एमपी शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही, मृत शिक्षक को जारी किया गया नोटिस

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मध्य प्रदेश की अफसरशाही एक बार फिर चर्चा में है। सीधी जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने विभागीय लापरवाही की पोल खोल दी है। संभागीय प्रशिक्षण शिविर में अनुपस्थित रहने पर एक ऐसे शिक्षक को कारण बताओ नोटिस भेज दिया गया है जिसकी मृत्यु मार्च 2023 में हो चुकी है।

मृत शिक्षक को भेजा गया नोटिस

रीवा संभाग के संयुक्त संचालक लोक शिक्षण केपी तिवारी द्वारा उच्च माध्यमिक शिक्षक नागेंद्रमणि विश्वकर्मा को कारण बताओ नोटिस भेजा गया। नागेंद्रमणि रामपुर नैकिन स्थित शासकीय बहुउद्देशीय कन्या उमावि में पदस्थ थे। उन्हें “आनंद सभा सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों तृतीय प्रशिक्षण” में अनुपस्थिति के लिए नोटिस थमाया गया।

हैरानी की बात यह है कि यह शिक्षक पिछले साल मार्च में ही इस दुनिया से विदा हो चुके हैं, बावजूद इसके विभाग की ओर से उन्हें नोटिस भेजा गया।

शिक्षक संघ ने जताई नाराज़गी

इस लापरवाही पर आजाद अध्यापक शिक्षक संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष विजय तिवारी ने बयान जारी कर कहा:

“मृत शिक्षक को नोटिस देना न केवल दुखद है, बल्कि शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह दर्शाता है कि जिम्मेदार अधिकारी पोर्टल की जानकारी समय पर अपडेट नहीं करते।”

उन्होंने यह भी कहा कि हजारों शिक्षकों को पोर्टल पर ‘अतिशेष’ दिखाना, और अब मृतक को नोटिस भेजना इस बात का प्रमाण है कि विभागीय डेटा प्रबंधन में भारी खामी है।

तकनीकी चूक या प्रशासनिक लापरवाही?

इस मामले ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया है कि शिक्षा विभाग के पोर्टल पर शिक्षकों की जानकारी समय पर अपडेट नहीं की जाती। ऐसी घटनाएं केवल शिक्षकों के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचातीं, बल्कि विभाग की साख भी दांव पर लगाती हैं।

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संघ की मांग

आजाद शिक्षक संघ ने मांग की है कि ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। पोर्टल अपडेट की प्रक्रिया को सशक्त और समयबद्ध बनाया जाए। और सभी शिक्षकों के सेवा अभिलेखों का डिजिटल सत्यापन कराया जाए।

‘मिशन शक्ति’ से लेकर मृतक को नोटिस देने तक मध्यप्रदेश के शिक्षा व समाजसेवा विभागों में व्यवस्था और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या सिर्फ जांच और बयानबाजी से सुधार होगा, या अब ज़रूरत है एक ठोस डिजिटल सुधार अभियान की। 

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