Tarbandi Yojana: मध्य प्रदेश सरकार की तारबंदी योजना

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Tarbandi Yojana MP: मध्य प्रदेश सरकार की तारबंदी योजना किसानों की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने का एक सुनहरा अवसर है। लेकिन सवाल ये है — यह मौका कितने किसानों तक पहुँच पाया है? आइए आज जानें कि कैसे यह योजना काम कर रही है, किन कारणों से पिछड़ रही है, और क्या समय रहते इसे सही दिशा मिलेगी।

तारबंदी योजना क्या है?

मध्य प्रदेश सरकार ने खेती करने वाले किसानों के लिए तारबंदी योजना की शुरुआत की है। जिन किसानों की फसल जंगली जानवरों या आवारा पशुओं के हमले के जोखिम में है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत किसान अपने खेतों के चारों ओर तार-फेंसिंग लगवाकर फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, 1000 मीटर की फेंसिंग की लागत लगभग 3 लाख रुपये होती है। जिसमें सरकार लगभग आधा खर्च वहन करती है।

तारबंदी योजना लाभ और आवेदन प्रक्रिया

तारबंदी योजना का उद्देश्य स्पष्ट है- किसानों को उनके खेतों में तार-बंदी के माध्यम से सुरक्षा देना ताकि जानवरों के कारण होने वाला नुकसान कम हो। इस तारबंदी योजनाके तहत अधिकांश जिलों में आवेदन ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वीकार किए जा रहे हैं।

तारबंदी योजना में आप ऑनलाइन पोर्टल https://farmer.mpdage.org/Home/Index के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और कृषि कार्यालय में जाकर ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। इस योजना में आवेदन करते समय किसानों को खसरा-खतौनी, बैंक पासबुक, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज प्रस्तुत करना होता है।

तारबंदी योजना की कठिनाइयां

तारबंदी योजना तो मौजूद है, लेकिन बड़ी संख्या में किसानों तक लाभ नहीं पहुँच पा रहा है — इसके कई कारण हैं जैसे:-

  • जानकारी की कमी: तारबंदी योजना की फायदेमंद बातें गाँव-पंचायत स्तर तक नहीं पहुंच रही।
  • दस्तावेज़ की बाधाएँ: तारबंदी योजना में आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज पूरे न होने से आवेदन रुक रहे हैं।
  • बजट एवं क्रियान्वयन में देरी: फेंसिंग लगाने के लिए अनुदान समय पर जारी नहीं हो पाता।
  • चयन प्रक्रिया या ऑनलाइन पोर्टल में अड़चनें: कभी-कभी पोर्टल या चयन में देरी होती है।

उद्यानिकी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, तारबंदी योजना के अंतर्गत फेंसिंग का खर्च प्रति मीटर लगभग 300 रुपये का है। परन्तु कई जिलों में इस लक्ष्य को पूरा करना अभी बाकी है। कुछ किसानों ने बताया है कि उन्हें आवेदन के बाद इंतज़ार करना पड़ा और फेंसिंग काम अधूरी रह गई। यह संकेत है कि योजना का “वादा” और “हकीकत” के बीच एक खाई बनी हुई है।

तारबंदी योजना में अगला चरण 

अगर इस तारबंदी योजना को सफल बनाना है तो नीचे दिए गए कदम महत्वपूर्ण होंगे:

  • स्थानीय कृषि कार्यालय, ब्लॉक-पंचायत स्तर पर जागरूकता बढ़ाना।
  • आवेदन प्रक्रिया को सरल और दस्तावेज़-मुक्त बनाना।
  • चयन एवं अनुदान जारी करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  • नियमित समीक्षा एवं फॉलो-अप करना ताकि खेतों में फेंसिंग पूरी हो और कामयाबी दिखे।

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मेरा नजरिया

किसानों में तारबंदी योजना को लेकर उम्मीद है, लेकिन इंतज़ार और अनिश्चितता ने उनकी उत्सुकता में कुछ कमी लाई है।
मैं उदय पटेल एक लेखक होने के तौर पर मेरी राय में — यदि सरकार समय सीमा तय करके, सतर्कता रखा और क्रियान्वयन-मीटर लगाती है, तो यह योजना असल में किसानों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। लेकिन वहीं, केवल घोषणाओं पर निर्भर रहने से किसानों का भरोसा चोट खा सकता है।

अगर आप किसी जिले के किसान हैं या आपके जानने में ऐसा किसान है — तो कमेंट में बताइए कि आपकी स्थिति क्या है?
और ऐसी ही योजनाओं व उनके कार्यान्वयन की खबरों के लिए जुड़े रहें अपना कल न्यूज़ के साथ — अपनी राय जरूर शेयर करें।

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