MP Police Bharti Ghotala: मध्य प्रदेश पुलिस में भर्ती के नाम पर गड़बड़ी की कहानी एक बार फिर सामने है। 2023 में चयनित 6400 आरक्षकों में से 2000 अब तक ड्यूटी जॉइन करने नहीं पहुंचे। आधार अपडेशन और सॉल्वर गैंग की मिलीभगत ने पुलिस महकमे की नींद उड़ा दी है। सवाल उठ रहा है कि आखिर ये गुमशुदा आरक्षक कौन हैं और क्यों नहीं आ रहे?
2023 में हुई थी बंपर भर्ती, फिर भी क्यों खाली हैं पोस्ट?
साल 2023 में मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी ने पुलिस विभाग के लिए बड़ी भर्ती निकाली थी। योजना थी कि प्रदेश की सड़कों पर कानून व्यवस्था मजबूत करने के लिए 6400 नए जवान तैनात किए जाएंगे। इसके लिए करीब 10 लाख युवाओं ने आवेदन भरा, 6 लाख से ज्यादा ने परीक्षा दी और शारीरिक परीक्षा में भी हजारों कूद पड़े। लंबे टेस्ट और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद लिस्ट आई, लोगों ने मिठाइयां बांटी, गांवों में जश्न हुए।
लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए। करीब 2000 चयनित युवक आज तक पुलिस लाइन में हाजिरी लगाने नहीं पहुंचे। कुछ का तो पता ही नहीं चल रहा। सवाल ये भी उठ रहा है कि कहीं ये वही तो नहीं जिन्होंने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की थी?
आधार अपडेट के खेल से खुला फर्जीवाड़ा
ताजा जांच में बड़ा खुलासा ये हुआ कि कुछ अभ्यर्थियों ने अपनी जगह दूसरों को परीक्षा में बैठा दिया। इसके लिए आधार अपडेशन का सहारा लिया गया था, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डाटा में हेराफेरी कर सॉल्वर गैंग ने अयोग्य लोगों को सरकारी नौकरी थमा दी।
जब इस फर्जीवाड़े की भनक लगी तो कई जिलों में पुलिस ने केस दर्ज किए। अब तक 31 एफआईआर हो चुकी हैं, दर्जनों गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। लेकिन असली सिरदर्द ये 2000 लोग हैं जो न तो रिपोर्टिंग कर रहे हैं और न ही अपना आधार अपडेट करवा रहे हैं। पुलिस का शक सही साबित हो रहा है कि इनमें से कई नकली हैं, जो पकड़ में आने से डर रहे हैं।
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नौकरी की बजाय डर क्यों? साइबर पुलिस कर रही है जांच
पुलिस मुख्यालय यानी पीएचक्यू ने कई बार इन चयनित आरक्षकों को रिपोर्टिंग के लिए नोटिस भेजे। लेकिन जिनका आधार गड़बड़ी में इस्तेमाल हुआ, वे सामने आने से कतरा रहे हैं। अब साइबर पुलिस इस केस को देख रही है, क्योंकि पूरी भर्ती प्रक्रिया में डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था।
कई जिलों में अलग-अलग केस दर्ज हैं, पूछताछ चल रही है। जिन सॉल्वर गैंग ने ये खेल रचा, उनके लिंक कहां-कहां तक फैले हैं ये पता लगाया जा रहा है। पीएचक्यू ने हर चयनित से आधार सत्यापन और मोबाइल अपडेट की रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद से ही बड़ी संख्या में युवाओं ने सत्यापन नहीं किये और इस प्रक्रिया के बाद से आना ही बंद कर दिया है।
इस पुलिस भर्ती घोटाले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि अगर नौकरी के बाद भी कोई आमद नहीं दे रहा तो इसमें साफ है कि घोटाला हुआ है। कई लोग मानते हैं कि ये सिस्टम की बड़ी नाकामी है, पुलिस में ही अगर फर्जीवाड़ा होगा तो अपराध कैसे रुकेंगे? कुछ का कहना है कि जिन गांवों में नौकरी लगने की खुशियां मनाई गई थीं, वहां अब परिवारों की भी नींद उड़ी हुई है। कहीं उनके लड़के भी शक के घेरे में तो नहीं?
अब तक की जांच में पुलिस भर्ती की पोल खुल चुकी है। जांच एजेंसियां दावा कर रही हैं कि आगे और गिरफ्तारी होंगी। पीएचक्यू की कोशिश है कि जो भी दोषी हैं उन्हें सख्त सजा मिले, ताकि आने वाली भर्तियों में कोई ऐसी हिम्मत न करे। पर असली सवाल अब भी वहीं है क़ी 2000 सिपाही कहां हैं? क्या वो कभी मिलेंगे? या फिर जनता की सुरक्षा फर्जी नामों के भरोसे ही चलती रहेगी?
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क्या आप मानते हैं कि इस भर्ती घोटाले में बड़े अपराधी भी बच निकलेंगे? या फिर सिस्टम सच में दोषियों को सजा देगा? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं। और ऐसी ख़बरों के लिए अपना कल के साथ जुड़े रहें।