मध्य प्रदेश में विकास की रफ्तार अब और तेज़ होने जा रही है। मोहन सरकार ने मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने के लिए नया कानून लाने का ऐलान किया है। इसके तहत भोपाल और इंदौर समेत 9 जिलों को जोड़कर नए औद्योगिक हब बनाए जाएंगे। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि किसे होगा फायदा और कब से बदलेगा हमारा मध्य प्रदेश का ये शहर।
भोपाल-इंदौर का मेट्रोपॉलिटन सपना होगा सच
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है कि भोपाल और इंदौर को अब मेट्रोपॉलिटन रीजन के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके लिए ‘मप्र महानगर क्षेत्र नियोजन व विकास अधिनियम विधेयक-2025’ विधानसभा के इसी सत्र में लाया जाएगा। बिल पास होते ही काम शुरू होगा। भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में भोपाल के साथ सीहोर, रायसेन, विदिशा और राजगढ़ जिले जुड़ेंगे। वहीं इंदौर में उज्जैन, देवास और धार को भी मिलाया जाएगा।
क्यों जरूरी है मेट्रोपॉलिटन रीजन?
मध्य प्रदेश सरकार का मानना है कि मुंबई और बैंगलूरु जैसे बड़े शहरों की तर्ज पर अलग-अलग इंडस्ट्रियल हब बनाना जरूरी है। इन क्षेत्रों में बड़े निवेश, रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम होगा। इसके लिए अगले 15 साल की विस्तृत कार्ययोजना तैयार होगी। इस योजना पर मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (एमपीसी) काम करेगी।
कितने लोगों को होगा फायदा?
मेट्रोपॉलिटन बनाने की इस योजना के तहत 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले और एक से ज्यादा जिलों तक फैले क्षेत्र ही मेट्रोपॉलिटन रीजन में शामिल होंगे। इनमें कई नगर पालिकाएं, पंचायतें और नए इंडस्ट्रियल जोन बनेंगे। सरकार का दावा है कि इससे बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार मिलेगा। स्थानीय व्यापार और MSME सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।
मध्य प्रदेश के मजदूरों के लिए भी बड़ी राहत
सीएम मोहन यादव ने अपने संबोधन में पुराने मजदूरों के हक की भी बात की। उन्होंने कहा कि इंदौर की हुकुमचंद मिल के मजदूरों को करीब 300 करोड़ रुपये दिलवाए गए हैं। यह विवाद पिछले 30 सालों से लंबित था। इसी तरह रतलाम और ग्वालियर की पुरानी मिलों के श्रमिकों को भी उनका हक दिलाने की तैयारी है।
कैसे होगा विकास का काम?
मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में नगर विकास प्राधिकरण की सीमा के बाहर के इलाके भी आएंगे। यहां प्लानिंग और डेवलपमेंट का काम एमआरडीए (Metropolitan Region Development Authority) करेगी। वहीं, जो प्रोजेक्ट एक से ज्यादा विकास प्राधिकरणों की सीमा में आते हैं, उन पर भी एमआरडीए ही काम करेगी। इसका मतलब ये है कि हर इलाके का विकास बिना रुकावट के हो सकेगा।
भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों के लोग इस फैसले से काफी उत्साहित हैं। युवाओं को उम्मीद है कि अब उन्हें अपने ही शहर में अच्छे रोजगार मिलेंगे और छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। कुछ लोग इसे सरकार का चुनावी दांव भी मान रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि अगर ये योजना सही से लागू हुई तो आने वाले वक्त में भोपाल और इंदौर की पहचान एक नए रूप में होगी।
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