Speech For Teachers Day In Hindi शिक्षक दिवस प भाषण2021

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speech for teachers day in hindi:- शिक्षक दिवस पर एक शानदार भाषण आइए हम जानते हैं कि शिक्षक दिवस हम क्यों मनाते हैं और शिक्षक दिवस का हमारे जीवन में क्या महत्व है, कैसे एक आदर्श शिक्षक के बिना हमारे जीवन का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता है
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भारत में शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। इनका मकसद हमारे जीवन में शिक्षक के महत्व को बताना है, क्योंकि शिक्षक हमारे लिए माता-पिता स्वरूप होता हैं। एक शिक्षक के छत्रछाया में रहकर ही हम अपने वास्तविक शक्ति से परिचित हो पाते हैं, हम अपनी बौद्धिक क्षमता और कुशलता का विकास करते हैं, एक शिक्षक के मार्गदर्शन से ही हम अपने अंदरूनी शक्ति से परिचित हो पाते हैं, ज्ञान जैसे महत्वपूर्ण पूंजी को अर्जित कर पाते हैं, एक सुदृढ़ समाज और एक प्रबल राष्ट्र के निर्माण में भी शिक्षक का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। हर वर्ष 5 सितंबर को हम अपने आदर्श स्वरूप शिक्षक की योगदान एवं प्रतिष्ठा को सम्मानित करने के लिए शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। 
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर ही टीचर्स डे क्यों मनाते हैं
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित और व्या ख्याति प्राप्त शिक्षक भी थे। उन्होंने देश के अंतर्गत 40 वर्षों तक कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अध्यापक का काम किए। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए कई पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया भारत रत्न,  नाइट बैचलर, टेंपलटन एवं ऑडर ऑफ़ मेरिट
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था, कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिनके जरिए हमारा मस्तिष्क का विकास होता है शिक्षा के माध्यम से हमारे जीवन में उन्नति के अनेकों मार्ग खुलते हैं शिक्षा ना केवल हमारे आंतरिक गुणों को विकसित करता है बल्कि समाज और राष्ट्र को सुदृढ़ एवं प्रबल बनाने का भी काम करती है शिक्षा हमारे जीवन का आईना है जो हमें कटु सत्य से परिचित करवाती है। 
शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा हमारे देश में 5 सितंबर 1962 से शुरू हुई थी। क्योंकि 5 सितंबर को हमारे देश में आदरणीय और प्रतिष्ठित व्यक्ति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति रह चुके हैं उनका जन्म 5 सितंबर 1888 ई को तमिलनाडु के तिरुनामी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में उनकी बहुत अत्यधिक रूचि थी, स्वामी विवेकानंद को अपने जीवन का आदर्श मानते थे, जिनके वजह से डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन में स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रभाव हमेशा से बहुत ही असरदार रहा। वे हमेशा से भारतीय संस्कृति का संवाहक, प्रख्यात शिक्षावादी, एक महान दार्शनिक और एक प्रतिष्ठित हिंदू विचारक भी थे।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन में कई वर्षों तक एक आदर्श शिक्षक की भूमिका देश के अंदर निभाई है वह एक आदर्शवादी शिक्षक के साथ-साथ आशावादी और प्रतिष्ठित नेताओं में से एक था। वह हिंदू विचारधारा की प्रवक्ता भी था, साथ-साथ देश की सभ्यता और संस्कृति के मूल्य का मूल्यांकन अपनी विचारधारा में हमेशा करते रहते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की गौरव एवं प्रतिष्ठान को गौरवान्वित करने में लगा दिया।
शिक्षक दिवस के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बनाते हैं
भारत में शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस हमारे देश में शिक्षक की भूमिका को प्रोत्साहित, उनकी की प्रतिष्ठा और उनकी योगदान को सराहनीय के लिए मनाया जाता है।
शिक्षक हमेशा से ही हमारे देश में आदरणीय एवं पूजनीय रहा है फिर चाहे वो प्राचीन काल हो, मध्यकालीन काल हो या फिर आधुनिक काल हो भले ही आज शिक्षा पद्धति बदल गई हो लेकिन किसी भी युग में शिक्षक का महत्व कम नहीं हुआ है।
Teacher’s day अर्थात शिक्षक दिवस 5 सितंबर को हर वर्ष शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले शिक्षक को विशेष पुरस्कार देकर उन्हें सम्मानित किया जाते है।
speech for teachers day in hindi (शिक्षक दिवस पर एक शानदार भाषण)
शिक्षक अर्थात गुरु जिनका महत्व हमारे जीवन में कभी कम नहीं होता है, एक गुरु ही हमें ज्ञान रूपी संसार से परिचित करवाते हैं हमारे अंदर ज्ञान रूपी प्रकाश को प्रज्वलित करते हैं, जिनकी रोशनी से हमारे जीवन में सफलता के दसों द्वार खुलने लगता है। महाभारत काल में भी एकलभ ने धनुर्विद्या को हासिल करने के लिए अपने गुरु की प्रतिमा को स्थापित कर ज्ञान अर्जित किया था। अर्थात आप बिना गुरु के एक ज्ञानी नहीं बन सकते हैं।हमारा इतिहास ऐसे हजारों गाथाओं से भरी हुई है, प्राचीन काल में भी किसी चंद्रगुप्त मौर्य को एक गुरु ने अपने ज्ञान से सुशोभित किया था। जिनका  परिणाम चंद्रगुप्त मौर्य एक महान सम्राट बन सका था। हमारे जीवन में ज्ञान अर्थात विद्या एक ऐसी पूंजी है जिनका कभी नाश नहीं होता है और ना ही इसकी  चोरी की जा सकती है। ज्ञानी व्यक्ति संसार में कभी अकेला नहीं होता है वह जहां भी जाता है दुनिया उनके पीछे पीछे चलती है। ज्ञानी व्यक्ति एक उदारवादी चरित्र का होता है। उनके अंदर हर समस्या को चुनौती देने की साहस होती है। एक बेहतर समाज और प्रबल राष्ट्र के निर्माण में इनकी भूमिका चांद सूरज की तरह होती है। ज्ञानी व्यक्ति हर जगह पूजनीय होती है। इसलिए हमें अपनी ज्ञानी रूपी गुरु को सदा आदर और सम्मान देनी चाहिए। यह  छोटी सी लेख  के माध्यम से हम अपने सभी  गुरुजनों को अपने तरफ से सादर प्रणाम और अभिनंदन करते हैं।
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  • Princi Soni

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