मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षक (Guest Teacher) बनने के इच्छुक हजारों उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि MPhil और स्नातकोत्तर (PG) पास अभ्यर्थियों को भी अब फिर से अतिथि शिक्षक बनने का अवसर मिलेगा। कोर्ट ने 2023 की नई पॉलिसी को आंशिक रूप से रद्द करते हुए 2010 की पुरानी गेस्ट टीचर नीति को बहाल करने का आदेश दिया है।
अतिथि शिक्षक भर्ती के लिए नई पॉलिसी
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने 5 अक्टूबर 2023 को अतिथि शिक्षक भर्ती के लिए नई पॉलिसी जारी की थी, जिसमें केवल NET और PhD धारकों को प्राथमिकता दी गई थी। इस पॉलिसी से MPhil और सिर्फ PG डिग्री वाले अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया था।
जिसका ये नतीजा ये हुआ कि हजारों योग्य उम्मीदवार अचानक गेस्ट टीचर बनने की दौड़ से बाहर हो गए। इसी के खिलाफ दिनेश कुमार समेत कई उम्मीदवारों ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट का बड़ा आदेश – पुरानी पॉलिसी बहाल हो
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फैसला दिया कि 2010 की पॉलिसी के अनुसार ही अतिथि शिक्षक की भर्ती होनी चाहिए।
मतलब अब फिर से चार श्रेणियों में उम्मीदवारों को अवसर मिलेगा:
- NET + PhD
- NET या PhD
- MPhil
- केवल Post Graduate (PG)
इस आदेश के बाद अब MPhil और PG पास उम्मीदवार भी फिर से पात्र माने जाएंगे। और वो मध्य प्रदेश से अतिथि शिक्षक के रूप में अपनी सेवा दे सकेंगे।
देखें नई पॉलिसी से क्यों हुआ था विरोध?
2023 की पॉलिसी में केवल NET/PhD उम्मीदवारों को मान्यता देने से लगभग 60% से ज़्यादा अभ्यर्थी नौकरी के अवसर से वंचित हो गए थे।
अभ्यर्थियों का कहना था कि यह पॉलिसी भेदभावपूर्ण है और शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में योग्यता को संकुचित कर देती है। इसी के चलते कोर्ट में करीब 37 याचिकाएं दायर की गई थीं।
2010 पॉलिसी के तहत ऐसे होती थी नियुक्ति:
अतिथि शिक्षकों में 2010 पॉलिसी के तहत नियुक्ति प्रक्रिया में सबसे पहले NET + PhD वाले उम्मीदवारों को वरीयता फिर सिर्फ NET या सिर्फ PhD धारक और फिर उसके बाद MPhil और PG डिग्री वाले अभ्यर्थी। सरकार की जिम्मेदारी थी कि इस क्रम के अनुसार भर्ती करे। लेकिन अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस क्रम को दोबारा लागू किया जाए और नए आदेश के अनुसार ही चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।
मैं उदय पटेल एक लेखक और अपना कल न्यूज़ का संपादक-इन-चीफ होने के नाते मुझे लगता है कि शिक्षा का क्षेत्र सिर्फ डिग्री नहीं, समझ, अनुभव और जज़्बे से चलता है। MPhil और PG उम्मीदवारों को हटाने का निर्णय सिर्फ पेपर-क्वालिफिकेशन पर आधारित था, जबकि शिक्षण क्षमता को नजरअंदाज किया गया।
कोर्ट का फैसला एक तरह से योग्यता की व्यापक व्याख्या की ओर इशारा करता है जो सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि व्यापक पहुंच और अवसर को महत्व देता है।
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अब MPhil और PG पास अभ्यर्थी भी अतिथि शिक्षक बनने की रेस में शामिल हैं। यह फैसला हज़ारों उम्मीदवारों की उम्मीदें फिर से जगा रहा है। आपका क्या मानना है? क्या शिक्षा क्षेत्र में योग्यता की परिभाषा सिर्फ NET/PhD तक सीमित होनी चाहिए? नीचे कमेंट करें और अपनी राय दें। और ऐसी ख़बरों के लिए अपना कल के साथ जुड़े रहें।