MP News: मध्य प्रदेश में आदिवासियों को जल-जंगल-जमीन से बेदखल करने के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा ऐलान किया है। अब राज्य के हर वनग्राम में सर्वे कराया जाएगा, ताकि जो पात्र आदिवासी परिवार छूट गए हैं उन्हें भी पट्टे मिल सकें। यह फैसला न केवल राजनीतिक हलचल का जवाब है, बल्कि ज़मीन से जुड़े हज़ारों परिवारों के लिए नई उम्मीद भी है। जिस तरह गावों मे हर एक घर का नया सर्वे किया गया और पट्टे दिए गए वैसे ही अब वनग्रामों का सर्वे कराएंगे CM मोहन यादव और जो आदिवासी छूटे हैं उन्हें उनका हल मिलेगा।
कांग्रेस के आरोपों के बीच आया बड़ा फैसला
पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में आदिवासी अधिकारों को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हजारों आदिवासी परिवारों के ज़मीन पट्टे बिना पूर्व सूचना के रद्द कर दिए गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस नेता कमलेश्वर पटेल ने सरकार पर तीखा हमला बोला। ऐसे में सीएम मोहन यादव ने एक समीक्षा बैठक में साफ निर्देश दिए कि वनग्रामों में सर्वे हो और कोई भी पात्र व्यक्ति ज़मीन से वंचित न रहे।
वनतारा से प्रेरणा लेकर एमपी में बनेगा बड़ा रेस्क्यू सेंटर
सिर्फ ज़मीन ही नहीं, जंगल और वन्यजीव संरक्षण को लेकर भी राज्य सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने वरिष्ठ अधिकारियों को गुजरात के वनतारा सेंटर का दौरा करने को कहा है, ताकि मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही बड़ा रेस्क्यू सेंटर बनाया जा सके। इसका उद्देश्य वन्य जीवों की रक्षा और पुनर्वास की व्यवस्था को और बेहतर बनाना है। मध्य प्रदेश सरकार आगे चलकर हर जिले में वन्यजीव संरक्षण सेण्टर बनाने की प्लानिंग में है लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा की कब तक इसमें मुहर लगेगी।
उज्जैन और जबलपुर में बनेंगे ज़ू और रेस्क्यू सेंटर
वन विभाग ने बताया कि उज्जैन और जबलपुर में ज़ू और रेस्क्यू सेंटर की स्थापना के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। इसके अलावा नर्मदा और चंबल जैसी नदियों में जलजीवों के संरक्षण के लिए महाशीर मछली, मगर, घड़ियाल और कछुओं के प्रजनन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे। यह योजनाएं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं।
नक्सल क्षेत्र के वनकर्मियों को मिलेगा सम्मान और भत्ता
नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात वनकर्मियों को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विशेष भत्ता और पौष्टिक आहार भत्ता देने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं, उत्कृष्ट कार्य करने वाले वनकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी दिया जाएगा। यह न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि उन्हें और अधिक मनोबल देगा।
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देश में सबसे तेज़ फायर रिस्पॉन्स
वन क्षेत्रों में आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए मध्यप्रदेश अब देश में सबसे तेज़ रिस्पॉन्स देने वाला राज्य बन गया है। पहले जहां फायर टीम को घटनास्थल तक पहुंचने में 8 घंटे लगते थे, अब यह समय घटाकर 3 घंटे कर दिया गया है। FSI पोर्टल पर 1.05 लाख लोगों को फायर अलर्ट भेजने की सुविधा भी शुरू की गई है जो देशभर में सबसे ज़्यादा है।
मेरे अनुसार अगर वाकई हर वनग्राम में पारदर्शी सर्वे हुआ और सभी पात्र लोगों को ज़मीन मिली, तो यह उनके जीवन को स्थायी रूप से बदल देगा। हालांकि कांग्रेस अभी भी इस फैसले को देर से उठाया गया कदम बता रही है। आम जनता चाहती है कि यह फैसला फाइलों तक सीमित न रहे, बल्कि ज़मीन पर असर दिखे।
क्या आपको लगता है कि यह फैसला वाकई आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा? क्या अन्य राज्यों को भी ऐसा कदम उठाना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें। और इस तरह की ख़बरों के लिए अपना कल न्यूज़ के साथ जुड़े रहें।
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