15 August Kyu Manate Hai 15 अगस्त का महत्व इतना क्यों?

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15 अगस्त हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों है?
15 अगस्त हमारे लिए केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि  इस दिन केवल हमें आजादी मिली थी। आज के दिन हम उन तमाम देश के वीर जवानों को भावपूर्ण एवं श्रद्धापूर्ण  श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने हमें आजादी देखकर खुद अमर अजर हो गए।
आजादी का सपना देखने वाले लाखों वीर जवानों ने भारत के इस धारा को अपने लहू से सिचा है, जहां आज हम खुली फिजाओं में चैन की सांस ले पाते हैं। भारत की इस भूमि को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए असंख्य लोगों ने अपनी प्राणों की आहुति दी है।
आज की सुनहरी पल के पीछे कल की एक घन घोर अंधकार छुपी है, जिन अंधकार में आज भी हम अपनों की लहूलुहान से भरी चीख को महसूस कर सकते हैं, जिन्होंने कभी अपनी जान की परवाह नहीं की लाखों जुल्मों सितम सहने के बावजूद भी उन्होंने कभी पराधीनता स्वीकार नहीं किया।
अंग्रेजी हुकूमत की कठोर और जुल्मों सितम से भरी शासन ने गरीब लाचार और बेबस लोगों को एक अंधकार में धकेल दिया था। जहां से केवल दर्द भरी चीखें सुनाई पड़ती थी। लोग अपने ही घरों में कैद हो चुके थे गरीबी और भुखमरी चरम सीमा पर थी, लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए भी चुनौतीपूर्ण संघर्ष करना पड़ता था।
 
अंग्रेजी हुकूमत की दबदबा इतनी मजबूत हो गई थी, कोई भी उनके खिलाफ आवाज उठाता था, तो उन्हें कठोर से कठोर सजा दिया जाता था, जिनमें काला पानी तथा फांसी की सजा शामिल था।
लोग अंग्रेज की गुलामी की जंजीरों से मुक्त होना चाहता था पर उनके पास रास्ता नहीं था, भारत की भूमि अनेकों छोटे छोटे- छोटे प्रांतों में बटा हुआ था,  देश में एकता की कमी थी। अंग्रेजों ने पूरे देश को जाति के आधार पर विभाजन कर अपनी सत्ता को मजबूत कर लिया था।
फिर देश में एक ऐसा भी दौर आया जब देश में क्रांति की आग तेजी से फैलने लगी 1857 की क्रांति ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया। देश के अनेकों प्रांत में अंग्रेजी हुकूमत की फरमान को खारिज कर दिया और उनके फरमान को मानने से इनकार कर दिया।
अंग्रेजी हुकूमत ने 1857 की क्रांति को दबाने के लिए कठोर कानून और रक्तपात नीति के जरिए तत्काल क्रांति को दबाने में सफलता तो हासिल कर ली लेकिन उनकी चिंगारी हर भारतीयों के अंदर समा गई थी।
और फिर धीरे-धीरे देश के अंदर एक ऐसा भी समय आया जब अंग्रेजी हुकूमत को देश के अंदर से उखाड़ फेंकने के लिए अंग्रेजी हुकूमत को राजनीतिक स्तर और युद्ध स्तर दोनों तरफ से चुनौती मिलने लगा।
पूरे देश के अंदर कई शांतिपूर्ण और आक्रमणकारी आंदोलन किए गए जिनमें असंख्य लोगों को अपने प्राणों की बाजी लगानी पड़ी
देश की आजादी की इस मुहिम में अंग्रेजी हुकूमत ने देश के अंदर अनेकों नरसंहार, रक्तपात और निर्दय घटनाओं को अंजाम दिया। जिनकी पीड़ा की एक तस्वीर आज भी हम भारतीय दिल और दिमाग में छपी हुई है। जिन्हें हम भुला नहीं सकते
रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, भगत सिंह, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस ऐसे अनेकों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी जिन्होंने कभी अपने परिवार की परवाह नहीं की, ना ही अपने जीवन की केवल और केवल अपनी मातृभूमि के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
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Author

  • Princi Soni

    I have been writing for the Apna Kal for a few years now and I love it! My content has been Also published in leading newspapers and magazines.

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