MP News: MP में अतिथि विद्वानों के लिए फिर वही पुरानी व्यवस्था, शिक्षकों में गुस्सा और निराशा

By
On:
Follow Us

MP News: मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वानों के लिए सरकार ने फिर वही पुराना रास्ता चुना है। एक बार फिर उन्हें सिर्फ सत्र भर के लिए आमंत्रण मिलेगा, जिससे शिक्षकों में भारी नाराज़गी है। वे स्थायी नियुक्ति और फिक्स सैलरी की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन नया आदेश जैसे उन उम्मीदों पर पानी फेर गया हो। 

देखें क्या है सरकार का नया आदेश

मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि जिन अतिथि विद्वानों ने 2024-25 सत्र में मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कार्य किया है, उन्हें 2025-26 के लिए फिर से आमंत्रित किया जाएगा। इस फैसले के तहत कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे 30 जून 2025 तक रिक्त पदों की जानकारी पोर्टल पर अपडेट करें और 10 जुलाई 2025 तक आमंत्रण प्रक्रिया पूरी करें।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह वही प्रक्रिया है जो वर्षों से चली आ रही है और हर साल नया आमंत्रण, हर साल नई अनिश्चितता रहती है। 

शिक्षकों की उम्मीदों को एक बार फिर झटका

मध्य प्रदेश में लंबे समय से अतिथि विद्वान शिक्षक संघ और महाविद्यालय शिक्षक संगठन यह मांग कर रहे थे कि सरकार अतिथि शिक्षकों को स्थायी करे या कम से कम उन्हें एक निश्चित मासिक वेतन दे। उनका तर्क है कि वे कई सालों से पूरी निष्ठा के साथ शिक्षण कार्य कर रहे हैं, फिर भी उन्हें हर साल नए आमंत्रण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव और असुरक्षा बढ़ती है।

नए आदेश से जुड़े कई शिक्षकों का कहना है कि उन्हें “स्थायित्व की उम्मीद थी, पर फिर से वही पुराणी घिसी पीटी व्यवस्था थमा दी गई।” 

अतिथि विद्वानों के लिए के लिए निर्देश

आयुक्त, उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के लिए कॉलेज सिर्फ उन्हीं पदों की जानकारी अपडेट करें जो IFMIS पोर्टल पर पहले से स्वीकृत और मैप किए गए हैं। रिक्त पदों की संख्या किसी भी हालत में स्वीकृत नियमित पदों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

यदि पहले से कोई जानकारी अपडेट की गई है, तो उसे 30 जून 2025 की स्थिति के अनुसार दोबारा अपडेट करना अनिवार्य होगा। यानी इस बार कॉलेज प्रशासन पर जिम्मेदारी और भी ज़्यादा है कि वे सारी सूचनाएं समय पर और सटीक तरीके से पोर्टल पर डालें।

अतिथि विद्वानों के लिए हर साल यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। सत्र खत्म होते ही वे ‘बेरोजगार’ हो जाते हैं और फिर अगले सत्र में दोबारा आमंत्रण की आस में रहते हैं। यह न सिर्फ उनके पेशेवर आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है, बल्कि आर्थिक रूप से भी उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

MP में अतिथि विद्वानों के लिए फिर वही पुरानी व्यवस्था
MP में अतिथि विद्वानों के लिए फिर वही पुरानी व्यवस्था

यह भी पढ़ें – MP में 70,000 अतिथि शिक्षकों की भर्ती शुरू: बिना परीक्षा, सीधे योग्यता से चयन

इस दिशा में शिक्षकों का कहना है कि एक स्थिर और गुणवत्ता-आधारित शिक्षा व्यवस्था तभी बन सकती है जब शिक्षकों को स्थायित्व मिले। जब तक वे हर साल नौकरी के लिए चिंतित रहेंगे, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।

कई युवा शिक्षकों और शिक्षा से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया पर इस फैसले की आलोचना की है। एक यूजर ने लिखा, “हर साल दोबारा आवेदन और इंटरव्यू का ड्रामा क्यों? क्या सरकार को नहीं दिखता कि ये लोग 8-10 साल से पढ़ा रहे हैं?”
वहीं कुछ लोगों का मानना है कि सरकार को कम से कम पुराने शिक्षकों को स्थायी करने की कोई योजना तो लानी चाहिए थी।

यह गुस्सा सिर्फ नौकरी को लेकर नहीं है, यह उस सिस्टम के खिलाफ है जो मेहनती शिक्षकों को हर साल अनिश्चितता के हवाले कर देता है।

सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं, प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। लेकिन सवाल अब भी वही है कि क्या अतिथि विद्वान सिर्फ एक सत्र के मेहमान रहेंगे या उन्हें कभी स्थायी दर्जा मिलेगा?

आपकी क्या राय है? क्या अतिथि विद्वानों को स्थायी किया जाना चाहिए? नीचे कमेंट करें और इस मुद्दे पर अपनी आवाज़ उठाएं। और इस तरह की ख़बरों के लिए अपना कल के साथ जुड़े रहें। 

यह भी पढ़ें – MP में 70,000 अतिथि शिक्षकों की भर्ती शुरू: बिना परीक्षा, सीधे योग्यता से चयन

Leave a Comment

Your Website