सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा (एस. एम. कृष्णा) भारतीय राजनीति के उन चंद नेताओं में से एक रहे हैं जिनका राजनीतिक करियर स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक असर डालता है। चाहे वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी भूमिका हो या भारत के विदेश मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल, एस.एम. कृष्णा का राजनीतिक दृष्टिकोण हमेशा भविष्य की ओर केंद्रित रहा।
एस. एम. कृष्णा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
एस. एम. कृष्णा का जन्म वर्ष 1932 में कर्नाटक के मांड्या ज़िले के सोमनहल्ली गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम एस.सी. मल्लैया था। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई मैसूर विश्वविद्यालय के महाराजा कॉलेज से की, और बाद में बैंगलोर के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से क़ानून की डिग्री प्राप्त की।
उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका गए, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून में अध्ययन किया। अमेरिका प्रवास के दौरान वे जॉन एफ. कैनेडी के चुनाव प्रचार से प्रभावित होकर राजनीति की ओर आकर्षित हुए। और यहाँ से ही उन्होंने राजनीति में दिलचस्पी दिखानी शुरू की और उनका राजनीति करियर यहाँ से शुरू हुआ।
एस. एम. कृष्णा राजनीतिक सफर
एस. एम. कृष्णा 1962 में पहली बार कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बने। इसके बाद उनका राजनीतिक सफर लगातार ऊँचाइयों को छूता गया। कुछ प्रमुख पद इनके आप नीचे सूची में देख सकते हैं –
- कर्नाटक विधानसभा सदस्य: 1962–67, 1989–92, 2004
- लोकसभा सदस्य: 1971–76 (5वीं), 1980–84 (7वीं)
- राज्यसभा सदस्य: 1996, 2006
- उद्योग एवं वित्त राज्य मंत्री, केंद्र सरकार: 1983–1985
- कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष: 1989–1992
- कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री: 1992–1994
- मुख्यमंत्री, कर्नाटक: 1999–2004
- राज्यपाल, महाराष्ट्र: 2004–2008
- विदेश मंत्री, भारत: 2009–2012
एस. एम. कृष्णा आधुनिक बैंगलोर के शिल्पकार
एस. एम. कृष्णा मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल को बढ़ावा दिया। आईटी सेक्टर को बढ़ावा देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई, जिससे बैंगलोर को “India’s Silicon Valley” का दर्जा मिला।
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एस. एम. कृष्णाव्यक्तिगत जीवन
29 अप्रैल 1964 को एस. एम. कृष्णा ने प्रेमा कृष्णा से विवाह किया। वे एक अच्छे टेनिस खिलाड़ी भी रहे और जीवनभर अपनी फिटनेस को लेकर सजग रहे।
राजनीति में दशकों तक सक्रिय रहने के बाद, एस. एम. कृष्णा धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन से दूरी बनानी शुरू की। और 10 दिसंबर 2024 को 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सोमनहल्ली (मद्दूर, कर्नाटक) में संपन्न हुआ।
एस.एम. कृष्णा की गिनती उन चुनिंदा भारतीय नेताओं में होती है जिन्होंने राज्य से लेकर केंद्र तक की हर प्रमुख भूमिका निभाई। भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी। आधुनिक और डिजिटल कर्नाटक की नींव रखी। उनकी राजनीतिक यात्रा, विचारधारा, और दृष्टिकोण आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।
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