MP IAS Transfer List 2025: मध्य प्रदेश में बड़े प्रशासनिक फेरबदल, संजीव झा बने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी

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मध्य प्रदेश में एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिला है। राज्य सरकार ने एक ही आदेश में कई वरिष्ठ IAS अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया है। सबसे चौंकाने वाला फैसला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के पद को लेकर लिया गया है, जहां संजीव कुमार झा की एंट्री और सुखवीर सिंह की विदाई ने बड़ी चर्चाओं का विषय बना दिया। 

ये तबादले सिर्फ कुर्सियों का बदलना नहीं, बल्कि आने वाले समय में सरकार की तैयारी और इरादों की झलक भी हैं।

MP IAS Transfer List 2025

संजीव कुमार झा की धमाकेदार वापसी

1996 बैच के वरिष्ठ IAS अफसर संजीव झा को मध्यप्रदेश का नया मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बनाया गया है। उन्हें इसके साथ-साथ विधि और विधायी कार्य विभाग का पदेन प्रमुख सचिव भी नियुक्त किया गया है। हालांकि ये जिम्मेदारी केवल निर्वाचन से जुड़ी गतिविधियों तक सीमित होगी। इसके साथ ही माना जा रहा है कि 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में संभावित चुनावों को देखते हुए यह एक रणनीतिक नियुक्ति है।

सुखवीर सिंह की ‘शिफ्टिंग’ और संकेत

अब तक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की जिम्मेदारी निभा रहे सुखवीर सिंह (1997 बैच) को लोक निर्माण विभाग (PWD) का प्रमुख सचिव बना दिया गया है। यह बदलाव केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक संकेतों से भी भरा है। क्या यह प्रदर्शन से जुड़ा निर्णय है या राजनीतिक गणित का हिस्सा? इस पर बहस शुरू हो चुकी है।

रघुराज एम.आर. और अनिल सुचारी की नई भूमिका

2004 बैच के अफसर रघुराज एम.आर. को अब श्रम विभाग का सचिव बनाया गया है, जबकि अनिल सुचारी (2006 बैच) को सागर संभाग का नया आयुक्त नियुक्त किया गया है। इन दोनों पदस्थापनाओं को ज़मीनी कामकाज और प्रशासनिक अनुभव के आधार पर एक संतुलित फैसला माना जा रहा है।

मुकेश गुप्ता और विवेक पोरवाल को मिला अतिरिक्त जिम्मा

दो अनुभवी अफसरों को एक और ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। मुकेश गुप्ता, जो फिलहाल मानव अधिकार आयोग में सचिव हैं, अब राजस्व मण्डल ग्वालियर के सदस्य भी होंगे। वहीं विवेक पोरवाल, जो पहले से ही राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव हैं, उन्हें अब तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

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इसके साथ ही नीरज मंडलोई, जो वर्तमान में ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं, उनसे PWD विभाग का अतिरिक्त प्रभार वापस ले लिया गया है। वहीं उमाकांत उमराव, जो खनिज और पशुपालन विभाग देखते हैं, अब श्रम विभाग की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त कर दिए गए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों और नौकरशाही पर नज़र रखने वालों की मानें तो इन तबादलों में “आगामी चुनाव” सबसे बड़ा फैक्टर है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का बदला जाना और PWD जैसी महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी का ट्रांसफर — यह केवल फाइलों की अदला-बदली नहीं, बल्कि आने वाले महीनों में सरकार की प्राथमिकताओं और रणनीति को दर्शाता है।

मध्यप्रदेश में हुए इन प्रशासनिक बदलावों को आप कैसे देखते हैं? क्या ये बेहतर प्रशासनिक कामकाज की ओर इशारा हैं या फिर चुनावी रणनीति का हिस्सा? अपनी राय नीचे कमेंट करें और चर्चा में हिस्सा लें। और ऐसी मध्य प्रदेश से जुडी ख़बरों के लिए जुड़े रहें अपना कल न्यूज़ के साथ। 

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