MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने अपने तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अचल संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया है। यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा सोमवार को जारी किया गया।
सरकार का यह फैसला सरकारी तंत्र में पारदर्शिता बढ़ाने और वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है। इस निर्देश के तहत सभी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति की जानकारी, जिसमें उनकी नौकरी का पद, वेतन, और संपत्ति की कीमत शामिल है, विभागीय पोर्टल पर जमा करनी होगी।
सरकारी कर्मचारियों को हर वर्ष देनी होगी अपनी संपत्ति का विवरण
मध्य प्रदेश सरकार ने तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के लिए अपनी अचल संपत्ति की जानकारी अनिवार्य रूप से दर्ज कराने का निर्देश जारी किया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को 31 जनवरी तक अपनी अचल संपत्ति का विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर जमा करना होगा।
जो कर्मचारी ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थ होंगे, उनके लिए एनआईसी के कार्यालय और पीएमयू टीम की सहायता उपलब्ध होगी। इसके अतिरिक्त, हेल्पलाइन नंबर 2423 भी जारी किया गया है, जिससे कर्मचारियों को इस प्रक्रिया में मदद मिल सके।
यह निर्णय सौरभ शर्मा मामले के बाद लिया गया है। आदेश के अनुसार, मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत, सरकारी कर्मचारियों को हर वर्ष जनवरी में अपनी संपत्ति का विवरण सामान्य प्रशासन विभाग को देना आवश्यक है।
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सरकारी कर्मचारियों को अचल संपत्ति का विवरण देना होगा
मध्य प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए अचल संपत्ति के विवरण देने का निर्देश जारी किया है। कर्मचारियों को न केवल अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा देना होगा, बल्कि उसकी आय का स्रोत भी बताना अनिवार्य होगा। इसमें उनकी नौकरी का पद, वेतन, संपत्ति की कीमत, स्थान और संपत्ति का प्रकार शामिल है।
इसके अलावा, कर्मचारी यह भी स्पष्ट करेंगे कि उन्होंने पहले अचल संपत्ति कब खरीदी, उस समय उसकी क्या कीमत थी, और वर्तमान में उसकी कीमत क्या है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
31 जनवरी की समय सीमा
सरकारी निर्देशों के अनुसार, कर्मचारियों को 31 जनवरी तक अपने विभागीय पोर्टल पर संपत्ति का विवरण अपलोड करना होगा। जो कर्मचारी इस समय सीमा तक जानकारी अपलोड नहीं करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के वित्तीय व्यवहार में पारदर्शिता लाई जा सके और किसी भी अनियमितता को रोका जा सके।
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