मध्य प्रदेश की 1.27 करोड़ लाड़ली बहनों के लिए जुलाई का महीना खुशियों की सौगात लेकर आया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की घोषणा के अनुसार इस बार महिलाओं के बैंक खातों में लाड़ली बहना योजना की राशि दो बार ट्रांसफर होगी। एक नियमित किस्त और दूसरी रक्षाबंधन गिफ्ट के रूप में। इससे न सिर्फ त्योहार की तैयारी आसान होगी, बल्कि बहनों को आत्मनिर्भर बनने का हौसला भी मिलेगा। और राज्य की महिलाएं /बहनें इस त्यौहार होने वाले खर्चों को आसानी से वहन कर सकेंगी।
बहनों के खाते में आएंगे 2 बार पैसे
लाड़ली बहना योजना की 26वीं किस्त का इंतजार कर रहीं मध्य प्रदेश की महिलाएं इस बार एक नहीं, बल्कि दो बार खुशी मनाएंगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐलान किया है कि जुलाई महीने में हार बार की तरह दिए जाने वाले 1250 रुपये के साथ-साथ 250 रुपये अतिरिक्त राशि ‘शगुन’ के रूप में दी जाएगी। यानी इस बार बहनों के बैंक खाते में कुल 1500 रुपये ट्रांसफर होंगे।
मोहन सरकार का यह कदम रक्षाबंधन के त्योहार को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। यह राशि 10 से 15 जुलाई 2025 के बीच किसी भी दिन ट्रांसफर की जा सकती है। इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री और मामा के नाम से फेमस शिवराज सिंह चौहान जी न अगस्त 2023 और 2024 में रक्षाबंधन पर बहनों को 250 रुपये का विशेष गिफ्ट दिया गया था।
लाड़ली बहनों को दीपावली से हर माह 1500 रुपये मिलेंगे
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में इंदौर में ऐलान किया कि दीपावली 2025 के बाद हर माह 1500 रुपये की नियमित सहायता राशि दी जाएगी। वर्तमान में बहनों को 1250 रुपये मासिक मिलते हैं। इसके साथ ही सरकार की योजना है कि इस राशि को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाकर 3000 रुपये तक ले जाया जाए।
लाड़ली बहना योजना का उद्देश्य प्रदेश की महिलाओं को केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। यही वजह है कि सरकार त्योहारों के मौकों पर भी महिलाओं के लिए कुछ अलग करने का प्रयाश करती है।
लाड़ली बहना योजना की पात्रता
लाड़ली बहना योजना में वही महिलाएं शामिल हो सकती हैं जिनकी उम्र 21 से 60 वर्ष के बीच हो और जिनका जन्म 1 जनवरी 1963 के बाद व 1 जनवरी 2000 से पहले हुआ हो। इसके साथ ही कुछ आर्थिक और सामाजिक मापदंड भी तय किए गए हैं जो निम्न प्रकार है।
महिला मध्यप्रदेश की स्थानीय निवासी होनी चाहिए।
परिवार की वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम होनी चाहिए।
परिवार में कोई इनकम टैक्सदाता या सरकारी कर्मचारी न हो।
परिवार के पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि या चारपहिया वाहन (ट्रैक्टर को छोड़कर) न हो।
जो महिलाएं अन्य योजनाओं से ₹1250 या उससे अधिक मासिक राशि पहले से ले रही हैं, वे अपात्र मानी जाएंगी।
मध्य प्रदेश सरकार इन नियमों के जरिए सुनिश्चित करना चाहती है कि योजना का लाभ वास्तव में जरूरतमंद महिलाओं तक पहुंचे, न कि पहले से संपन्न परिवारों को।
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लाड़ली बहना योजना केवल पैसे की मदद तक सीमित नहीं है। इसने प्रदेश की लाखों महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाया है। कई महिलाओं ने इस राशि का उपयोग छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू करने में किया है, तो कुछ ने बच्चों की पढ़ाई या परिवार की जरूरी ज़रूरतें पूरी की हैं।
त्योहारों के मौके पर मिलने वाली अतिरिक्त सहायता ने महिलाओं को यह एहसास दिलाया है कि सरकार उनके साथ है और वह केवल वोट बैंक नहीं, बल्कि विकास की दिशा में आगे बढ़ती एक योजना है । यही वजह है कि इस योजना को लेकर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जबरदस्त लोकप्रियता देखी जा रही है।
लाड़ली बहना योजना ने एक बार फिर साबित किया है कि जब नीतियां जमीनी हकीकत को समझते हुए बनाई जाएं, तो उनका असर भी व्यापक होता है। इस बार की डबल किस्त सिर्फ आर्थिक राहत नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है कि महिलाएं केवल घर तक सीमित नहीं, बल्कि सशक्त भारत की नींव हैं।
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