मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बम्हनी बंजर स्थित शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय में 8 अक्टूबर 2025 को एक खौफनाक घटना ने सभी को हिला दिया। क्लासरूम में एक छात्रा 24 घंटों के बाद बेहोशी की हालत में, सिर पर चोट और कटी हुई चोटी के साथ पाई गई।
अब इस घटना ने नया मोड़ ले लिया है – स्कूल प्रभारी सुशील हरदहा और चपरासी रोहणी चंद्रोल पर लापरवाही और सबूत मिटाने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया गया है।
24 घंटे बाद क्लासरूम में बेहोश मिली छात्रा
जानकारी के अनुसार, बीते दिन 9 अक्टूबर की 10 बजे स्कूल के क्लासरूम में छात्रा बेहोश अवस्था में मिली। जब अन्य छात्राएं अंदर गईं तो उन्होंने देखा कि छात्रा की चोटी कटी हुई है और सिर से खून निकल रहा था। मौजूदा लोगों ने तुरंत उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां उसका इलाज जारी है। लड़की के पिता बीते 8 ऑक्टूबर से लड़की की तलाश में थे और पुलिस में इसकी सूचना भी दी गई थी।
जांच में स्कूल प्रशासन की लापरवाही उजागर
घटना के बाद सामने आया कि स्कूल में उस समय सीसीटीवी कैमरे चालू नहीं थे और कोई स्टाफ मौजूद नहीं था। इसी को लेकर स्कूल प्रभारी सुशील हरदहा पर लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है। वहीं चपरासी रोहणी चंद्रोल पर आरोप है कि उसने घटना के बाद क्लासरूम के सबूत मिटाने की कोशिश की। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
लोगों का गुस्सा फूटा — चक्का जाम और स्कूल में तालाबंदी
घटना के एक दिन बाद, यानी 9 अक्टूबर 2025 को छात्रा के परिजन और स्थानीय लोगों ने मंडला-नैनपुर रोड पर चक्का जाम कर दिया। लोगों की मांग थी कि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए और स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था सुधारी जाए। भीड़ इतनी बढ़ गई कि बम्हनी पुलिस के लिए हालात संभालना मुश्किल हो गया।
स्थिति को काबू में लाने के लिए बिछिया, नैनपुर और मंडला थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाना पड़ा। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने भीड़ को शांत किया और रास्ता खुलवाया।
प्रशासन का दावा: दो दिन में होगी कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन हरकत में आया। पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि 2 दिन के भीतर दोषियों को गिरफ्तार कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, शिक्षा विभाग ने भी अलग से जांच समिति गठित करने की बात कही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।
इस घटना के बाद स्थानीय लोग बेहद गुस्से में हैं। लोगों का कहना है कि अगर स्कूल प्रशासन सतर्क रहता तो ये घटना नहीं होती।
कई लोगों ने कहा कि बेटियों की सुरक्षा के लिए अब हर स्कूल में महिला स्टाफ और सक्रिय निगरानी जरूरी है।
एक स्थानीय महिला ने कहा — “हम अपने बच्चों को स्कूल इसलिए भेजते हैं कि वो सुरक्षित रहें, लेकिन अब डर लगने लगा है।”
मेरा नजरिया से ये घटना सिर्फ एक स्कूल की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कमजोरी को दिखाती है।
जब तक प्रशासन ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक न माता-पिता को भरोसा मिलेगा और न ही छात्राओं को सुरक्षा।
अब वक्त है कि हर स्कूल में सुरक्षा और निगरानी के मानक कड़ाई से लागू किए जाएं।
यह मामला सिर्फ एक छात्रा का नहीं, हर बेटी की सुरक्षा से जुड़ा है। जरूरी है कि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिले और स्कूलों में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। ऐसी ही खबरों के लिए जुड़े रहें — और अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं।