जय हिन्द दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं पुरानी पेंशन योजना और नयी पेंशन योजना के अंतर के बारे में क्योंकि पूरे भारत में लगातार सरकारी कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने की मांग बढ़ती ही जा रही है। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है वहां पर तो कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर आये दिन हड़ताल कर रहे हैं जबकि केंद्र सरकार और भाजपा शासित सभी राज्य नई पेंशन योजना को बढ़ावा देने में लगी है।
दूसरी तरफ दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब भाजपा के विरोधी राज्य सरकारें आगामी विधानसभा चुनाव के चलते अपने यहां पुरानी पेंशन योजना को दोबारा बहाल करने का फैसला किया है और यही बात कर्मचारियों को काफी ज्यादा पसंद आ रही है और भाजपा सरकार से भी वो लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। देखा जाय तो देश के ज्यादातर कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना में ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं। इसी सिलसिले में आज हम पुरानी पेंशन और नई पेंशन योजना दोनों के बारे में जानने वाले हैं।
पुरानी पेंशन योजना
भारत सरकार पुरानी पेंशन योजना के तहत साल 2004 से पहले अपने शासकीय कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी यह पेंशन कर्मचारियों के वेतन पर आधारित होती थी। कर्मचारियों के वेतन से पुरानी पेंशन योजना में पैसा नहीं काटा जाता था और पुरानी पेंशन योजना के सबसे खास बात कि रिटायर कर्मचारी की मृत्यु हो जाने के बाद भी उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी। आइये अब हम कुछ बिंदुओं द्वारा इसे समझते हैं –
पुरानी पेंशन स्कीम के फायदे
- पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
- पुरानी पेंशन योजना में अगर रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु हो जाए तो उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती है।
- पुरानी पेंशन योजना में पेंशन देने के लिए कर्मचारियों के वेतन से किसी भी तरह की कटौती नहीं होती है।
- पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों की अंतिम बेसिक सैलरी का 50% राशि तक पेंशन के रूप में दिया जाता है।
- पुरानी पेंशन योजना के जरिये रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता और मेडिकल बिलों की रिम्बर्समेंट की सुविधा भी दी जाती है।
- पुरानी पेंशन योजना रिटायर्ड हुए कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम दी जाती है।
नयी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना समाप्त करने के बाद साल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नयी पेंशन योजना को मंजूरी दी गयी थी। नयी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को उनके योगदान के आधार पर पेंशन मिलता है। आसान भाषा में समझिए कि कर्मचारी का बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते 10 फीसदी हिस्सा काट कर पेंशन फंड में इन्वेस्ट किया जाता है।
योजना के तहत पेंशन हासिल करने वालों को 40 फीसदी निवेश करना अनिवार्य होता है इस वजह से सरकारी कर्मचारी इस नयी योजना को बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं मानते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से शेयर मार्केट के उतार चढ़ाव पर आधारित है।
नयी पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना को लेकर आप सभी की क्या राय है आपको दोनों में से कौन सी योजना सही लगती हमें कमेंट करके जरूर बताएं अधिक जानकारी के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहें धन्यवाद।
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