MP News: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक इस बार एक खास अंदाज़ में शुरू हुई। ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गायन के साथ। ये सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ऐसा दृश्य था जिसने न सिर्फ दिल को छुआ, बल्कि कई राजनीतिक और सांस्कृतिक सवाल भी खड़े कर दिए। क्या ये एक नई परंपरा की शुरुआत है या इसके पीछे कोई रणनीतिक सोच है?
कैबिनेट की बैठक में ‘वंदे मातरम्’ क्यों?
आज भोपाल स्थित मंत्रालय में जैसे ही मध्यप्रदेश की कैबिनेट बैठक शुरू हुई, पूरा सभागार ‘वंदे मातरम्’ की स्वर लहरियों से गूंज उठा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अगुवाई में सभी मंत्रियों ने एक सुर में वंदे मातरम्का यह भावनात्मक संस्करण गाया।
बीते कुछ समय से मध्यप्रदेश में सांस्कृतिक प्रतीकों को प्राथमिकता दी जा रही है और यह कदम उसी सिलसिले की अगली कड़ी माना जा रहा है।
CM मोहन यादव ने ट्वीट कर बैठक की जानकारी दी
मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने आज 17 जून 2025 को हो रही मध्य प्रदेश सरकार की इस कैबिनेट बैठक की जानाकरी और बैठक की शुरआत वंदे मातरम् से की गई इसकी जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी जिसे आपकी सुविधा के लिए हमने नीचे साझा किया हुआ है आप इसे देख सकते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ गायन के साथ प्रारंभ हुई।@DrMohanYadav51 #CMMadhyaPradesh #MadhyaPradesh pic.twitter.com/bBPm0ZrF04
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) June 17, 2025
नई परंपरा या सियासी रणनीति?
इस तरह का आयोजन कोई पहला मौका नहीं है। 2005 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ‘वंदे मातरम्’ को मंत्रालय की शुरुआत का हिस्सा बनाया था, जिसे बाद में कुछ सरकारों ने जारी रखा तो कुछ ने बंद कर दिया। अब मोहन यादव सरकार ने इसे फिर से ज़ोर-शोर से शुरू किया है। क्या यह सिर्फ एक परंपरा को पुनर्जीवित करने की कोशिश है या फिर राजनीतिक तौर पर एक मजबूत सांस्कृतिक संदेश देने की रणनीति?
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जनता के मन में उठे सवाल
इस कदम की टाइमिंग को लेकर भी चर्चाएं हैं। लोकसभा चुनावों के बाद जब बीजेपी सत्ता में लौट रही है, तब ऐसे सांस्कृतिक-राष्ट्रवादी प्रतीकों को सामने लाना कुछ लोगों को सियासी नजरों से देखने पर मजबूर कर रहा है।
क्या ये महज भावनात्मक जुड़ाव है, या जनता को एक खास विचारधारा के साथ जोड़ने की पहल?
इस पहल में भावनात्मक अपील जरूर है, लेकिन इसकी टाइमिंग और मंच इसे सिर्फ एक परंपरा नहीं रहने देती।
‘वंदे मातरम्’ का सामूहिक गायन एक सकारात्मक संदेश है, लेकिन अगर इसे निरंतरता और नीयत के साथ किया जाए तो ही यह असरदार रहेगा। वरना ये भी बाकी घोषणाओं की तरह एक दिन की हेडलाइन बनकर रह जाएगा।
क्या आपको लगता है ‘वंदे मातरम्’ से कैबिनेट मीटिंग की शुरुआत एक सही कदम है? या ये सिर्फ एक राजनीतिक चाल है? अपनी राय नीचे कमेंट करें – हम ज़रूर पढ़ेंगे।
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