MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए एक क्रांतिकारी फैसला लेने की तैयारी कर ली है। अब बच्चों को घटिया यूनिफॉर्म पहनने की मजबूरी नहीं रहेगी, क्योंकि सरकार ₹600 सीधे उनके खातों में भेजेगी। यह सिर्फ एक नीति बदलाव नहीं है, यह उन बच्चों की गरिमा और आत्मनिर्भरता से जुड़ा कदम है।
बच्चों को मिलेगा यूनिफॉर्म का अधिकार
मध्य प्रदेश सरकार की योजना के तहत अब कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले लगभग 60 लाख छात्रों को उनकी यूनिफॉर्म की राशि सीधे DBT (Direct Benefit Transfer) के ज़रिए दी जाएगी। हर छात्र को ₹600 की एकमुश्त राशि मिलेगी, जिससे वह खुद अपनी पसंद की दो यूनिफॉर्म खरीद सकेगा।
पहले यूनिफॉर्म की आपूर्ति स्व-सहायता समूहों और ठेकेदारों के माध्यम से होती थी, लेकिन अब सरकार चाहती है कि यूनिफॉर्म का अधिकार अब खुद बच्चों के हाथ में हो। इससे छात्रों की पसंद को प्राथमिकता मिलेगी और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
पुरानी व्यवस्था पर क्यों उठे सवाल?
पिछली व्यवस्था में यूनिफॉर्म की क्वालिटी को लेकर लगातार अभिभावकों और छात्रों की शिकायतें सामने आ रही थीं।
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कपड़ों की क्वालिटी बेहद खराब होती थी।
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साइज फिट नहीं होता था, जिससे पहनने में असहजता होती थी।
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रजिस्टर में महंगे कपड़े दिखाए जाते थे, पर असल में सस्ते और घटिया माल की आपूर्ति होती थी।
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कई बार ड्रेस समय पर नहीं पहुंचती थी।
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कुछ बड़े कॉन्ट्रैक्टर फर्जी तरीके से काम हथिया लेते थे, जबकि असली स्व-सहायता समूह किनारे रह जाते थे।
इन सभी मुद्दों ने यह साफ कर दिया था कि यह प्रणाली बच्चों के हित में नहीं है, बल्कि एक दिखावा बनकर रह गई थी।
अब सीधे छात्रों के खाते में पहुंचेगा ₹600
इस नई व्यवस्था के तहत स्कूल शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। योजना के अनुसार:
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राशि एक बार में सीधे बैंक खाते में भेजी जाएगी।
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इसका उपयोग छात्र यूनिफॉर्म खरीदने के लिए कर सकेंगे।
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इससे प्रत्येक छात्र को चुनाव की स्वतंत्रता मिलेगी कि वह अपने आकार और पसंद के अनुसार कपड़ा ले सके।
यह निर्णय मध्यप्रदेश कैबिनेट की अगली बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे।
देखें इस बदलाव से क्या होगा असर
यह बदलाव सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि इससे लाखों बच्चों को:
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आत्मसम्मान के साथ स्कूल आने की सुविधा मिलेगी
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स्थानीय दुकानदारों और छोटे व्यापारी वर्ग को भी आर्थिक लाभ मिलेगा
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यूनिफॉर्म की उपलब्धता पर अब बच्चा और परिवार खुद नियंत्रण रख सकेगा
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सरकारी खर्च का पारदर्शी और ट्रैक योग्य उपयोग सुनिश्चित होगा
देखें जनता क्या कहती है?
अभिभावकों ने इस फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। कई माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चों को कभी भी सही साइज की ड्रेस नहीं मिली, और बार-बार स्कूल जाकर शिकायत करनी पड़ती थी। अब उन्हें लगता है कि वे खुद जाकर अच्छी क्वालिटी का कपड़ा दिला सकेंगे।
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वहीं शिक्षकों का भी मानना है कि यह बदलाव बच्चों के मनोबल को बढ़ाएगा और ड्रेस को लेकर होने वाली रोज़ की झंझटें भी खत्म होंगी। कुछ लोग यह भी पूछते हैं कि क्या सभी छात्रों के पास बैंक खाते हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि 90% से ज्यादा बच्चों के खाते पहले से खुलवाए जा चुके हैं और बाकी को भी जल्द शामिल किया जाएगा।
सरकार का यह कदम बताता है कि विश्वास की शुरुआत बच्चों से ही होनी चाहिए। जब हम उन्हें निर्णय लेने की क्षमता देंगे, तो वे जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। यूनिफॉर्म सिर्फ कपड़ा नहीं, बच्चों की पहचान होती है और यह पहचान अब उनके हाथ में होगी, किसी सिस्टम की दया पर नहीं।
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