नोएडा के गिरोह ने की 15 हजार करोड़ रुपए की ठगी जिसका खुलासा अब पुलिस द्वारा कर लिया गया है। पैन कार्ड और आधार कार्ड बनाकार कैसे करते थे ठगी आज हम यहां आपको विस्तार से बताने वाले हैं। अब तक इस गिरोह ने 2600 हज़ार से ज्यादा कम्पनी को ठगा है और सरकार से 15 हजार करोड़ रुपये की ठगी की।
नोएडा के इन आरोपियों द्वारा दिल्ली गाजियाबाद में ऑफिस खोलकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। इन आरोपियों के पास 2600 से ज्यादा कंपनी की सूची भी मिली है। और पुलिस द्वारा मौके पर 8 हज़ार लोगों के पैन कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बरामद किये गए है। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
कैसे लूटा इस गिरोह ने सरकार को
इस गिरोह के आरोपियों द्वारा फर्जी पैन कार्ड और आधार सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बना लिया जाता था। इनके द्वारा दस्तावेजों की मदद से फर्जी कंपनी और GST की मदद से GST रिफंड लेने का कार्य किया जाता था। अब तक इस गिरोह ने लगभग 2600 से ज्यादा कंपनी रजिस्टर्ड की और सरकार से 15 हजार करोड़ रुपए का GST रिफंड लिया। यह गिरोह पिछले 5 सालों से सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा था।
मार्च में ही मिली एक रिपोर्ट के बाद पुलिस द्वारा जांच शुरू की गई जांच में 8 हज़ार लोगों के दस्तावेज बरामद किए गए और पुलिस ने मुख्य आरोपियों सरगना दीपक, विनीता, अश्वनी, यासीन, राजीव, अतुल, आकाश, और विशाल को गिरफ्तार कर लिया है।
2600 से ज्यादा कंपनी के जरिए धोखाधडी
2600 से ज्यादा कंपनी के जरीए यह गिरोह देशभर में फर्जीवाड़ा कर रहा था। पुलिस द्वारा पकड़े गए 8 आरोपियों से 8 हज़ार लोगों के पैन कार्ड सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए है। इस गिरोह में शमिल एक CA चार्टेड अकाउंटेंट को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
यह भी पढ़ें – बिना OTP मांगे कर दिए बैंक खाता खाली ऑनलाइन ठगी का नया तरीका, आप भी रहें सतर्क
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के अनुसार इस ग्रुप में 50 से भी ज्यादा अधिक लोग शामिल हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठकर के आरोपियों के साथ ठगी कर रहे थे पुलिस द्वारा जांच करने पर आरोपियों के पास से 12,60000 रुपए नगद और 32 मोबाइल के साथ चार लैपटॉप और 8 हजार से ज्यादा महत्वपूर्ण दस्तावेज और जीएसटी नंबर बरामद किए गए हैं।
देखें कैसे तैयार करते थे फर्जी दस्तावेज
पुलिस कमिश्नर ने बताया की कैसे ये लोग फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। इस गिरोह में शमिल सभी लोगों को काम अलग अलग था। पुलिस कमिश्नर ने बताया की आरोपी सबसे पहले फर्जी कंपनियां सहित जीएसटी नंबर हासिल करते थे। ऑनलाइन वेबसाइट और आउटसोर्स कंपनी से पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों का डाटा हासिल करते थे और फिर झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों लोगों को कुछ रुपयों का लालच देकर उनके आधार कार्ड में अपना नंबर रजिस्टर्ड कर लेते थे।
यह भी पढ़ें – लाडली बहना योजना स्वीकृति पत्र का कार्य संपन्न, अब डीबीटी के तहत पहली किस्त आएगी
इस प्रकार एक व्यक्ति के मिलते जुलते नामों के आधार कार्ड में संशोधन करके हज़ारों दस्तावेज तैयार किया जाता था। पुलिस ने बताया की इस काम को सरगना दीपक, उसकी पत्नी विनीता और उनके साथी करते थे। इसके बाद इन दस्तावेजों से फर्जी कंपनी और GST नंबर हासिल किया जाता था।