सरकारी स्कूल घोटाला 2025: सिर्फ 24 लीटर पेंट के लिए 443 लेबर और 215 मिस्त्री?

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सरकारी स्कूल घोटाला 2025: मध्यप्रदेश में एक और घोटाला, सरकारी स्कूलों में ऑयल पेंट खरीदने के नाम पर खर्च हुए बिल का फोटो हो गया वायरल। आज हम बात करने वाले हैं मध्यप्रदेश में हुए घोटाले के बारे में जहाँ मात्र दो सरकारी स्कूलों में 24 लीटर पेंट करने के लिए 443 लेबर और 215 मिस्त्री लग गए। इसके लिए बकायदा स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से लगभग 3 लाख 38 हजार रुपए का भुगतान किया गया है। ऐसा हम नहीं, सरकारी स्कूलों द्वारा लगाए गए बिल का कहना है। जी हाँ, पेंट के एवज में किए गए भुगतान का बिल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

इससे पहले आपने कई घोटालों के बारे में सुना होगा पर क्या आपने ऐसा घोटाला सुना है जहाँ मात्र दो स्कूलों में पेंट करने के लिए 443 लेबर और 215 मिस्त्री लग गए हों। जहाँ सिर्फ 24 लीटर आयल पेंट लगाने पर लगभग 3 लाख रुपये की मजदूरी खर्च करनी पड़ गई हो। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में शिक्षा विभाग में रंगाई-पुताई के नाम पर बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है।

पहला मामला – हाई स्कूल सक्कन्दी, ब्यौहारी जहाँ सिर्फ चार लीटर ऑयल पेंट की खरीद की गई थी, जिसकी कीमत 784 रुपये बताई गई है (196 रुपये प्रति लीटर)। वहीं इस पेंट को दीवार पर लगाने के लिए 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों को काम पर लगाया गया, जिनका कुल भुगतान 1,06,984 रुपये पहुंच गया। यह खर्च केवल 4 लीटर पेंट लगाने के लिए किया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर ये मजदूर और मिस्त्री किस काम के लिए लगाये गए थे।

दूसरा मामला – उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, निपानिया में कुल 20 लीटर पेंट खरीदा गया था, लेकिन यहां की स्थिति और भी चौंकाने वाली है। 275 मजदूरों और 150 मिस्त्रियों को लगाया गया, जिनका कुल भुगतान 2,31,650 रुपये तक पहुंच गया। इस खर्च में खिड़कियों और दरवाजों की रंगाई का भी खर्च शामिल है जो कि 20 लीटर पेंट के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

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अब इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन दोनों मामलों में एक ही ठेकेदार सुधाकर कंस्ट्रक्शन का नाम सामने आया है। खास बात तो यह है कि दोनों बिल 5 तारीख पांचवां महीना 2025 में कटे हैं। जिसने इन कार्यों के लिए भुगतान प्राप्त किया है। बिलों पर संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर और सरकारी सील भी लगी हुई है।

सुग्रीव शुक्ला, प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल सक्कन्दी कैमरे से बचते हुए इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी। वहीं, फूल सिंह मारपाची, जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया में वायरल बिल मामले में हमने जांच शुरू करवा दी है। तो दोस्तों सवाल बहुत बड़ा है क्या सच में 24 लीटर पेंट लगाने के लिए 443 लेबर और 215 मिस्त्री की जरूरत थी? या फिर यह सिर्फ एक नया घोटाला है, जो सरकारी तंत्र की नाकामी को उजागर करता है?

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सरकारी दस्तावेज़ों पर ठेकेदार का नाम, प्राचार्य और अधिकारियों की मुहरें क्या ये सब मिलीभगत का हिस्सा हैं जवाब तो जांच के बाद ही मिलेगा लेकिन जो तस्वीरें और आंकड़े सामने आए हैं, वो हैरान कर देने वाले हैं। हमारा सिस्टम कब तक ऐसे भ्रष्टाचारियों के आगे झुका रहेगा? क्या जनता का पैसा ऐसे ही बर्बाद होता रहेगा।अब देखना ये है कि प्रशासन इस मामले में क्या एक्शन लेता है या फिर यह भी बाकी मामलों की तरह धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा।

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