MP में 236 शिक्षकों के ट्रांसफर पर मचा बवाल, मंत्री ने OSD को सौंपी ज़िम्मेदारी, अधिकारियों ने कहा – हस्ताक्षर ही नहीं

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मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में 236 शिक्षकों के ट्रांसफर को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक विवाद खड़ा हो गया है। ट्रांसफर लिस्ट पर मंत्री के OSD के साइन हैं, मगर खुद मंत्री के नहीं। इस कारण अफसरों ने लिस्ट को मानने से इनकार कर दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह लापरवाही है या जिम्मेदारी से बचने की कोशिश?

MP में 236 शिक्षकों के ट्रांसफर पर मचा बवाल

मध्य प्रदेश के रायसेन में अचानक सामने आई ट्रांसफर लिस्ट ने शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बना दी है। 236 शिक्षकों की ट्रांसफर लिस्ट जब कलेक्टर ऑफिस पहुंची, तो उस पर मंत्री के बजाय केवल OSD के हस्ताक्षर थे। इस पर अफसरों ने सवाल खड़ा कर दिया कि  क्या मंत्री के बिना साइन के लिस्ट वैध है?

अधिकारी बोले –मंत्री ने ज़िम्मेदारी दी OSD को

मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास राज्यमंत्री नारायण सिंह पंवार रायसेन जिले के प्रभारी मंत्री हैं। ट्रांसफर की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने उन्हीं को सौंपी थी। मगर मंत्री ने ये काम अपने विशेष सहायक (OSD) अभिषेक चौरसिया को सौंप दिया। लेकिन प्रशासनिक नियमों के अनुसार — ट्रांसफर लिस्ट पर प्रभारी मंत्री, कलेक्टर और डीईओ तीनों के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं। जब अधिकारियों ने लिस्ट में मंत्री का साइन नहीं देखा, तो उसे संदिग्ध मानते हुए रोक लगा दी।

फंसने के डर से अफसरों ने नहीं किए साइन

रायसेन के अफसरों को डर था कि अगर वे एक ऐसी सूची पर साइन कर देते हैं जो प्रामाणिक न हो, तो बाद में जांच में वे ही कटघरे में आ सकते हैं। ऐसे में कलेक्टर और DEO ने लिस्ट पर साइन करने से मना कर दिया, जिससे पूरे ट्रांसफर प्रोसेस में ब्रेक लग गया।

ट्रांसफर की समयसीमा 17 जून को हो चुकी थी खत्म

राज्य सरकार ने शिक्षकों के ट्रांसफर की अंतिम तारीख 17 जून तय की थी। लेकिन रायसेन में यह मामला उसी दिन के आसपास फंसा रह गया।
मंत्री कार्यालय का दावा है कि लिस्ट समय पर भेज दी गई थी, लेकिन सही प्रक्रिया पूरी न होने के कारण मंजूरी नहीं मिल पाई।

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मंत्री बोले – लिस्ट भेजी गई थी, अब शासन से बात करेंगे

मंत्री नारायण सिंह पंवार ने कहा कि उनका कार्यालय समय रहते लिस्ट भेज चुका था। अब जब लिस्ट को मंजूरी नहीं मिली, तो वे इसे शासन स्तर पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। OSD अभिषेक चौरसिया ने भी यही दोहराया कि लिस्ट मंत्री जी की जानकारी में भेजी गई थी, और मंत्री ही इसकी स्थिति बेहतर बता सकते हैं।

इस मामले में रायसेन के जिला शिक्षा अधिकारी डीडी रजक ने इस पूरे मामले में खुलकर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
उन्होंने बस इतना कहा कि “लोक शिक्षण संचालनालय से जांच शुरू हो चुकी है, और सच्चाई सामने आ ही जाएगी।”

लोगों का मानना है कि यह मामला प्रशासनिक प्रक्रिया की लापरवाही से ज्यादा, जवाबदेही से बचने की कोशिश जैसा लगता है।
अगर मंत्री खुद ज़िम्मेदार हैं, तो हस्ताक्षर OSD के क्यों? अगर प्रक्रिया में एक भी स्टेप गलत होता है, तो नुकसान तो बच्चों और शिक्षकों का ही होगा। सरकार की पारदर्शिता पर ऐसे मामलों से सवाल उठते हैं, खासकर जब शिक्षा जैसी संवेदनशील व्यवस्था पर असर हो रहा हो।

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236 शिक्षकों का भविष्य इस विवाद में फंसा है। सवाल सिर्फ साइन का नहीं, सिस्टम पर भरोसे का है। सरकार को चाहिए कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे, ताकि शिक्षा व्यवस्था पर भरोसा बना रहे। आपके अनुसार दोष किसका है – मंत्री का, OSD का या अफसरों का? नीचे कमेंट करके बताएं। और ऐसी ख़बरों के लिए अपना कल न्यूज़ के साथ बने रहें। 

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