Essay In Hindi On Beti Bachao Beti Padhao बेटी बचाओं बे

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से आपका क्या आशय है
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ से हमारा आशय है बेटी को शिक्षित करना बेटी के जीवन स्तर को बेहतर बनाना बेटी को हर क्षेत्र में प्राथमिकता देना फिर चाहे वह  आर्थिक क्षेत्र हो,  सामाजिक क्षेत्र हो, राजनीति क्षेत्र हो, औद्योगिक क्षेत्र हो खेल जगत हो या फिर फिल्म जगत हो
देश में राष्ट्रीय स्तर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सामाजिक अभियान चलाने की क्यों आवश्यकता है
देश में राष्ट्रीय स्तर पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सामाजिक अभियान चलाने की मुख्य आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि आज लैंगिक असमानता व्यापक रूप लेती जा रही है इसका एक प्रमुख कारण महिलाओं का अशिक्षा और उनका शोषण भी है।क्योंकि आज भी ज्यादातर घरों में बेटियों को घर का बोझ समझा जाता है और बेटों को कमाई का साधन समझा जाता है
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध का मुख्य उद्देश है बेटियों के जीवन स्तर में बदलाव लाना, भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगाना, उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाना, लैंगिक असमानता को समाप्त करना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर यह निबंध समाज में बेटियों की स्थिति को बेहतर करने के प्रयास से संबंधित है। क्योंकि आज भी हमारे देश में बेटियों को अपने अधिकार के लिए हर स्तर पर एक दुविधा पूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आज सामाजिक दृष्टिकोण से बेटियों का दशा हमारे देश में बहुत बेहतर नहीं है वही भ्रूण हत्या के मामले में आज हमारा देश 40 वां स्थान पर आता है आप इसी बात से अनुमान लगा सकते हैं कि इतनी बड़ी आबादी वाला देश मैं बेटियों को अपने अधिकार के लिए कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (essay in hindi on beti bachao beti padhao)

वहीं एक तरफ हमारे देश में बेटियों को घर की लक्ष्मी बोला जाता है, वहीं दूसरी तरफ घर की बोझ समझा जाता है। जबकि वास्तविकता कुछ और हैं क्योंकि बेटियों को जब-जब अवसर मिला है समाज में कुछ कर दिखाने का वह बेटों से ज्यादा प्रभावशाली कार्य किए हैं, आज हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण हैं, कल्पना चावला, किरण बेदी, पी टी उषा, सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल, हेमा दास ऐसे कई बेटियां हैं हमारे देश में जिन्होंने बेटों से ज्यादा सुर्खियां बटोरी है। इन्होंने केवल नेशनल लेवल पर ही नहीं बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर अपनी छाप छोड़ी है।
आज भी हमारे देश में बेटियों को स्वतंत्र पूर्वक अपना फैसला लेने का अधिकार नहीं है अगर उन्हें घर से स्वतंत्रता मिल ही जाती है तो समाज के एक अलग विचारधारा वाले लोगों से अवगत होना पड़ता है जिनकी मानसिकता में बेटियां सिर्फ घर के कामकाज के लिए बनी है। जबकि बेटियां आज हर क्षेत्र में कामयाबी का सुर्खियां बटोर रही है फिर चाहे वह आर्थिक क्षेत्र हो राजनीति क्षेत्र हो औद्योगिक क्षेत्र हो, खेल जगत हो, फिल्म जगत हो हर क्षेत्र में अपनी मेहनत और कामयाबी का मुकाम को प्रबल बनाती जा रही है। फिर भी समाज में रहने वाले कुछ लोग बेटियों को अव्वल और दुर्लभ मानती है। 
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर सरकार ने क्या कदम उठाए हैं
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत भारत सरकार ने जनवरी 2015 में शुरू की थी जिनका  लक्ष्य था लैंगिक असमानता को समाप्त करना भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध लगाना और देश में बेटियों की स्थिति को बेहतर बनाना 2010 के जनगणना के अनुसार भारत में लैंगिक असमानता बहुत बड़े स्तर पर देखा गया जिनमें 1000 लड़कों में केवल 921 लड़कियां का आंकड़ा सामने आया जो कि एक चिंता का विषय था
आज भारत में लैंगिक असमानता का सबसे बड़ा कारण है भ्रूण हत्या लड़कियों को जन्म से पहले ही उनकी हत्या कर दी जाती है, आपको जानकर हैरानी होगी कि भ्रूण हत्या के मामले में शहरी क्षेत्र बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, बड़े-बड़े  doctors, nurses भ्रूण हत्या को बढ़ावा दे रही है सरकार द्वारा बनाए गए नियम कानून की धज्जियां उड़ा रही हैं आज इनके अंदर नहीं तो किसी प्रकार का डर है और ना ही किसी प्रकार का जिम्मेदारी
सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान को सफल बनाने के लिए नियंत्रण प्रयास कर रही है लड़का लड़की में भेदभाव को समाप्त करने की प्रयास कर रही है जिनके लिए आईदीनो कई प्रकार की गतिविधियां और अभियान चलाती रहती है कभी दीवार लेखन के रूप में, तो कभी टीवी और विज्ञापनों के रूप में, तो कभी फिल्म के रूप में, कभी निबंध लेखन के रूप में, तो कभी बात विवाद के रूप में
सरकार आज बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान को सफल बनाने के लिए कई प्रकार के लाभकारी योजना चला रही है स्कूली शिक्षा से लेकर लड़की की शादी तक एक निश्चित धनराशि प्रदान करती है, लड़की की शादी के लिए कई प्रकार की बैंकिंग लाभकारी योजना चला रही है जिनके तहत माता-पिता को एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है ताकि शादी में सहायता प्रदान हो सके।
जागरूकता
कहते हैं कोई भी योजना तब तक सफल नहीं होता है जब तक उस योजना में हर कोई साथ नहीं होता और लोग उस योजना में तब तक साथ नहीं होता है जब तक लोग उस योजना को भली-भांति समझ नहीं जाता हैं। भारत सरकार द्वारा चलाई गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरुआती दौर में काफी प्रभावशाली रहा लेकिन धीरे-धीरे यह योजना कमजोर होती गई इसका एक मुख्य कारण है जागरूकता

आशा करता हूँ की आपको बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं पर यह लेख आपको पसंद आया होगा।(essay in hindi on beti bachao beti padhao)

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  • Princi Soni

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