मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर, जो स्वच्छता के मामले में देशभर में पहले स्थान पर है, अब इस शहर के लिए एक और ऐतिहासिक कदम गया है। इंदौर शहर में जल्द ही 100 इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) कचरा उठाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे, जिससे यह देश का पहला ऐसा नगर निगम बन जाएगा, जिसने इतनी बड़ी संख्या में ईवी कचरा संग्रहण वाहनों को अपनाया है। इस कदम से न केवल कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी बल्कि शहर की सफाई व्यवस्था भी और अधिक सुचारु होगी।
देखें कैसे बदलेगी सफाई व्यवस्था
इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा के अनुसार, वर्तमान में शहर में 600 से अधिक डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण वाहन कार्यरत हैं, जिनमें से 340 सीएनजी से चलते हैं और बाकी डीजल पर आधारित हैं। लेकिन इस नई योजना के तहत, 100 डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाए जाएंगे, जिससे हर साल लगभग 288 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही, ध्वनि प्रदूषण भी घटेगा और ईंधन खर्च आधे से भी कम हो जाएगा।
ईवी कचरा वाहनों के होंगे कई फायदे
- पर्यावरण संरक्षण: इलेक्ट्रिक वाहनों से प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में भारी गिरावट आएगी।
- ईंधन लागत में बचत: डीजल गाड़ियों की तुलना में ईवी का खर्च 50% तक कम होगा।
- शहर की सफाई में सुधार: नई गाड़ियां अधिक कुशलता से कार्य करेंगी, जिससे कचरा संग्रहण व्यवस्था और बेहतर होगी।
- कम शोर: ईवी गाड़ियों से ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा, जिससे रहवासियों को राहत मिलेगी।
चार्जिंग और कार्यक्षमता
एक बार चार्ज करने पर ये वाहन 120 किमी तक चल सकेंगे। इन्हें चार्ज करने में 23 यूनिट बिजली लगेगी, जिससे प्रति चार्ज लगभग 230 रुपये का खर्च आएगा। खास बात यह है कि एक बार चार्ज करने पर ये वाहन दो दिन तक कचरा संग्रहण का कार्य कर सकेंगे। नगर निगम इसके लिए शहर के मध्य क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना भी बना रहा है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2025
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2025 लागू की है, जिसके तहत राज्य के पांच प्रमुख शहरों – इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन – को मॉडल इलेक्ट्रिक व्हीकल शहर घोषित किया गया है। मोहन सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में 80% सरकारी वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएं। इसके तहत, इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स में छूट, रेट्रोफिटिंग प्रोत्साहन राशि और ग्रीन नंबर प्लेट जैसी योजनाएं भी लागू की जाएंगी।
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देखें क्या बोले महापौर?
महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि स्वच्छता और पर्यावरण सुधार के लिए यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। “इंदौर हमेशा से स्वच्छता में नंबर 1 रहा है और अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अग्रणी बनने जा रहा है। पहले चरण में 100 इलेक्ट्रिक गाड़ियां शुरू होंगी, और आने वाले समय में इसे और भी बढ़ाया जाएगा।”
हर 20 किमी पर होंगे चार्जिंग स्टेशन
मध्य प्रदेश सरकार की योजना के तहत, प्रमुख राजमार्गों और सड़कों पर प्रत्येक 20 किमी पर एक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन में कोई बाधा न आए। वहीं, भारी वाहनों के लिए हर 10 किमी पर तेज चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा, मॉडल ईवी शहरों में प्रत्येक 1 किमी पर चार्जिंग सुविधा होगी।
इंदौर नगर निगम का यह फैसला न केवल शहर को अधिक स्वच्छ और हरित बनाएगा, बल्कि अन्य शहरों के लिए भी एक मिसाल पेश करेगा। 100 इलेक्ट्रिक कचरा वाहन लाने की योजना भारत में शहरी सफाई व्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। इससे न केवल शहर की सफाई में क्रांतिकारी बदलाव आएगा बल्कि स्वच्छता और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में इंदौर को एक नया पहचान भी मिलेगी।
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