MP News: मध्य प्रदेश रानी दुर्गावती की कहानी अब स्कूलों में पढ़ाई जाएगी, साथ ही इस शहर में बनेगा चिड़ियाघर

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मध्य प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए वीरांगना रानी दुर्गावती की गाथा को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर यह ऐलान किया, जिससे न केवल नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी बल्कि हमारी संस्कृति और इतिहास का सम्मान भी होगा। इस कदम के साथ सरकार ने कई अन्य योजनाओं की घोषणा भी की हैं जिसके बारे में हम यहाँ विस्तार से जानेंगे।

स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई जाएगी रानी दुर्गावती की कहानी

मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने जबलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में ऐलान किया कि रानी दुर्गावती की वीरता, कुशलता और बलिदान की कहानी को अब स्कूली और कॉलेज पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा। यह सिर्फ एक इतिहास नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को साहस और नेतृत्व की मिसाल देने वाला कदम है। सीएम मोहन यादव ने अपने भाषण में बताया कि रानी ने 52 युद्ध लड़े और 51 में विजय प्राप्त की थी, जो उन्हें भारत के सबसे साहसी योद्धाओं में शामिल करता है।

रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को मनाया जाएगा धूमधाम से

मध्य प्रदेश सरकार ने यह भी घोषणा की है कि रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती को राज्य स्तर पर बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा। इसके लिए जबलपुर में विशेष कैबिनेट बैठक बुलाई गई और कई सांस्कृतिक आयोजनों की योजना बनाई गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने बताया कि यह सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं बल्कि हमारी परंपरा, नारी सम्मान और आदिवासी गौरव का उत्सव है।

श्रीअन्न योजना में भी रानी का सम्मान

रानी दुर्गावती के नाम पर ‘रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना’ शुरू की गई है जिसमें मिलेट्स की फसलों का समर्थन मूल्य 1000 रुपये से बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यह योजना न केवल किसानों को सशक्त बनाएगी बल्कि रानी के कृषि योगदान को भी सम्मान देगी।

चिड़ियाघर और पर्यटन स्थल भी होंगे रानी के नाम

सीएम मोहन यादव ने जबलपुर के ठाकुरताल क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और भोपाल के वन विहार की तर्ज पर एक आधुनिक चिड़ियाघर बनाने की घोषणा की। और यह चिड़ियाघर रानी दुर्गावती के नाम समर्पित होगा, जो उनके पर्यावरणीय दृष्टिकोण और संरक्षण के कार्यों की याद दिलाएगा। और यह चिड़ियाघर रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखे जाने की बात सीएम मोहना यादव जी ने की। 

जल संरक्षण में भी रानी की दूरदृष्टि

रानी ताल, आधार ताल और संग्राम ताल जैसे जलस्रोत आज भी रानी दुर्गावती के पर्यावरणीय नजरिए की मिसाल हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने कहा कि सरकार इन तालाबों को संरक्षित करने के साथ उन्हें रानी के नाम से जोड़ने का कार्य कर रही है।

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मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के द्वारा किये गए इन एलानों को लेकर लोगों का मानना है कि यह फैसला न केवल रानी दुर्गावती के सम्मान में उचित है, बल्कि यह आज की युवा पीढ़ी के लिए एक बेहद जरूरी कदम है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि भारत के बच्चों को अब मुगलों और अंग्रेजों के साथ-साथ अपने असली हीरो के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।

एक शिक्षक ने कहा, “इतिहास सिर्फ तथ्यों का संग्रह नहीं, प्रेरणा का स्रोत भी होना चाहिए।” वहीं, कुछ लोगों ने इसे आदिवासी संस्कृति को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया।

रानी दुर्गावती की कहानी को पाठ्यक्रम में शामिल करना क्या आपको सही लगता है? क्या यह फैसला देश के बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ पाएगा? आपकी क्या राय है? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं और इस तरह की ख़बरों के लिए जुड़े रहिये अपना कल के साथ।

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