MP News: नमस्कार किसान भाइयों मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में गेहूं खरीदी को लेकर एक नया विवाद सामने आया है इससे पहले आपको बता दें कि सरकार ने इससे पहले किसानों को आकर्षित करने के लिए 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने का एलान किया है, जिससे कुल सरकारी दाम ₹2600 होगा सरकार के इस निर्णय से सभी किसान काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे थे लेकिन अब जब किसान ने अपना अनाज लेकर इसे सरकारी मूल्य पर बेचने गए तो वहां एक नया विवाद शुरू हो गया।
वह विवाद यह था कि प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए सहकारी बैंक खाता अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले से किसानों को नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इसके बाद सभी किसान संगठनों ने इसे गलत बताते हुए इस बात का विरोध जताया है।
जिला सहकारी बैंक गुना ने गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन प्रक्रिया में सहकारी बैंक खाता अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में अगर किसी किसान के पास सहकारी बैंक में खाता नहीं है, तो उसे नया खाता खुलवाना होगा और उसे आधार कार्ड से लिंक करना होगा। यह नियम किसानों के लिए अतिरिक्त बोझ बन गया है।
किसानों ने किया जमकर विरोध
किसान संगठनों का मानना है कि यह नियम उनकी समस्याओं को बढ़ा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के संरक्षक जसदेव सिंह ने कहा,
फसल किसान की है, तो उसे यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी राशि किस बैंक खाते में चाहता है। सरकार या सहकारी बैंक इस पर निर्णय लेने के लिए किसानों को मजबूर नहीं कर सकते।
किसानों का कहना है कि सहकारी बैंक में भुगतान की प्रक्रिया धीमी और जटिल है। इसके अलावा, सहकारी बैंकों के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं। पहले से ही बैंकिंग प्रक्रियाओं की जटिलता से जूझ रहे किसानों के लिए यह नया नियम और मुश्किलें खड़ी कर रहा है।
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प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
किसान संगठनों ने इस मुद्दे पर प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है किसानों का कहना है कि सरकार को किसानों के हित में ऐसा नियम बनाना चाहिए जो उनकी सुविधा को प्राथमिकता दे। ऐसे में नए नियमों से उनकी परेशानी और बढ़ाना अनुचित है। सरकार को इसे तत्काल वापस लेना चाहिए।