मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए नए साल की शुरुआत में राहतभरी खबर आई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने संविदा कर्मचारियों को सीधी भर्ती में 50% आरक्षण देने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस निर्णय से प्रदेश के 1.25 लाख संविदा कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा। इस कदम का उद्देश्य संविदा कर्मचारियों को स्थिरता और समान अवसर प्रदान करना है।
यह घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संविदा कर्मचारियों के सम्मेलन में की थी। इसके बाद, सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 जुलाई 2023 को दिशा-निर्देश जारी किए, जिनके तहत संविदा कर्मचारियों को वेतन, अनुकंपा नियुक्ति, ग्रेच्युटी, अवकाश, और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
नीतिगत खामियों का समाधान
संविदा कर्मचारियों को लंबे समय से नीतिगत खामियों और वेतन में कटौती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इन समस्याओं के समाधान के लिए करीब 8,000 कर्मचारियों को न्यायालय का सहारा लेना पड़ा। सरकार के इस कदम से न केवल कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि उनके भविष्य को स्थिरता और समान अधिकार भी मिलेंगे।
शिक्षकों के लिए वेतन वृद्धि और नए नियम
मध्य प्रदेश में शिक्षकों के लिए भी सरकार ने राहतभरी घोषणाएं की हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के वेतनमान में वृद्धि की घोषणा की है।
वेतनमान में बढ़ोत्तरी
- 12 साल की सेवा: ₹9300-34800 ग्रेड पे ₹3200
- 24 साल की सेवा: ₹9300-34800 ग्रेड पे ₹3800
- 30 साल की सेवा: ₹9300-34800 ग्रेड पे ₹4200
यह लाभ 1 जुलाई 2018 या उसके बाद पात्रता पूरी करने वाले शिक्षकों को मिलेगा। प्राथमिक शिक्षकों का वार्षिक वेतन पैकेज अब ₹2.7 लाख से ₹3.5 लाख तक होगा।
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अतिथि शिक्षकों के लिए बड़ी राहत
अतिथि शिक्षकों के लिए नए नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया में बदलाव किए गए हैं।
- उम्मीदवार को कम से कम तीन शैक्षणिक सत्रों और 200 दिनों तक राज्य के शासकीय विद्यालयों में कार्य करना होगा।
- कुल पदों में से 50% पद संविदा शिक्षकों के लिए आरक्षित होंगे।
- 10% पद पूर्व सैनिकों और 6% पद दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित किए गए हैं।
इस कदम से अतिथि शिक्षकों को स्थायित्व मिलेगा और उनके लंबे समय से चल रही आरक्षण बढ़ाने की मांग को पूरा किया गया है।
सरकार की पहल: स्थिरता और समानता की ओर
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संविदा कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए किए गए ये प्रावधान कार्यशैली में सुधार और प्रोत्साहन की दिशा में अहम माने जा रहे हैं। इन नीतिगत बदलावों से न केवल कर्मचारियों और शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित होगा, बल्कि प्रदेश में शिक्षा और प्रशासनिक ढांचे को भी मजबूती मिलेगी।
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