।
देखें क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, नदियों में अत्यधिक प्रदूषण और साबुन/डिटर्जेंट के कारण झाग बनता है, जो गर्मी और हवा में उड़ सकता है। ऐसे मामलों को देखकर डरने या अफवाह फैलाने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि प्रदूषण की गंभीरता पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
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इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सोशल मीडिया पर बिना पुष्टि के किसी भी चीज़ को सच मान लेना भारी पड़ सकता है। जो लोग इसे ‘अलौकिक चमत्कार’ मान बैठे थे, उन्हें अब समझ आ गया कि आंखों देखी भी हमेशा सच्चाई नहीं होती।
“आसमान से बादल गिरा” एक अफवाह थी।असल में, वो झाग था जो प्रदूषण और हवा की वजह से आसमान में उठा और ज़मीन पर गिर गया। ये घटना लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है हम अपने पर्यावरण के साथ क्या कर रहे हैं?
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