MP News: मध्य प्रदेश में एक बार फिर वही पुरानी तस्वीरें सामने हैं, खेतों में फसलें खड़ी हैं लेकिन किसानों को खाद के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। रातभर लाइनों में खड़े रहना, खाद केंद्र से पर्चियां लेना और प्रशासन से खाली जवाब… किसानों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। हर फसल सीजन में उठने वाला खाद संकट इस बार भी राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गया है।
हर साल क्यों होती है खाद की कमी
मध्यप्रदेश में यह कोई पहली बार नहीं है जब किसानों को खाद के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही हो। हर साल खरीफ और रबी के मौसम में यही हाल होता है। मांग बढ़ती है, लेकिन सप्लाई समय पर नहीं होती। सरकारी गोदामों में स्टॉक होने के बावजूद वितरण की अव्यवस्था और हालात बिगाड़ देती है।
जिन किसानों को सबसे ज्यादा जरुरत है वो किसान ही सबसे ज़्यादा परेशान नजर आते हैं।
राजनीति गरम, लेकिन समाधान ठंडा क्यों?
खाद की कमी पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तो यहां तक कह दिया कि क्या सरकार खुद ही कालाबाजारी करवाना चाहती है? हलाकि जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने पलटवार करते हुए कहा “संकट खाद में नहीं, कांग्रेस में है।”
कुल मिलकर दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी है, लेकिन जिनके खेत सूख रहे हैं और जिन्हे खाद की अत्यंत जरुरत है, वो किसान नेताओं की इस जुबानी लड़ाई से क्या करें?
देखें किसान की जमीनी सच्चाई
हकीकत ये है कि खाद लेने के लिए किसान रात 2 बजे से ही सरकारी केंद्रों के बाहर लाइन में खड़े होते हैं। कुछ इलाकों में तो पुलिस थानों से पर्ची लेकर खाद दी जा रही है। और ये वही पर्ची है जिसे लेकर किसान गर्व नहीं, अपमान महसूस करते हैं। किसानों के साथ आखिर यह भेद भाव कब तक होगा ?
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खुद पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह भी कृषि से जुड़े रहे हैं। फिर भी व्यवस्था इतनी बेकार क्यों? हलाकि वर्तमान कृषि मंत्री सीएम शिवराज सिंह चौहान जी हमेसा किसानों के लिए खड़े रहते हैं और उनका सपोर्ट भी करते हैं लेकिन खाद की यह दिक्कत अब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कैसे समस्या को सुलझाते है।
आज मध्य प्रदेश के किसान साफ कह रहे हैं कि सरकार की बातें झूठी लगने लगी हैं। अगर सच में कोई कमी नहीं है, तो खेतों के रखवाले आधी रात से क्यों लाइन में हैं? सोशल मीडिया पर लोग वीडियो और फोटो पोस्ट कर रहे हैं जहां ट्रैक्टरों की लाइनें किलोमीटरों लंबी हैं। किसान हाथों में पर्ची लिए लाइन में लगा हुआ है।
कुछ लोगों का मानना है कि यह सुनियोजित कालाबाजारी है, जिसमें नीचे से ऊपर तक कई लोग शामिल हैं। अब आपकी क्या राय है नीचे कमेंट करके जरूर बताये और ऐसी ख़बरों के लिए अपना कल के साथ जुड़े रहें।
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