MP News: जो आंखों में उजाला भर दे,वही असली डॉक्टर है। यही साबित किया है मध्य प्रदेश के चित्रकूट से आने वाले जाने-माने नेत्र चिकित्सक डॉ. बीके जैन ने। हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा है। लेकिन उनके काम की कहानी सिर्फ एक पुरस्कार की नहीं यह एक संकल्प, एक सेवा और लाखों जिंदगियों को रौशन करने की यात्रा की दास्तान है।
जानिये कौन हैं Dr. BK Jain
डॉ. जैन का जन्म मध्य प्रदेश के सतना जिले में हुआ है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतना के क्रमांक-1 विद्यालय से प्राप्त की है। डॉ. बीके जैन कोई आम डॉक्टर नहीं हैं। वे सदगुरु नेत्र चिकित्सालय, चित्रकूट के संस्थापक निदेशक और ट्रस्टी हैं। 1970 के दशक में, जब चित्रकूट जैसे आदिवासी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं, तब उन्होंने वहां नेत्र चिकित्सा सेवा शुरू करने की हिम्मत की। तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यहां दुनिया का सबसे बड़ा नेत्र ऑपरेशन सेंटर खड़ा होगा।
एक अस्पताल, जो बना रोशनी का मंदिर
आज Sadguru Netra Chikitsalaya सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के अग्रणी नेत्र संस्थानों में गिना जाता है। इस चिकित्सालय में हर साल होते हैं 1.55 लाख से ज्यादा नेत्र ऑपरेशन होते हैं जिससे अब तक 17 लाख से अधिक लोग इस सेवा का लाभ ले चुके हैं इनके अस्पताल में विश्व का सबसे बड़ा ऑफ्थैल्मिक मॉड्युलर ऑपरेशन थिएटर भी बना है। और सबसे अच्छी बात यह है कि इन आँकड़ों में सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि हर एक संख्या के पीछे एक उजाले से भरी जिंदगी है।
यूपी-एमपी में 130 नेत्र जांच केंद्र
डॉ. जैन का सपना सिर्फ अस्पताल तक सीमित नहीं था। उन्होंने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 130 प्राथमिक नेत्र जांच केंद्र स्थापित किए हैं। यहां ग्रामीण और दूर-दराज़ के लोगों को समय पर जांच और इलाज मिल पाता है। आपको बता दें पन्ना, बांदा, सतना, फतेहपुर, हमीरपुर जैसे जिलों में हज़ारों नेत्र शिविर हर साल आयोजित होते हैं इसके अलावा मोतियाबिंद मुक्ति अभियान ने हजारों लोगों को नया जीवन दिया है।
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शिक्षा और समर्पण की मिसाल
डॉ. बीके जैन का जन्म मध्यप्रदेश के सतना जिले में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतना के प्रतिष्ठित शासकीय वेंकट क्रमांक-1 विद्यालय से प्राप्त की है। बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे डॉ. जैन ने वर्ष 1973 में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज, रीवा से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। उनकी सबसे अच्छी बात यह लगी कि उन्होंने मुंबई जैसे बड़े शहर में अवसरों के बावजूद उन्होंने गांवों की सेवा को चुना यही उनका असली परिचय है।
- स्कूली शिक्षा: शासकीय वेंकट क्रमांक-1 विद्यालय, सतना
- एमबीबीएस: श्याम शाह मेडिकल कॉलेज, रीवा (1973)
- पोस्ट ग्रेजुएशन: नेत्र रोग में, लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज, मुंबई (1979)
पद्मश्री एक सम्मान, कई जिंदगियों की जीत
जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया तो सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि गांव-गरीब की सेवा भावना का भी सम्मान हुआ। यह उस सोच की जीत है जो कहती है “सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।” डॉ. बीके जैन का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर नीयत साफ हो और सेवा सच्ची, तो दुनिया की कोई भी दीवार रास्ता नहीं रोक सकती। 17 लाख से अधिक आंखों को रोशनी देने वाले इस मसीहा को सिर्फ पद्मश्री नहीं, लोगों के दिलों में बसी एक इज़्ज़त मिली है।
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