MP News: भोपाल में 20 जून को होगा ऐतिहासिक गौ-शाला सम्मेलन, 50 करोड़ की सौगात, गौसेवा को मिलेगा सम्मान

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MP News: 20 जून को भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास एक अहम आयोजन का साक्षी बनेगा, जहां मध्य प्रदेश की समस्त गौ-शालाओं से जुड़े प्रतिनिधि एक मंच पर जुटेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पशुपालन मंत्री लखन पटेल इस प्रदेश स्तरीय गौ-शाला सम्मेलन की अगुवाई करेंगे। इस सम्मेलन में न सिर्फ योजनाओं की झलक दिखेगी, बल्कि ₹50 करोड़ की राशि का वितरण भी किया जाएगा। क्या होगा इस गौ-शाला सम्मेलन में और क्यों ये खास है जानेंगे आज की इस खबर में सब कुछ। 

20 जून को गौशालाओं का महासम्मेलन

20 जून, शुक्रवार को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री निवास परिसर भोपाल में गौ-शाला सम्मेलन देखने को मिलेगा। राज्य की सभी जिलों से सरकारी और निजी गौ-शालाओं के प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने इस आयोजन को “गौ-सेवा को केंद्र में रखने वाली सरकार की प्रतिबद्धता” बताया है।

गौ-शाला सम्मेलन न केवल विचार-विमर्श का मंच होगा, बल्कि कई योजनाओं के वितरण और क्रियान्वयन की शुरुआत का भी गवाह बनेगा। क्योंकि मध्य प्रदेश गौ-पालन को बढ़ावा दे रही है और दूध उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही। 

गौशालाओं को मिलेगा 50 करोड़ का प्रोत्साहन

गौ-शाला सम्मेलन का सबसे बड़ा आकर्षण है ₹50 करोड़ की धनराशि का वितरण। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के अनुसार, यह राशि गौ-शालाओं में रह रहे गौवंश की उचित देखभाल, आहार और स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च की जाएगी।

इससे न सिर्फ वर्तमान गौ-शालाएं सशक्त होंगी, बल्कि नए संचालकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। मोहन सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में कम से कम एक आदर्श गौ-शाला विकसित की जाए। जिससे दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और शहरों में मोटर सायकिल के बीच चल रही गायों को गौ-शाला भी मिल जायगी जिससे उनकी अछि सेवा भी होगी और गायों के कारन हो रही सड़क दुर्घटना भी नहीं होगी। 

सम्मान, पंजीयन और ट्रैक्टर-ट्रॉली की सौगात

गौ-शाला सम्मेलन में आचार्य विद्यासागर जीव दया गौ-सेवा सम्मान योजना के तहत चयनित संस्थाओं को विशेष गौ-सेवा पुरस्कार दिए जाएंगे। साथ ही, डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को आर्थिक सहायता एवं संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।

इस अवसर पर कई नवीन गौ-शालाओं को पंजीयन प्रमाण पत्र भी सौंपे जाएंगे, जिससे वे आधिकारिक रूप से सरकार की योजनाओं का लाभ ले सकें। साथ ही, म.प्र. गौ-संवर्धन बोर्ड एवं दयोदय महासंघ के सहयोग से पात्र हितग्राहियों को ट्रैक्टर-ट्रॉली भी दी जाएंगी।

गौ-सेवा को लेकर सरकार की सोच स्पष्ट

गौ-शाला सम्मेलन से यह संदेश साफ है कि मध्यप्रदेश सरकार अब गौ-सेवा को केवल भावनात्मक मुद्दा नहीं, बल्कि संगठित और योजनाबद्ध विकास क्षेत्र मान रही है। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार की कोशिश है कि गौ-शालाएं केवल धार्मिक स्थल न रहकर, रोजगार और जैविक खेती का केंद्र भी बनें।

इस दिशा में उठाया गया यह कदम गौ-संवर्धन की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है।

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मेरे अनुसार गौ-सेवा भारत में केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक और ग्रामीण जीवन की आत्मा रही है। यदि सरकार इस भावना को संसाधनों और योजनाओं से जोड़कर आगे बढ़ा रही है, तो यह सराहनीय है। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या यह योजना गांव-गांव तक पहुंचेगी? क्या निजी गौ-शालाओं को भी समय पर सहायता मिलेगी?

हलाकि यह सम्मेलन केवल शुरुआत है, असली सफलता तब होगी जब जमीनी स्तर पर बदलाव दिखेगा और हर गौवंश को उचित देखभाल और सम्मान मिलेगा। 20 जून का यह सम्मेलन निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश में गौ-सेवा की दिशा में एक नया अध्याय लिखेगा। लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर दिखनी चाहिए।

इस गौ-शाला सम्मेलन को लेकर आपका क्या मानना है क्या गौशालाओं को लेकर यह प्रयास बदलाव ला सकेगा? नीचे कमेंट करें और अपनी राय साझा करें। और मध्य प्रदेश से जुडी ऐसी ख़बरों के लिए जुड़े रहें अपना कल के साथ। 

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