Essay Of Raksha Bandhan In Hindi रक्षाबंधन निबंध 2021

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                                                  Essay Of Raksha Bandhan In Hindi
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 रक्षाबंधन :- रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक पवित्र त्यौहार है जिसमें एक बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है और  भाई अपने बहन को रक्षा का वचन देता है, यह त्यौहार भाई और बहन के बीच का प्यार और स्नेह का त्यौहार है। जिसका इतिहास बहुत ही पुराना है, भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन कई मान्यताओं पर आधारित है, जिनमें से एक भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी की कथा भी शामिल है
महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण ने जब शिशुपाल का सुदर्शन चक्र से वध किया था। तभी उनके हाथ में चोट आ गई थी और तर्जनी से खून बहने लगा, तभी द्रोपति ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर खून को बहने से रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण के हाथों में पट्टी बांधी थी। 
महाभारत में जब द्रोपदी की चीर हरण हो रहा था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपति के द्वारा बांधी गई छोटी सी पट्टी का कर्ज अदा करते हुवे, भरी सभा में उन्हें लज्जित होने से बचाया था। यह घटना सावन माह की पूर्णिमा के दिन घटित हुआ था
और फिर हर सावन माह की पूर्णिमा के दिन से रक्षाबंधन की यह परंपरा शुरू हुई। जिसमें बहन भाई के माथे पर तिलक लगाती है और कलाई पर राखी बांधती है
रक्षाबंधन क्यों मनाई जाती है
Essay Of Raksha Bandhan In Hindi
रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसमें भाई-बहन का स्नेह धागा की एक डोर में बंध जाती है, राखी का यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह की डोर को मजबूत बनाती है, युगो युगो से चलती आ रही रक्षाबंधन की यह परंपरा हमारी सभ्यता और संस्कृति को सुशोभित करती आई है, 
रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई
रक्षाबंधन का इतिहास हमारे देश में बहुत ही पुरानी है, हमारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन का इतिहास कई मान्यताओं पर आधारित है जिनमें से एक है भगवान श्री कृष्णा और द्रौपदी का इतिहास भगवान श्री कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था तब उनके तर्जनी से लहू बहने लगा था तभी द्रौपदी ने अपनी सारी का आंचल फारकर भगवान श्री कृष्ण की कलाई पर बांधी थी,महाभारत में जब द्रोपदी की चीर हरण हो रहा था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपति के द्वारा बांधी गई छोटी सी पट्टी का कर्ज अदा करते हुवे, भरी सभा में उन्हें लज्जित होने से बचाया था।  यह घटना सावन माह के पूर्णिमा के दिन घटित हुआ था। उसी दिन से हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा।
रक्षाबंधन का अर्थ क्या है
रक्षाबंधन का अर्थ से हमारा तात्पर्य है कि जब एक बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है। तो यह बंधन, केवल राखी का एक डोर नहीं होता है। वह राखी के धागे के साथ-साथ अपनी प्यार और स्नेह का डोर भी बांधती है, अपनी रक्षा और सुरक्षा का डोर भी बांधती है। राखी का यह बंधन हमें अपनी बहनों के प्रति प्यार और स्नेह की भाव को मजबूत बनाती है
आधुनिक रक्षाबंधन
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आधुनिक समय में भी रक्षाबंधन का महत्व उतना ही है जितना कि हमारे ऐतिहासिक काल में रहा है भले ही आज रक्षाबंधन मनाने का तौर तरीका बदल गया है लेकिन इनका महत्व कभी कम नहीं हुआ है, आज के आधुनिक समय में रक्षाबंधन के त्यौहार पर बहुत सारी निजी और सार्वजनिक संस्था अवकाश देती है, स्कूल और कॉलेजों में भी छुट्टी रहती है, रक्षाबंधन के दिन बाज़ार भी दुल्हन की तरह सजी रहती है तरह-तरह की मिठाइयां उपहार से बाजार भरी रहती है आज के दिन बाजार में रंग-बिरंगी राखियां बेची जाती है, आज के दिन बाजार में काफी भीड़ उमड़ आती हैं।
लोग बाज़ार से रंग बिरंगे राखियां, रंग बिरंगे मिठाईयां, उपहार एवं नई कपड़े भी खरीदते हैं। भाई बहन के प्यार और स्नेह का यह त्यौहार हर साल सावन माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसमें बहन पूजा की थाली सजाकर भाई को तिलक लगाती है, मुंह मीठा कराती है, और फिर कलाई पर राखी बांधती है। और भाई अपने बहन की सम्मान और अपना खुशी जाहिर करने के लिए उपहार स्वरूप कुछ भेंट देता है। धागे से जुड़ने वाला यह अटूट बंधन दरअसल युगो युगो से भाई बहन की स्नेह को जोड़ता आया है।
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