मोहन सरकार की बड़ी सौगात: अब इन 7 शहरों में दौड़ेंगी सरकारी बसें, लूट से मिलेगी राहत

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MP News: मध्य प्रदेश में निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी और महंगे किरायों से परेशान यात्रियों को अब राहत मिलने वाली है। क्यूंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के सात बड़े शहरों में सरकारी बसें चलाने की मंज़ूरी दे दी है। यह योजना पीपीपी (PPP) मोड पर आधारित होगी और इसका उद्देश्य है हर आम नागरिक तक सस्ती, सुरक्षित और सुलभ परिवहन सुविधा पहुंचाना।

आपकी जानकारी के लिए बता दें शुरुआत में यह मध्य प्रदेश के 7 प्रमुख शहरों से शुरू हो रही। और आगे इसको विस्तार देकर पूरे मध्य प्रदेश में शुरू किया जायेगा। 

निजी बसों की मनमानी से परेशान जनता को मिला लाभ

राज्य परिवहन निगम के बंद होने के बाद से मध्य प्रदेश में बस सेवा निजी ऑपरेटरों के भरोसे रह गई थी। वे केवल उन्हीं रूट्स पर बसें चला रहे थे जहां उन्हें ज्यादा कमाई हो सके। दूरदराज़ के इलाकों में यात्रियों को या तो बस की सुविधा नहीं मिलती थी या किराया आसमान छूता था। इस स्थिति को देखते हुए मोहन सरकार ने अब PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर सरकारी बसें चलाने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है और अब इसका ब्लूप्रिंट तैयार हो चुका है। जल्द ही राज्य स्तरीय होल्डिंग कमेटी का गठन किया जाएगा, जो इस योजना को जमीन पर उतारेगी। और शुरूआती 7 शहरों में काम किराये पर सरकारी बस नजर आएँगी। 

सबसे पहले इन 7 शहरों में शुरू होगी सेवा

प्रारंभिक चरण में राज्य सरकार ने 7 प्रमुख शहरों – भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा और सागर – को चुना है। इन शहरों में यात्रियों की भारी मांग के बावजूद पर्याप्त और विश्वसनीय बस सेवा नहीं है। इस लिए शुरुआत में इन 7 शहरों में हमे सरकारी बस देखने को मिलेगी। 

मध्य प्रदेश सरकार इन रूट्स पर निजी बसों की कमी और यात्रियों के लोड का सर्वे करा रही है। इसके आधार पर तय किया जाएगा कि किस रूट पर कितनी बसें चलाई जाएंगी।

‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ मॉडल पर होगी सेवा

परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने स्पष्ट किया है कि यह सेवा मुनाफे या घाटे के उद्देश्य से नहीं, बल्कि जनहित में शुरू की जा रही है। पीपीपी मॉडल के तहत बसें निजी ऑपरेटरों से किराए पर ली जाएंगी, लेकिन किराया तय सीमा से अधिक नहीं होगा। इस मॉडल से न केवल यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि निजी ऑपरेटरों को भी सरकार की निगरानी में सुरक्षित आय मिलेगी।

त्रिस्तरीय निगरानी व्यवस्था से होगा संचालन

नई परिवहन नीति में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने त्रिस्तरीय व्यवस्था की योजना बनाई है। जिसे आप नीचे 3 चरणों के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं। 

  • राज्य स्तर पर एक होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी।

  • प्रत्येक चयनित शहर में क्षेत्रीय परिवहन कंपनियां गठित होंगी।

  • हर जिले में जिला परिवहन कमेटी होगी, जो स्थानीय समस्याओं और शिकायतों का समाधान करेगी।

इससे न केवल योजना पर निगरानी रखी जा सकेगी, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी कम होंगी। और किसी भी तरह की धोखाधड़ी का मामला भी सामने नहीं आएगा। 

आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस होंगी बसें

इस बार मध्यप्रदेश सरकार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी है। सभी बसों में CCTV कैमरे, AI-आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम, और GPS ट्रैकिंग की सुविधा होगी।

राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर कमांड सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे, जहां से बसों की लाइव ट्रैकिंग होगी। टिकटिंग सिस्टम को भी डिजिटल किया जाएगा, यात्रियों को हैंड हेल्ड मशीन से टिकट दिया जाएगा।

सरकार नहीं खरीदेगी एक भी बस

इस योजना की खास बात ये है कि मध्य प्रदेश सरकार खुद एक भी बस नहीं खरीदेगी। सभी बसें निजी ऑपरेटरों से किराए पर ली जाएंगी। बस संचालन, टिकट वसूली और मॉनिटरिंग। तीनों कार्य अलग-अलग एजेंसियों को सौंपे जाएंगे ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

यात्रियों की संख्या कम होने पर घाटे से बचने के लिए इन बसों में कार्गो सेवाएं भी दी जाएंगी। साथ ही लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए एक एप का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें मेट्रो, ई-रिक्शा, ऑटो और ई-बाइक की जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर मिलेगी।

देखें जनता क्या कहती है

भोपाल निवासी रजनीश चौधरी कहते हैं, “हर बार निजी बस वाले किराए की मनमानी करते हैं। अगर सरकारी बसें चलेंगी, तो आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी।” सोशल मीडिया पर भी लोगों ने सरकार की इस योजना की सराहना की है, लेकिन साथ में यह भी कहा है कि इसका क्रियान्वयन प्रभावी होना चाहिए।

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मेरा नजरिया भी यही है कि यदि इस योजना को सही ढंग से लागू किया गया, तो यह सिर्फ एक परिवहन योजना नहीं बल्कि सामाजिक समानता की दिशा में एक मजबूत कदम होगा। और आगे चलकर सरकार को यह पूरा मैनेजमेंट प्राइवेट कम्पनी को न देकर खुद अपनी निगरानी में कर लेना चाहिए। 

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम आम यात्रियों के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आया है। तकनीक, पारदर्शिता और स्थानीय भागीदारी के जरिए यह योजना न केवल परिवहन का स्तर उठाएगी, बल्कि जनविश्वास भी जीतेगी। क्या आपको लगता है कि पीपीपी मोड पर सरकारी बस सेवा से निजी बसों की लूट रुकेगी? अपनी राय नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएं। और मध्य प्रदेश से जुडी ख़बरों के लिए जुड़े रहें अपना कल के साथ। 

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