मध्यप्रदेश और राजस्थान में दोनों राज्यों के चुनावी मुद्दों की चर्चा होती है। दोनों तरफ भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही है। दोनों राज्यों में चल रही दो प्रमुख योजनाएं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की लाडली बहना और राजस्थान में गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना की खूब चर्चा हो रही है। दोनों तरफ इन दोनों योजनाओं का खासा असर महसूस होता दिखाई दे रहा है।
मध्यप्रदेश की राजस्थान से सीटों पर सीमा पार दोनों राज्यों के चुनाव मुद्दों की चर्चा हो रही है दोनों तरफ भाजपा का चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लोग बात करते हैं दोनों राज्यों में चल रही दो प्रमुख योजनाओं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की लाडली बहना और राजस्थान में गहलोत सरकार की चिरंजीवी योजना की खूब चर्चा हो रही है।
दोनों राज्यों में दिखा रहा है योजना का खासा असर
दोनों तरफ इन दोनों योजनाओं का खासा असर महसूस होता है लेकिन असल लड़ाई शहरो के बीच ही सिमटती दिखाई देती है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर तो राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होगा। मध्य प्रदेश में जहां महिलाओं के खाते में 1250 रुपए पहुंचाने वाली लाडली बहना बड़ा मुद्दा है वही राजस्थान में 25 लख रुपए तक के निःशुल्क उपचार का लाभ देने वाली चिरंजीवी योजना चुनावी मुद्दा है।
शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ के बीच टक्कर की चर्चा
मध्य प्रदेश के हिस्से में जहां आमजन शिवराज सिंह और कमलनाथ के बीच टक्कर की चर्चा करते हैं तो राजस्थान के हिस्से में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को किनारे किए जाने के बीच महंत बालकनाथ के राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते जाने की कहानी चर्चा का विषय बनी हुई है। कोस-कोस पर पानी बदले चार कोस पर वाणी, भोपाल से जैसे-जैसे हम गुना-राजगढ़ के इलाके की ओर बढ़ते हैं कुछ इसी तरह की तस्वीर बदलती हुई दिखाई देती है।
नरसिंहगढ़ ब्यावरा पर चलते-चलते, रहना-सहना में अंतर दिखने लगता है ब्यावारा के नजदीक एक चाय की दुकान पर रुके तो एक ग्रामीण कानो में सोने की लंबी बाली पहने हुए दिखाई दिया वहीं राजस्थान के लोगो की पहचान माने जाने वाली पगड़ियां भी कहीं-कहीं सर पर नजर आने लगी थी। यहां से विकास का प्रतीक AB रोड गुजरता है लेकिन इसके दोनों और बसे ग्रामीण क्षेत्र हो या कस्बे विकास की तस्वीर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कुछ धुंधली नजर आती है।
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फासले हैं बाजार नहीं रोजगार भी बहुत बड़ा मुद्दा
इलाका बदलने के साथ जमीन की तासीर भी बदल जाती है लोगों से बात करते हैं तो पता चलता है कि यहां से लेकर गुना तक धनिया फसल की बेल्ट है। ₹15,000 क्विंटल तक धनिया के दाम कुछ वर्ष पहले तक मिलते थे लेकिन अब खरीददार ही नहीं मिल रहे हैं कुछ जगहों पर सीताफल भी होता है वह भी यहां- वहां बाजार में बेच देते हैं।
शहडोल की समस्या मध्यप्रदेश में
शहडोल में सिंचाई सुविधा मिलने से उपज बढ़ी है लेकिन फसल बेचने के लिए उपमंडी ही नहीं है यहां खेती कभी ज्यादा लाभ देने वाली नहीं रही। युवाओं के लिए रोजगार के साधन नहीं होना बड़ा मुद्दा है। कहने को यूरिया बनने की फैक्ट्रियां हैं लेकिन उनमें क्षेत्र के लोगों को रोजगार नहीं मिला है पास ही के 12वीं पास किए हुए आईटीआई किए को नौकरी मिल जाती है जहा रहवासी डिग्री धारी को नौकरी नहीं मिल पा रही है।
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