MP News: मध्य प्रदेश के बुजुर्गों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इंदौर में एक ऐसा खास कॉम्प्लेक्स/बिल्डिंग तैयार हुआ है जहां अब वे अकेले नहीं, बल्कि परिवार जैसी देखरेख में रहेंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘स्नेहधाम’ नाम की इस खास बिल्डिंग का उद्घाटन कर दिया है। तो चलिए जानते है क्या है इस योजना की खासियत और किन बुजुर्गों को मिलेगा इसमें रहने का मौका।
इंदौर में बुजुर्गों के लिए बना नया आशियाना
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर अब बुजुर्गों के लिए एक ऐसा स्थान बन गई है, जहां उन्हें सिर्फ एक फ्लैट नहीं, बल्कि अपनापन, सुरक्षा और सुविधाएं मिलेंगी। शहर के स्कीम 134 में स्टार चौराहे के पास बना स्नेहधाम एक बहुमंजिला सीनियर सिटीजन फ्लैट है, जिसे खासतौर पर अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए तैयार किया गया है। इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए गए इस भवन का शुभारंभ बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया।
देखें क्या है ‘स्नेहधाम’ और क्यों है खास?
इस स्नेहधाम का उद्देश्य उन बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा देना है, जिनके बच्चे नौकरी या व्यापार के कारण विदेश या दूसरे शहरों में रहते हैं। यहां बुजुर्गों को न सिर्फ रहने की जगह मिलेगी, बल्कि मेडिकल, खाने-पीने, मनोरंजन और सुरक्षा जैसी सभी सुविधाएं भी मिलेंगी।
सभी फ्लैट्स में 24 घंटे बिजली-पानी, गीजर, स्टडी टेबल, सोफा, टीवी, फ्रिज, और माइक्रोवेव जैसे मॉडर्न उपकरण मौजूद हैं। कॉल करने पर चाय, नाश्ता और भोजन की रूम सर्विस भी उपलब्ध रहेगी। यानी बुजुर्गों को किसी भी चीज की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। और उन्हें अपनों जैसा फील यहाँ होगा।
पूरी तरह सुरक्षित और हेल्दी वातावरण
स्नेहधाम में बुजुर्गों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे परिसर को फिसलन रहित बनाया गया है। CCTV निगरानी और 24×7 सिक्योरिटी गार्ड्स की व्यवस्था की गई है। मॉड्यूलर किचन, डाइनिंग हॉल और हेल्थ स्टाफ भी मौजूद रहेंगे। वॉकिंग एरिया के साथ ही योग, प्राणायाम और इंडोर गेम्स जैसे बिलियर्ड्स, चैस और कैरम की व्यवस्था की गई है। यहाँ रहने वाले कोई भी बुजुर्ग बोर नहीं हो सकता है कुछ इस तरह से स्नेहधाम को डिज़ाइन किया गया है।
देखें कितने फ्लैट्स हैं और कौन ले सकता है इसमें जगह?
स्नेहधाम में कुल 32 फ्लैट्स हैं, जिनमें 22 टू-बीएचके और 10 वन-बीएचके शामिल हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। फ्लैट्स की बुकिंग शुरू हो चुकी है और प्राथमिकता उन बुजुर्गों को दी जा रही है जो अकेले रहते हैं और आत्मनिर्भर हैं लेकिन सामाजिक सहारे की ज़रूरत महसूस करते हैं।
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मेरे अनुसार ये कदम न सिर्फ एक सरकारी योजना है, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। आज के दौर में जब बच्चे नौकरी और जीवन की आपाधापी में माता-पिता से दूर हो जाते हैं, ऐसे में स्नेहधाम जैसी पहल उन्हें भावनात्मक और सामाजिक सुरक्षा देने का जरिया बन सकती है। बुजुर्गों को ‘ओल्ड एज होम’ नहीं, ‘स्नेहधाम’ जैसे सम्मानजनक विकल्प चाहिए और सरकार का ये कदम उसी दिशा में एक उम्मीद है।
क्या आपको लगता है कि ऐसे और ‘स्नेहधाम’ देशभर में बनने चाहिए? क्या यह मॉडल बुजुर्गों के जीवन में बदलाव लाएगा?
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