बेटी को नहीं मिलेगा पिता की सम्पति पर हक़, जान लीजिये बेटी संपत्ति के लिए कब कर सकती है दावा

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं कि एक बेटी का अपने पिता की संपत्ति पर कितना अधिकार हो सकता है और बेटी अपने पिता की संपत्ति पर दावा कब कर सकती है। भारत देश में हर दिन संपत्ति को लेकर कोई न कोई विवाद होता रहता है और यह विवाद कभी कभी इतना उग्र रूप ले लेती है कि इसमें पूरा परिवार बिखर जाता और कई जिंदगी बर्बाद होती है। ऐसे ही विवादों का निपटारा करने के लिए भारतीय संविधान में कानून को उल्लेख कर दिया गया है चलिए आइये इस विषय पर हम विस्तार से समझते हैं। 

हमने कई बार बहुत से ऐसे विवाद देखें हैं जिनमें व्यक्ति अपनी संपत्ति का वसीयत नहीं लिख पाटा और मर जाता है उस स्थिति में अक्सर संपत्ति को लेकर परिवार में विवाद उत्पन्न हो जाता है। परन्तु कई बार तो ये भी देखा गया है कि व्यक्ति द्वारा अगर वसीयत लिख दी गई है तो भी उस वसीयतनामे का पालन नहीं किया जाता और परिवार में विवाद की स्थिति बन जाती है जो अंततः कानूनी प्रक्रिया बन जाती है। 

अगर व्यक्ति जीवित है या मर जाता है उसने वसीयत नामा लिखा है या नहीं लिखा है इन सभी के संबंध में भारतीय संविधान में संपत्ति विरासत में स्पष्ट कानून है कि कौन किस संपत्ति का हकदार है और कौन नहीं। लेकिन, इसके बावजूद ज्यादातर मामलों में बेटियों को बेटों की तुलना में उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है। आज हम बात करेंगे कि बेटियां कब अपने पिता की संपत्ति पर अपना हक जता सकती हैं।

अधिनियम 1956 के तहत 

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में किए गए संशोधन के अनुसार बेटियों को पिता की संपत्ति बराबरी से पाने के लिए कानूनी अधिकार दिया गया है। इस संशोधन के बाद बेटी का भी पिता की संपत्ति पर बेटे के समान अधिकार होगा। यह कानून 1956 में संपत्ति पर अधिकार का दावा करने के लिए बनाया गया था।

अगर पिता अपने नाम की संपत्ति जैसे बंगला, जमीन, बिल्डिंग अपनी मर्जी से किसी व्यक्ति और या किसी ट्रस्ट के नाम करना चाहे तो वह कर सकता है यहाँ तक की पिता अपनी खुद की कमाई हुई संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को भी दे सकता है इसका मतलब यह है कि पिता अगर बेटी को अपनी संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार करता है तो बेटी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती।

किन्तु यहाँ पर अधिनियम के तहत यह भी बताया गया है कि यदि पिता ने जीवित रहते अपनी संपत्ति को बेटों या पोतों के नाम कर दिया है तो बेटियों को इस पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन बिना वसीयत लिखे पिता की मृत्यु हो गई है तो बेटों की तरह बेटियों का भी मृत पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार माना जायगा। इतना ही नहीं इस सम्पत्ति पर मृतक के पत्नी, बच्चे और मां सभी का बराबरी से अधिकार माना गया है।

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  • Srajan Thakur

    मेरा नाम सृजन है और मुझे लिखना काफी पसंद है। मैं एक जिज्ञासु वक्तितित्व का हूँ इसलिए मैं सम्पूर्ण विषयों के ऊपर लेख लिखने में सक्षम हूँ। में एक पूर्ण रूप से लेखक कहलाता हूँ।

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