MP में पदोन्नति के लिए खुला रास्ता: अब हर 2 साल में होगी DPC, 9 साल का इंतज़ार हुआ खत्म

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मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत की खबर आई है। और हम कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने वो दरवाज़ा खोल दिया है जो बीते 9 वर्षों से बंद था। मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में DPC (Departmental Promotion Committee) नियमों में ऐतिहासिक संशोधन को मंज़ूरी दी गई है।

अब हर 2 वर्षों में एक बार अनिवार्य रूप से DPC बैठक होगी, जिससे योग्य और वरिष्ठ कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति मिल सकेगी।

2016 से रुकी पड़ी थी पदोन्नति प्रक्रिया

पिछले 9 वर्षों से मध्य प्रदेश में कोई नियमित पदोन्नति प्रक्रिया नहीं हुई। 2016 के बाद से DPC बैठकों का क्रम बाधित हो गया था, जिससे हज़ारों अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन पाए ही सेवानिवृत्त हो गए। यह स्थिति न सिर्फ प्रशासन के मनोबल को प्रभावित कर रही थी, बल्कि योग्य कर्मचारियों के अधिकारों का हनन भी कर रही थी।

क्या बदला है नए नियम में?

  1. हर दो साल में अनिवार्य DPC बैठक होगी, चाहे पद रिक्त हों या न हों।

  2. रिक्त पदों पर परंपरा और योग्यता अनुसार पदोन्नति दी जाएगी – इसमें प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारी भी शामिल हैं।

  3. Confidential Report (CR) में 3 अंकों तक परिवर्तन का अधिकार DPC मंडल को मिलेगा, ताकि निष्पक्ष और न्यायपूर्ण मूल्यांकन हो सके।

  4. आरक्षित और अनारक्षित वर्ग में संतुलन साधने की कोशिश होगी, जिससे मेरिट और वरिष्ठता को प्राथमिकता मिलेगी।

  5. प्रोफार्मा प्रमोशन अब प्रतीक्षा में नहीं रहेगा – प्रतिनियुक्त कर्मचारियों को समय पर फायदा मिलेगा।

  6. पूरी प्रक्रिया डिजिटल पोर्टल पर ट्रैक हो सकेगी – जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

‘हर साल DPC’ में क्या दिक्कत थी?

पुराने नियम के तहत DPC तभी होती थी जब पद रिक्त होते। इससे बड़ी संख्या में पद भरे ही नहीं गए। साथ ही, 2002 में लागू एक नियम के बाद आरक्षित वर्ग के कुछ मामलों में CR स्कोर में गड़बड़ियों के आरोप सामने आने लगे, जिससे योग्यता और निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे।

अब, नए नियमों से इस पूरे सिस्टम को संरचित, निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने का रास्ता साफ हुआ है।

देखें कर्मचारियों को क्या मिलेगा फायदा?

  • समय पर पदोन्नति से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा

  • वरिष्ठता और परिश्रम को सही पहचान मिलेगी

  • पदोन्नति में पोलिटिकल हस्तक्षेप या सीआर हेराफेरी पर लगाम लगेगी

  • प्रशासनिक सेवाओं में नवीन ऊर्जा और दक्षता आएगी। 

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अब कैबिनेट की मंज़ूरी के बाद सभी विभागों को आदेश जारी किए जाएंगे कि वे 2025-26 के भीतर अगली DPC बैठक करें और योग्य कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान करें। यह निर्णय भविष्य में समयबद्ध प्रमोशन कल्चर की नींव रखता है, जो कई अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श बन सकता है।

नियमों में ये संशोधन सिर्फ़ एक तकनीकी बदलाव नहीं है। यह मध्य प्रदेश प्रशासन को योग्यता आधारित और जवाबदेह प्रणाली की ओर ले जाने वाला बड़ा कदम है। यह उन कर्मचारियों के लिए न्याय है, जिन्होंने वर्षों तक बिना किसी लालच के सेवा दी और पदोन्नति की उम्मीद में वक़्त गुज़ार दिया।

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