Mother Language Day 2025: हर साल 21 फरवरी को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं के प्रति लोगों में प्यार और जागरूकता बढ़ाना है। दरअसल, भाषा सिर्फ बात करने का जरिया नहीं है, ये हमारी पहचान और संस्कृति से जुड़ी होती है। पहली बार ये दिन साल 2000 में मनाया गया था और इस बार इसका सिल्वर जुबली यानी 25वां साल है। इस साल की थीम है – “अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का सिल्वर जुबली समारोह।”
अगर इस दिन के इसके इतिहास की बात करें तो इसका जुड़ाव बांग्लादेश से है। जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। वहां के लोग ज्यादातर बांग्ला भाषा बोलते थे, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने उर्दू को राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया। इसके विरोध में 21 फरवरी 1952 को छात्रों ने प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में कुछ छात्रों की जान चली गई। तभी से बांग्लादेश में हर साल इस दिन को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाद में यूनेस्को ने भी 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर घोषित कर दिया।
सीएम मोहन यादव और शिवराज सिंह ने किया ट्वीट
इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ट्वीट किया:
भाषा अभिव्यक्ति ही नहीं, हमारी संस्कृति है, पहचान है और जड़ों से जुड़ने का माध्यम…
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई। मातृभाषा के अविरल प्रवाह से संस्कृति और विरासत का संरक्षण होता है। हम सभी अपनी मातृभाषा पर गर्व करते हुए इसे संजोए रखने का प्रयास करें। pic.twitter.com/oCVa859grM
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) February 21, 2025
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वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर कहा:-
आप सभी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं!
भाषा प्रेम, अनुराग, संस्कृति और संस्कारों की संवाहक होती है। मातृभाषा हमारे व्यक्तित्व को गढ़ती, रचती है और यह हमारा गौरव है।
आइये, भाषा के माध्यम से प्रेम, संस्कृति और अपनत्व के दीप जलाएं। हाथ बढ़ाएं, संस्कृतियों… pic.twitter.com/z3fEli5Fow
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 21, 2025
दोनों नेताओं के ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं और लोग इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुल मिलाकर, अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस सिर्फ भाषाओं का सम्मान करने का दिन नहीं है, बल्कि ये हमें अपनी जड़ों से जुड़ने का भी मौका देता है।
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