MP में मिला गैस का खजाना, दमोह-छतरपुर में होगी बड़ी खुदाई, हजारों को मिलेगा रोजगार

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मध्य प्रदेश में रोजगार और ऊर्जा के नए दौर की शुरुआत होने जा रही है। दमोह-छतरपुर में कोल बेड मीथेन (CBM) गैस के विशाल भंडार की पुष्टि हो चुकी है और ONGC को खनन की मंजूरी भी मिल गई है। इसका मतलब है क़ी जल्द ही यहां हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और प्रदेश प्राकृतिक गैस उत्पादन में बड़ी छलांग लगाएगा।

क्या है ये गैस खोज और क्यों है अहम?

दमोह-छतरपुर ब्लॉक में कोल बेड मीथेन (CBM) गैस के भंडार की खोज कोई अचानक नहीं हुई। पिछले पांच सालों से ONGC यहां गैस की संभावनाएं तलाश रही थी। अब जाकर केंद्र सरकार के डायरेक्टर जनरल हाइड्रोकार्बन ने इस क्षेत्र के व्यावसायिक उपयोग और फील्ड डेवलपमेंट प्लान को हरी झंडी दे दी है।

कोल बेड मीथेन प्राकृतिक गैस का ही एक रूप है, जो कोयले की परतों में पाई जाती है। इसे ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है और इसके चलते देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलती है। अब इस नई मंजूरी से मप्र ऊर्जा उत्पादन के नए नक्शे पर उभरने जा रहा है।

ONGC की बड़ी तैयारी, इंफ्रास्ट्रक्चर होगा आधुनिक

ONGC ने दमोह-छतरपुर के इस 462 वर्ग किमी के ब्लॉक में खुदाई और गैस निकालने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश सरकार ने प्रोविजनल माइनिंग लीज दे दी है, और अब यहां आधुनिक मशीनरी व उपकरण लगाए जा रहे हैं। जल्द ही खुदाई का काम शुरू हो जाएगा।

ये सिर्फ खनन नहीं, बल्कि एक पूरे क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली परियोजना है। गैस के दोहन से जुड़े छोटे-बड़े उद्योग, ट्रांसपोर्ट, निर्माण, सर्विस सेक्टर – सभी को नई गति मिलेगी। हजारों युवाओं को रोज़गार मिलेगा, और आसपास के जिलों में आर्थिक गतिविधियों में उछाल आएगा।

मप्र पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की नींव रखी जा रही

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 6 सितंबर 2024 को खनिज संसाधन विभाग की बैठक में मध्य प्रदेश में पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन स्थापित करने के निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य प्रदेश में गैस उत्पादन, वितरण और विपणन का संपूर्ण नियंत्रण संभालना है।

यदि ये कॉर्पोरेशन स्थापित होता है, तो मध्य प्रदेश को न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, बल्कि राज्य सरकार की आमदनी में भी बड़ा इजाफा होगा। साथ ही प्राकृतिक गैस से जुड़ी योजनाओं को बेहतर ढंग से क्रियान्वित किया जा सकेगा।

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प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में मप्र की बढ़ती ताकत

मध्य प्रदेश पहले ही प्राकृतिक गैस उत्पादन में देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। सोहागपुर के ईस्ट और वेस्ट ब्लॉक से रिलायंस इंडस्ट्रीज करीब 300 कुओं से गैस निकाल रही है।

2023-24 में मप्र ने कुल 234.37 मिलियन मीट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर CBM गैस का उत्पादन किया। अनुमान है कि 2028-29 तक ये आंकड़ा 421 तक पहुंच जाएगा। पिछले वित्त वर्ष में राज्य सरकार को CBM से 88 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह साफ है कि आने वाले वर्षों में प्रदेश ना सिर्फ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा, बल्कि देशभर के लिए ऊर्जा आपूर्ति का एक मजबूत स्तंभ भी बनेगा।

स्थानीय लोगों में इस खबर को लेकर काफी उत्साह है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे “एमपी की साइलेंट क्रांति” बताया है। कुछ ने सवाल उठाए हैं कि क्या रोजगार वाकई स्थानीय युवाओं को मिलेगा या फिर बाहरी कंपनियों के लोग ही सब संभालेंगे?

मैं उदय पटेल एक लेखक और अपना कल का संपादक होने के नाते मेरा नजरिया ये है कि यदि मध्य प्रदेश सरकार और ONGC पारदर्शिता से काम करें और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दें, तो यह परियोजना न केवल ऊर्जा बल्कि सामाजिक बदलाव की मिसाल बन सकती है। खासतौर पर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों के लिए यह ऐतिहासिक मौका है।

दमोह-छतरपुर में मिली गैस की यह खोज सिर्फ खनन नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के भविष्य की नई दिशा तय करने वाली है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो यह क्षेत्र आने वाले सालों में देश की ऊर्जा राजधानी बन सकता है।

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आपको क्या लगता है? क्या मप्र गैस के दम पर आगे बढ़ेगा? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर बताएं। और ऐसी ख़बरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। 

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