MP News: सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन में कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो पहले कभी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिप्रा नदी पर 864 करोड़ की मेगा योजना का शिलान्यास किया है। 29 किलोमीटर के नए घाट, 21 नए बैराज और नर्मदा-गंगा जैसी शुद्ध जलधारा की तैयारी, ये सिर्फ निर्माण कार्य नहीं, एक भावनात्मक और सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत है।
शिप्रा नदी पर 864 करोड़ की विकास परियोजना का भूमिपूजन
उज्जैन के अंगारेश्वर महादेव मंदिर परिसर में शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 864 करोड़ की लागत से शिप्रा नदी के कायाकल्प की योजना का भूमि पूजन किया। इसमें 779 करोड़ से 29 किमी लंबा नया घाट और 85 करोड़ से 21 बैराजों का निर्माण शामिल है। यह सब सिंहस्थ 2028 की भव्यता को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है, ताकि लाखों श्रद्धालु सहजता से स्नान कर सकें।
शुद्ध शिप्रा की ओर: दूषित जल का होगा उपचार
डॉ. यादव ने घोषणा की कि अब शिप्रा में गंदा पानी नहीं मिलेगा। गंभीर डैम के नीचे से निकलने वाले दूषित जल को पहले फिल्टर किया जाएगा। इसके साथ ही, सिलारखेड़ी परियोजना के तहत बारिश का पानी तालाबों में संग्रहीत कर शुद्धिकरण के बाद शिप्रा में छोड़ा जाएगा। यानी अब सालभर शिप्रा में निर्मल जल उपलब्ध रहेगा।
सिंहस्थ 2028: 5 करोड़ श्रद्धालु, 24 घंटे स्नान, घाटों पर नौका विहार
सीएम मोहन यादव ने बताया कि 29 किमी लंबे घाटों पर एक ही दिन में 5 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। वाल्मीकि धाम से रामघाट तक नौकाओं का संचालन भी होगा, ताकि तीर्थयात्रा केवल धार्मिक नहीं, एक दिव्य अनुभव बन जाए। यह योजना उज्जैन को वैश्विक धार्मिक पर्यटन की मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करेगी।
देवी अहिल्याबाई से लेकर सिंधिया तक की विरासत का सम्मान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने शासन को महादेव को समर्पित किया और हर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। डॉ. यादव ने यह भी कहा कि हमारे अतीत के महानायकों ने जो विरासत दी, आज उसे पुनर्जीवित करने का समय है। कार्यक्रम में अहिल्याबाई पर एक भावुक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई।
जनता का साथ और केंद्र का सहयोग
सांसद अनिल फिरोजिया ने बताया कि रतलाम-नागदा रेलवे लाइन को 1018 करोड़ में फोरलेन करने की स्वीकृति मिल गई है, जिससे सिंहस्थ में ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। साथ ही इंदौर-उज्जैन मेट्रो और एलिवेटेड सड़कों की योजनाएं भी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। राज्य और केंद्र सरकार मिलकर उज्जैन को आधुनिक धार्मिक नगरी के रूप में विकसित करने में जुटे हैं।
नदियों का जुड़ाव और जलशक्ति का संकल्प
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि शिप्रा को अन्य नदियों से जोड़ने का कार्य प्रगति पर है, जिससे सिंचाई क्षेत्र बढ़ेगा और जल उपलब्धता सुनिश्चित होगी। यह सिर्फ विकास नहीं, बल्कि प्रकृति और संस्कृति के सामंजस्य की दिशा में बड़ा कदम है।
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संत समाज का समर्थन और आशीर्वाद
अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरीजी महाराज ने घाटों की लंबाई बढ़ाने के सुझाव पर सरकार द्वारा तुरंत कार्यवाही को सराहा। उन्होंने कहा कि यह पुनर्जागरण का काल है, जहां हमारी सनातन संस्कृति फिर से जाग रही है। मुख्यमंत्री को संत समाज ने आशीर्वाद और समर्थन दिया।
स्थानीय लोगों में इस योजना को लेकर जबरदस्त उत्साह है। उज्जैन निवासी भावेश मिश्रा कहते हैं, “पहली बार लग रहा है कि सिंहस्थ सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि उज्जैन का भाग्य बदलने जा रहा है।” सोशल मीडिया पर लोग सीएम मोहन यादव की दूरदर्शिता और सांस्कृतिक चेतना की सराहना कर रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे उज्जैन फिर से अपनी उसी दिव्यता की ओर लौट रहा है, जिसके लिए यह जाना जाता था।
शिप्रा की धारा अब फिर से पवित्रता की ओर लौट रही है, और उज्जैन का भविष्य नए उजाले की ओर बढ़ रहा है।
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