भोपाल का 90 डिग्री ब्रिज बना मज़ाक, सीएम मोहन यादव ने कहा जल्द होगा सुधार

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MP News: भोपाल का ऐशबाग ओवरब्रिज इन दिनों सोशल मीडिया पर देशभर में मज़ाक का केंद्र बना हुआ है। और वजह उसका हैरान कर देने वाला 90 डिग्री का टर्न है। अब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने साफ कर दिया है कि ब्रिज के टेढ़ेपन को सीधा किया जाएगा और दोषियों पर कार्रवाई भी होगी। उन्होंने आगे कहा कि लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ अब नहीं चलेगा, और अब सरकार ने टेक्निकल फॉल्ट को मानते हुए काम शुरू कर दिया है।

देखें क्या है भोपाल के 90 डिग्री ब्रिज का पूरा मामला?

राजधानी भोपाल के ऐशबाग इलाके में रेलवे लाइन के ऊपर एक ओवरब्रिज बनाया गया। इस ब्रिज की सबसे चौंकाने वाली बात थी इसका पूरे 90 डिग्री का मोड़। जिस मोड़ पर चलते समय कोई भी वाहन अनियंत्रित हो सकता था। यही वजह रही कि सोशल मीडिया पर इसे “दुर्घटना का न्योता” बताया गया और यही कारण है कि मोहन सरकार की खूब आलोचना हुई।

18 करोड़ रुपये की लागत से बना ये ब्रिज ‘इंजीनियरिंग का कमाल’ नहीं, बल्कि ‘सरकारी लापरवाही की मिसाल’ बन गया। लोग तरह तरह के वीडियो इस ब्रिज के साथ बना रहे हैं और सोशल मीडिया में मोहन सरकार को दोष देते नजर आ रहे हैं। 

देखें सीएम मोहन यादव ने क्या कहा?

अब खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव सामने आए हैं। और उन्होंने कहा है कि ब्रिज के निर्माण में जो टेक्निकल फॉल्ट हुआ है, उसे ठीक किया जा रहा है। साथ ही यह भी तय किया गया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

सीएम मोहन यादव जी ने आगे बताया कि ब्रिज के डिजाइन की गड़बड़ी को ठीक करने का काम शुरू हो चुका है और लोकार्पण तभी होगा जब यह पूरी तरह सुरक्षित होगा।

एक साल पीछे चल रहा है निर्माण कार्य

इस ब्रिज का निर्माण 21 मई 2022 को शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2024 तक पूरा किया जाना था। लेकिन अब जून 2025 आ गया है और ब्रिज अब तक अधूरा पड़ा है।

इस ब्रिज की लंबाई 648 मीटर और चौड़ाई 8 मीटर रखी गई है। लेकिन जिस अजीब टर्न को बनाया गया, वो भविष्य में एक्सीडेंट का बड़ा कारण बन सकता था। इसेक साथ ही सोशल मीडिया पर लोगों ने बहुत ट्रोल किया, यही वजह है कि सरकार को अब कदम उठाने पड़े।

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इस 90 डिग्री ब्रिज को लेकर लोगों का कहना है कि जब 18 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया जा रहा था, तब इसके डिजाइन पर गंभीरता क्यों नहीं दिखाई गई? क्या इंजीनियरिंग टीम ने कभी उस टर्न को खुद जाकर देखा भी था? सोशल मीडिया पर लोग इसे “ट्रैफिक जाल में फंसी सरकार” का नाम दे रहे हैं।

कई लोगों ने तो मजाक में इसे “ड्राइविंग टेस्ट पॉइंट” तक कह दिया। इस पूरे मामले को लेकर जनता अब पूछ रही है जब इतना बड़ा फॉल्ट था तो एक साल तक किसी की नजर क्यों नहीं पड़ी?

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