history of india in hindi
let’s start the topic
भारत में वेदों की संख्या कितनी है :- 4
ऋग्वेद ;- ऋग्वेद इतिहास का सबसे प्राचीन वेद है संस्कृत भषा का जनक ऋग्वेद को ही माना जाता है गायत्री मंत्र का रचना ऋग्वेद में ही की गई है इसमें 10 मंडल और 1028 सूक्त है
साम्यवेद :– इसे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है
यर्जुवेद :- इसमें कृष्ण का उपासना का उल्लेख मिलता है
अथर्वेद :– अथर्वेद में जादू टोना का उल्लेख मिलता है
प्राचीन भारत Ancient History
history of india in hindi
1857 में कराची और लाहौर के बीच रेल पटरी बिछाने के दौरान जॉन ब्रंटन और विलियम ब्रंटन को दो प्राचीन नगरों हड़पा और मोहनजोदड़ो के बारे में
ऋग्वेद ;- ऋग्वेद इतिहास का सबसे प्राचीन वेद है संस्कृत भषा का जनक ऋग्वेद को ही माना जाता है गायत्री मंत्र का रचना ऋग्वेद में ही की गई है इसमें 10 मंडल और 1028 सूक्त है
साम्यवेद :- इसे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है
यर्जुवेद :- इसमें कृष्ण का उपासना का उल्लेख मिलता है
अथर्वेद :- अथर्वेद में जादू टोना का उल्लेख मिलता है
प्राचीन भारत Ancient History
history of india in hindi
हड़प्पा जो है रावी नदी के किनारे स्थित था और मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे स्थित था
उत्खलन के दौरान बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई
लगभग 5 हजार साल पहले एक उच्च स्तरीय सभ्यता विकसित हुई थी जिसकी नगर नियोजन व्यवस्था बहुत उच्च कोटि की थी। लोगी को नालियों तथा सडको के महत्व के अनुमान था। सिंधु सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी
सिंधु सभ्यता के लोग ईटों का प्रयोग करते थे
गुजरात के शहर लोथल सिंधु सभ्यता के एक प्रमुख बंदरगाह था
मोहनजोदड़ो में सबसे बड़ा भवन – धान्यगार था
विशाल स्नानागार (ग्रेट बाथ) मोहनजोदड़ो में है
कस्य से बानी नर्तकी की मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई थी और उत्खलन के दरमियान ये पता चला की सिंधु अर्थव्यस्था का ताकत कृषि तथा पशुपालन था
हरप्पा सभ्यता से अभी तक लोहे की प्राप्ति नहीं हुई है
सिंधु सभ्यता के लोगो ने सबसे पहले कपास का उतपादन किया था
सिंधु सभ्यता के लोग खेती के लिए लकड़ी का हल इस्तेमाल करता था
सिंधु सभ्यता का नष्ट होने का प्रमाण अभी भी अनभिज्ञ है की आखिरकार सिंधु सभ्यता किस वजह से नस्ट हुवा था
वैदिक सभ्यता
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वैदिक सभ्यता के मूल निवासी आयर्न को कहा जाता है वैदिक सभ्यता एक ग्रामीण सभ्ययता थी वैदिक सभ्यता के लोग का मुख्य वेवसाय पशुपालन था लोहे की सर्वप्रथम खोज वैदिक सभ्यता के लोगो के द्वारा ही की गयी थी
फिर धीरे धीरे यह एक नगरीय सभ्यता में तबदील होने लगे
फिर भारत 16 महाजनपद में बट गया 16 महाजनपद का उल्लेख भगवान बुद्ध के धार्मिक ग्रंथ – अंगुत्तर निकाय में किया गया है
मगध – अंग – काशी – कोशल – वज्जि – मल्ल चेदी – वत्स – कुरु – पांचाल – सूरसेन – गांधार – कम्बोज – अस्मक – अवन्ति – मत्सय
16 महाजनपद में सबसे महत्वपूर्ण राज्य मगध था जो बहुत ही शक्तिशाली राज्य था। अवन्ति महाजनपद में सबसे बड़ा राज्य था
मगध जनपद
मगध का सबसे प्राचीन राजधानी – गुरिब्रज (राजगृह ) थी
शासक :- बिम्बिसार – हरियाक वंश
शिशुनाग – नागवंश
महापद्मनंद – नन्द वंश
चन्द्रगुप्त मौर्य – मौर्य वंश
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बिम्बिसार – हरियाक वंश बिम्बिसार बौद्ध धर्म का अनुयायी था इसकी मृत्यु इनके पुत्र अजातशत्रु ने कर दिया और अजातशत्रु की हत्या उनके पुत्र उदयिन ने कर दिया उदयिन ने ही गंगा और सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नामक शहर का स्थापना किया था
नन्द वंश का शाशक महापद्यनन्द के समय में ही राजा सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था झेलम नदी के तट पर पौरस के राजा पोरस के साथ युध्य की जिसमे सिंकंदर विजय रहा इस युध्य को हाइडेस्पीन के युध्य के नाम से जाना जाता है नन्द वंश का अंतिम शाशक- घनानंद था
सिकंदर का मृत्यु ज्वर के कारन बेबीलोन में हुई थी
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चन्द्रगुप्त मौर्य :- मौर्य वंश का संथापक चन्द्रगुप्त मौर्य था चन्द्रगुप्त मौर्य ने घनान्द को हराकर मौर्य वंश का स्थापना किया था इनका गुरु – चाणक्य था। चाणक्य का वास्तविक नाम – विष्णु गुप्त , कौटिल्य था चाणक्य द्वारा लिखी गई पुस्तक अर्थशास्त्र है जो राजनीती पर आधारित है चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में ही सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने आक्रमण किया था इसका राजदूत का नाम मेगास्थिनीज था जिसके द्वारा लिखा गया पुस्तक इंडिका है
चन्द्रगुप्त मौर्य ने ही यूनानियों का अंत किया था और सेल्यूकस निकेटर के पुत्री कार्निया के साथ विवाह किया चन्द्रगुप्त मौर्य ने भारत के 8 महाजनपद पर कब्ज़ा किया था चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम कल में जैन धर्म को अपनाया था और चन्द्रगुप्त मौर्य का मृत्यु श्रवणबेलगोला में हुई थी
बिन्दुसार :- बिन्दुसार को पुराणों में अमित्रघात भद्रसार के नाम से भी लोग जानते है बिन्दुसार भी जैन धर्म का अनुयायी था बिन्दुसार के शाशन कल में ही तक्षशिला में विद्रोह हुवा था जिसे नियंत्रण करने के लिए अशोक को भेजा था बिन्दुसार ने भारत के 10 महाजनपदों पर राज किया था इसके बाद मौर्य वंश का शाशक अशोक बना
अशोक :- पुरे मौर्य वंश में अशोक सबसे शक्तिशाली शाशक था जिन्होंने भारत के 16 महाजनपदों पर राज किया था अशोक के शाशन कल में ही शिलालेख का प्रचलन हुवा था
अशोक का शिलालेखों का खोज सर्वप्रथम 1750 में फेनथेलर ने किया था और 1837 में जेम्स प्रिसेप ने पड़ा था
अशोक ने कलिंग युद्ध के महा रक्तपात के बाद शास्त्र का त्याग कर दिया था और बौद्ध धर्म को अपना लिया था। इस वंश का अंतिम शाशक ब्रहद्रथ था इसके बाद
पुष्पमित्र :- शुंग वंश
वासुदेव :- कण्व वंश
सिमुक :– सातवाहन वंश
श्रीगुप्त :– गुप्त वंश
गुप्त वंश
श्री गुप्त ने 6 महाजनपद को जीता था इसके बाद चन्द्रगुप्त प्रथम आया जिसने लिक्षवी के राजकुमारी के साथ विवाह किया था और भारत में गुप्त संवत की स्थापना की थी इसके बाद समुद्रगुप्त आया
समुद्रगुप्त :- समुद्रगुप्त एक संगीत प्रेमी था इन्होने ही सिक्को पर वीणा बजाते हुवे देवी की मूर्ति वाला सिक्का चलाई थी इन्हे भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है इसके बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय शाशक बना
चन्द्रगुप्त द्वितीय :- चन्द्रगुप्त द्वितीय को विक्रमितित्य के नाम से भी जाना जाता है चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ही भारत पर शकों के आक्रमण को विफल किया था चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ही सबसे पहले चाँदी के सिक्के चलाए थे
चन्द्रगुप्त द्वितीय के शाशन कल में ही कालिदास , आर्यभट, वरामिहिर , ब्रह्मगुप्त , सुश्रुत जैसे विद्वान दरवारी थे
आर्यभट एक खगोल वैज्ञानिक और गणितज्ञ थे आर्यभट ने ही सूर्य सिद्धान की रचना की थी
वरामिहिर एक खगोलशास्त्री थे
कालिदास एक कवि थे जिन्होंने मेधदूतम और कुमार संभव जैसे रचना की थी
चन्द्रगुप्त द्वितीय के शाशन कल को ही भारत की इतिहास का स्वर्णकाल कहा जाता है इसके बाद कुमार गुप्त शाशक बना
कुमारगुप्त :- नालंदा जैसे यूनिवर्सिटी की स्थापन की थी
गुप्त वंश का अंतिम शाशक भानु गुप्त था
राजतरंगणी पुस्तक के लेखक :- कल्हण था यह पुस्तक कश्मीर के इतिहास के बारे में बताता है
चीनी यात्री ह्वेनसांग हर्षवर्धन के शाशन काल में आया था और चीनी यात्री फाहियान चन्द्रगुप्त द्वितीय के शाशन कल में भारत आया था
भारत का आइस्टीन नागार्जुन को कहा जाता है
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