क्या भारत के नक्शे में एक नया राज्य जुड़ने वाला है? क्या आदिवासियों को मिलेगा उनका हक? नमस्कार दोस्तों, मैं हूँ प्रेरणा ठाकुर और आप देख रहे हैं अपना कल। आज हम बात कर रहे हैं उस मुद्दे की जो आजादी के बाद से अब तक सिर्फ आंदोलन और मांगों तक सीमित था लेकिन अब सियासी तूफान लाने वाला है।
भारतीय आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दो नक्शे शेयर किए। इन नक्शों में उन्होंने मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर एक नया राज्य ‘भील प्रदेश’ बनाये जाने की मांग की है।
इस पोस्ट के बाद न सिर्फ सोशल मीडिया में बवाल मच गया बल्कि मध्यप्रदेश के झाबुआ, खरगोन, बड़वानी, धार, रतलाम और अलीराजपुर जैसे जिलों में आदिवासी संगठनों ने भी इस मांग को हवा दे दी। राजकुमार रोत ने दावा किया कि 1913 में गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील समाज के 1500 से ज्यादा आदिवासी शहीद हुए थे। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ था और इसका केंद्र था मानगढ़ धाम, जिसे आज ‘आदिवासियों का जलियांवाला बाग’ कहा जाता है।
पोस्ट में उन्होंने यह भी लिखा कि आजादी के बाद इस क्षेत्र को 4 राज्यों में बांट दिया गया और भील समाज के साथ अन्याय हुआ” और वह इसी अन्याय को ठीक करने के लिए वे भील प्रदेश की मांग कर रहे हैं।
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कौन-कौन से जिले होंगे ‘भील प्रदेश’ में
- ● मध्यप्रदेश से – झाबुआ, अलीराजपुर, धार, खरगोन, बड़वानी, रतलाम (ग्रामीण), मंदसौर (कुछ हिस्से)
- ● राजस्थान से – बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़, सिरोही
- ● गुजरात से – डांग, नवसारी, भरूच, तापी, सुरत (कुछ हिस्से), छोटा उदेपुर
- ● महाराष्ट्र से – नंदुरबार, धुले, नासिक, पालघर
भील प्रदेश की मांग ने अब मध्यप्रदेश की सियासत में भी हलचल मचा दी है। झाबुआ, खरगोन और मंडलेश्वर जैसे इलाकों में जयस और सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और केंद्र सरकार से मांग की कि है जो नीचे दिए बिंदुओं के माध्यम से हमने आपको बताया है।
- चारों राज्यों की विधानसभाओं से प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा जाए।
- 9 अगस्त को राष्ट्रीय आदिवासी शहीद दिवस घोषित किया जाए।
- आदिवासी कार्यकर्ताओं पर लगे केस वापस लिए जाएं।
- वन विभाग की ज्यादतियों पर जांच हो।
- जल, जंगल, जमीन और आरक्षण की सुरक्षा की गारंटी हो।
इतना ही नहीं इन इलाकों में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी हुए हैं और ये आंदोलन अब तेजी पकड़ता जा रहा है। लेकिन क्या इस तरह का नया राज्य बन सकता है? भारत के संविधान के अनुसार, किसी भी राज्य के पुनर्गठन के लिए संसद में प्रस्ताव पास होना जरूरी है।
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इसके लिए संबंधित राज्यों की विधानसभाओं की राय भी ली जाती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मुद्दा अभी उतना बड़ा नहीं है, लेकिन अगर आंदोलन तेज हुआ तो राजनीतिक दलों को भी इसमें रूचि लेनी पड़ सकती है। 1500 शहीदों की कुर्बानी, गोविंद गुरु की अगुवाई और 110 साल से चली आ रही मांग क्या अब भील समाज को उनका अधिकार मिलेगा? क्या भारत का नक्शा बदलेगा? आपका इस मुद्दे पर क्या मानना है हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं।