MP News: अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की मांग, E-Attendance के खिलाफ जताया विरोध

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मध्य प्रदेश में गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। जिन अतिथि शिक्षकों ने 10-15 साल स्कूलों में पढ़ाया, आज वे ही अनुभव के बावजूद नियुक्ति से वंचित हो रहे हैं। राज्य में अतिथि शिक्षकों के लिए E-Attendance जैसे नियमों ने आग में घी डालने का काम किया है। अब यही कारण है कि शिक्षक संगठन खुलकर विरोध में आ गए हैं और उनकी मांगें हैं: अनुभव को सम्मान दो, सुविधा दो।

वर्षों बाद नियुक्ति में आया सुधार लेकिन अधूरा

मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों को पहली बार 1 जुलाई से ही नियुक्ति मिलने लगी है। पहले यह प्रक्रिया अगस्त-सितंबर में होती थी, जिससे शिक्षकों को सालभर में केवल 5-6 महीने का रोजगार ही मिल पाता था। इस बदलाव से छात्रों की पढ़ाई भी नियमित रहेगी और शिक्षकों को भी समय पर रोजगार मिलेगा। अतिथि शिक्षक समन्वय समिति ने इसके लिए स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता का आभार जताया है।

अतिथि शिक्षकों की नई भर्ती गाइडलाइन के अनुसार, अगर किसी स्कूल में पहले दो पद थे और अब केवल एक बचा है, तो नियुक्ति मेरिट के आधार पर होगी। लेकिन यहां दिक्कत ये है कि केवल पिछले 5 वर्षों का अनुभव ही मान्य किया गया है, जबकि हजारों गेस्ट टीचर्स ऐसे हैं जो 10 से 18 वर्षों से पढ़ा रहे हैं।

इस दिशा में संगठन के वरिष्ठ सदस्य पी.डी. खैरवार का कहना है कि, “जब कोई शिक्षक एक दशक से ज्यादा स्कूल चला रहा है, तो उसे सिर्फ एक स्कोर कार्ड की वजह से बाहर करना अन्याय है।” इसके साथ ही कई स्कूलों ने अब तक पोर्टल पर खाली पद अपडेट नहीं किए हैं, जिससे योग्य शिक्षकों को मौका ही नहीं मिल रहा।

E-Attendance बना तकनीक का बोझ

मध्य प्रदेश सरकार ने इस सत्र से सभी गेस्ट टीचर्स के लिए E-Attendance अनिवार्य कर दी है। यह फैसला कागज़ों में अच्छा लगता है, लेकिन जमीनी हालात बेहद अलग हैं। गेस्ट टीचर्स की तनख्वाह सिर्फ 10,000 रुपये प्रति माह है और वो भी केवल कुछ ही महीनों तक रहती है पूरे 12 महीने नहीं। अब उनसे स्मार्टफोन की अनिवार्यता थोपना और E-Attendance सिस्टम अपनाना अव्यवहारिक कदम माना जा रहा है।

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कई शिक्षक गांवों से 50-60 किमी दूर जाकर पढ़ाते हैं। बारिश में रास्ते बंद हो जाते हैं, नेटवर्क नहीं रहता, और ट्रैफिक की समस्याएं आम हैं।
वहीं स्थायी शिक्षकों को मोबाइल/टैब खरीदने के लिए अलग से पैसा दिया जाता है, लीव, मेडिकल और इंश्योरेंस जैसे लाभ भी मिलते हैं लेकिन गेस्ट टीचर्स को कुछ नहीं। और यही कारण है कि अतिथि शिक्षकों के लिए E-Attendance का यह सिस्टम बोझ बनता जा रहा है। 

अब शिक्षक संगठनों ने साफ चेतावनी दी है, अगर सरकार सुविधा नहीं देती, तो E-Attendance का विरोध होगा। जो शिक्षक सालों से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं, अब उन्हीं को बाहर कर देना कितना उचित है? सोशल मीडिया पर भी इस नियम जमकर जमकर आलोचना हो रही है।

आपको क्या लगता है क्या गेस्ट टीचर्स को उनके कर्मों का सही फल मिलना चाहिए? क्या तकनीक थोपने से पहले सुविधा देना जरूरी नहीं है?
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